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शेख अब्दुल्ला की जंयती को जम्मू-कश्मीर के कैलेंडर से हटाए जाने पर एनसी नाराज

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Published : Dec 28, 2019, 10:29 PM IST

नेशनल कांफ्रेंस ने अवकाश संबंधी जम्मू-कश्मीर के आधिकारिक कैलेंडर से पार्टी संस्थापक शेख अब्दुल्ला की जंयती हटाए जाने पर नाराजगी जताई है. इस मामले पर एनसी के प्रांतीय अध्यक्ष देवेंद्र सिंह राणा ने कहा कि शेख अब्दुल्ला एक दूरदर्शी नेता थे, जिन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना के द्विराष्ट्र सिद्धांत को नकारा था.

शेख अब्दुल्ला ( फाइल फोटो )
शेख अब्दुल्ला ( फाइल फोटो )

श्रीनगर : नेशनल कांफ्रेंस ने अवकाश संबंधी जम्मू-कश्मीर के आधिकारिक कैलेंडर से पार्टी संस्थापक शेख अब्दुल्ला की जंयती हटाए जाने पर नाराजगी जताते हुए इस फैसले की समीक्षा करने की मांग की है और कहा कि लोगों को लोकतांत्रिक रूप से जागृत करने में उनके योगदान को कमतर नहीं किया जा सकता.

इसके अलावा पार्टी ने तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों - एनसी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती समेत राज्य के सभी नेताओं को रिहा किए जाने की अपील की.

एनसी के प्रांतीय अध्यक्ष देवेंद्र सिंह राणा ने शनिवार को कहा कि शेख अब्दुल्ला एक दूरदर्शी नेता थे, जिन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना के द्विराष्ट्र सिद्धांत को नकारा था.

राणा ने संवाददाताओं से कहा, 'अवकाश देने या नहीं देने से उनके (शेख अब्दुल्ला के) विशाल कद पर कोई असर नहीं पड़ेगा. उन्हें बदनाम करने के कई निष्फल प्रयास किए गए, लेकिन इतिहास उनके पक्ष में बोलेगा.'

उन्होंने कहा कि शेर-ए-कश्मीर की शख्सियत को क्षेत्रीय राजनीति के दायरे में नहीं बांधा जा सकता क्योंकि जब पूरा देश महात्मा गांधी के नेतृत्व में ब्रितानी शासन की बेड़ियों से आजाद होने के लिए संघर्ष कर रहा था, तब उन्होंने लोकतंत्र के लिए लड़ाई लड़ी.

पढ़ें- J-K : 'विलय दिवस' के दिन अब होगी छुट्टी, खत्म हुआ शेख अब्दुल्ला जयंती पर अवकाश

उन्होंने कहा, 'अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के वंचित तबके के लोगों के लिए लड़ाई लड़ी, भले ही उनका क्षेत्र, धर्म या जाति कुछ भी हो.'

मुख्यधारा के नेताओं के हिरासत में रखे जाने संबंधी प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि केंद्र को अलगाव की भावना को ध्यान में रखते हुए जम्मू-कश्मीर के लोगों तक व्यापक तरीके से पहुंचना चाहिए.

इस बीच, श्रीनगर में पार्टी प्रांतीय प्रवक्ता इमरान नबी डार ने प्रशासन के फैसले की निंदा करते हुए कहा कि शहीदों की भूमिका और अब्दुल्ला के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता.

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने अगले साल के लिए घोषित सरकारी अवकाश की सूची में शेख अब्दुल्ला की जयंती और शहीद दिवस को हटा दिया है, लेकिन विलय दिवस के तौर पर मनाए जाने वाले 26 अक्टूबर को इस सूची में जगह दी गई है.

श्रीनगर : नेशनल कांफ्रेंस ने अवकाश संबंधी जम्मू-कश्मीर के आधिकारिक कैलेंडर से पार्टी संस्थापक शेख अब्दुल्ला की जंयती हटाए जाने पर नाराजगी जताते हुए इस फैसले की समीक्षा करने की मांग की है और कहा कि लोगों को लोकतांत्रिक रूप से जागृत करने में उनके योगदान को कमतर नहीं किया जा सकता.

इसके अलावा पार्टी ने तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों - एनसी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती समेत राज्य के सभी नेताओं को रिहा किए जाने की अपील की.

एनसी के प्रांतीय अध्यक्ष देवेंद्र सिंह राणा ने शनिवार को कहा कि शेख अब्दुल्ला एक दूरदर्शी नेता थे, जिन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना के द्विराष्ट्र सिद्धांत को नकारा था.

राणा ने संवाददाताओं से कहा, 'अवकाश देने या नहीं देने से उनके (शेख अब्दुल्ला के) विशाल कद पर कोई असर नहीं पड़ेगा. उन्हें बदनाम करने के कई निष्फल प्रयास किए गए, लेकिन इतिहास उनके पक्ष में बोलेगा.'

उन्होंने कहा कि शेर-ए-कश्मीर की शख्सियत को क्षेत्रीय राजनीति के दायरे में नहीं बांधा जा सकता क्योंकि जब पूरा देश महात्मा गांधी के नेतृत्व में ब्रितानी शासन की बेड़ियों से आजाद होने के लिए संघर्ष कर रहा था, तब उन्होंने लोकतंत्र के लिए लड़ाई लड़ी.

पढ़ें- J-K : 'विलय दिवस' के दिन अब होगी छुट्टी, खत्म हुआ शेख अब्दुल्ला जयंती पर अवकाश

उन्होंने कहा, 'अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के वंचित तबके के लोगों के लिए लड़ाई लड़ी, भले ही उनका क्षेत्र, धर्म या जाति कुछ भी हो.'

मुख्यधारा के नेताओं के हिरासत में रखे जाने संबंधी प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि केंद्र को अलगाव की भावना को ध्यान में रखते हुए जम्मू-कश्मीर के लोगों तक व्यापक तरीके से पहुंचना चाहिए.

इस बीच, श्रीनगर में पार्टी प्रांतीय प्रवक्ता इमरान नबी डार ने प्रशासन के फैसले की निंदा करते हुए कहा कि शहीदों की भूमिका और अब्दुल्ला के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता.

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने अगले साल के लिए घोषित सरकारी अवकाश की सूची में शेख अब्दुल्ला की जयंती और शहीद दिवस को हटा दिया है, लेकिन विलय दिवस के तौर पर मनाए जाने वाले 26 अक्टूबर को इस सूची में जगह दी गई है.

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Print Printपीटीआई-भाषा संवाददाता 20:2 HRS IST

शेख अब्दुल्ला की जंयती को जम्मू-कश्मीर के 2020 के कैलेंडर से हटाए जाने पर एनसी ने जताई नाराजगी

जम्मू, 28 दिसंबर (भाषा) नेशनल कांफ्रेंस ने अवकाश संबंधी जम्मू-कश्मीर के आधिकारिक कैलेंडर से पार्टी संस्थापक शेख अब्दुल्ला की जंयती हटाए जाने पर नाराजगी जताते हुए इस फैसले की समीक्षा करने की शनिवार को मांग की और कहा कि लोगों को लोकतांत्रिक रूप से जागृत करने में उनके योगदान को कमतर नहीं किया जा सकता।



पार्टी ने तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों एनसी अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती समेत राज्य के सभी नेताओं को रिहा किए जाने की अपील की।



एनसी के प्रांतीय अध्यक्ष देवेंद्र सिंह राणा ने कहा कि शेख अब्दुल्ला एक दूरदर्शी नेता थे जिन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना के द्विराष्ट्र सिद्धांत को नकारा था।



राणा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अवकाश देने या नहीं देने से उनके (शेख अब्दुल्ला के) विशाल कद पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्हें बदनाम करने के कई निष्फल प्रयास किए गए लेकिन इतिहास उनके पक्ष में बोलेगा।’’



उन्होंने कहा कि ‘शेर ए कश्मीर’ की शख्सियत को क्षेत्रीय राजनीति के दायरे में नहीं बांधा जा सकता क्योंकि जब पूरा देश महात्मा गांधी के नेतृत्व में ब्रितानी शासन की बेड़ियों से आजाद होने के लिए संघर्ष कर रहा था जब उन्होंने लोकतंत्र के लिए लड़ाई लड़ी।



उन्होंने कहा, ‘‘अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के वंचित तबके के लोगों के लिए लड़ाई लड़ी, भले ही उनका क्षेत्र, धर्म या जाति कुछ भी हो।’’



मुख्यधारा के नेताओं के हिरासत में रखे जाने संबंधी प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि केंद्र को अलगाव की भावना को ध्यान में रखते हुए जम्मू-कश्मीर के लोगों तक व्यापक तरीके से पहुंचना चाहिए।



इस बीच, श्रीनगर में पार्टी प्रांतीय प्रवक्ता इमरान नबी डार ने प्रशासन के फैसले की निंदा करते हुए कहा कि शहीदों की भूमिका और अब्दुल्ला के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।



जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने अगले साल के लिए घोषित सरकारी अवकाश की सूची में शेख अब्दुल्ला की जयंती और शहीद दिवस को हटा दिया है लेकिन ‘विलय दिवस’ के तौर पर मनाए जाने वाले 26 अक्टूबर को इस सूची में जगह दी गई है।


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