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राहुल को शरद पवार ने दिलाई अतीत की याद, कहा- भूल नहीं सकते 1962 में क्या हुआ था

गलवान घाटी में चीन के साथ तनाव को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार मोदी सरकार पर हमला बोल रहे हैं. राहुल के बयान पर उनके सहयोगी दल एनसीपी के प्रमुख शरद पवार ने उन्हें अतीत की याद दिलाई.

पवार और राहुल
पवार और राहुल
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Published : Jun 27, 2020, 9:38 PM IST

मुंबई : चीन के साथ गतिरोध को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप प्रत्यारोप के बीच पूर्व रक्षा मंत्री एवं राकांपा प्रमुख शरद पवार ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि यह कोई नहीं भूल सकता कि चीन ने 1962 के युद्ध के बाद भारत के लगभग 45,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया.

पवार की टिप्पणी कांग्रेस नेता राहुल गांधी के उस आरोप पर आई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन की आक्रामकता के चलते भारतीय क्षेत्र उसे सौंप दिया.

राकांपा नेता ने कहा कि लद्दाख में गलवान घाटी की घटना को रक्षा मंत्री की नाकामी बताने में जल्दबाजी नहीं की जा सकती क्योंकि गश्त के दौरान भारतीय सैनिक चौकन्ने थे.

यहां पत्रकारों से बातचीत में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह पूरा प्रकरण संवेदनशील प्रकृति का है. गलवान घाटी में चीन ने उकसावे वाला रुख अपनाया.

  • We can’t forget what happened in 1962 when China occupied 45,000 sq km of our territory. At present,I don't know if they occupied any land,but while discussing this we need to remember past. National security matters shouldn't be politicised: Sharad Pawar on Rahul Gandhi's remark pic.twitter.com/bzZmRZtwVU

    — ANI (@ANI) June 27, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में 15 जून को चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए.

पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत संपर्क उद्देश्यों के लिए अपने क्षेत्र के भीतर गलवान घाटी में एक सड़क बना रहा था.

पवार ने कहा, उन्होंने (चीनी सैनिकों ने) हमारी सड़क पर अतिक्रमण करने की कोशिश की और धक्कामुक्की की. यह किसी की नाकामी नहीं है. अगर गश्त करने के दौरान कोई (आपके क्षेत्र में) आता है, तो वे किसी भी समय आ सकते हैं. हम तुरंत यह नहीं कह सकते कि यह दिल्ली में बैठे रक्षा मंत्री की नाकामी है.’’

उन्होंने कहा, वहां गश्त चल रही थी. झड़प हुई इसका मतलब है कि आप चौकन्ना थे. अगर आप वहां नहीं होते तो आपको पता भी नहीं चलता कि कब वे (चीनी सैनिक) आए और गए. इसलिए मुझे नहीं लगता कि इस समय ऐसा आरोप लगाना सही है.

राहुल गांधी द्वारा लगाए एक आरोप पर जवाब देते हुए पवार ने कहा कि यह कोई नहीं भूल सकता कि दोनों देशों के बीच 1962 के युद्ध के बाद चीन ने भारत की करीब 45,000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया था.

उन्होंने कहा, यह जमीन अब भी चीन के पास है. मुझे नहीं मालूम कि क्या उन्होंने (चीन) अब फिर से कुछ क्षेत्र पर अतिक्रमण कर लिया. लेकिन जब मैं आरोप लगाता हूं तो मुझे यह भी देखना चाहिए कि जब मैं सत्ता में था तो क्या हुआ था.

अगर इतनी बड़ी जमीन अधिग्रहीत की जाती है तो इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है और मुझे लगता है कि इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए.

पवार ने तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर केंद्र पर प्रहार करते हुए कहा कि उन्होंने इसकी कीमतें रोजाना बढ़ते हुए कभी नहीं देखी थी.

उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि लोग पहले से संकट में हैं और विस्तारित लॉकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था संकट का सामना कर रही है.

उन्होंने कहा कि केंद्र को ऐसे फैसले लेने चाहिए जो अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लेकर आए.

पवार ने कहा, लोग इस समय किसी अन्य कारण को लेकर नहीं कुछ बोल रहे हैं, जो कुछ हो रहा है उसे बर्दाश्त करने की लोगों के अंदर पहले से भावना है और वे (केंद्र) इस स्थिति (कीमतें बढ़ाने का) का नुकसान उठा रहे हैं.

पढ़ें: घुसपैठ पर चीन की खुलकर निंदा करें पीएम, त्वरित कार्रवाई करें : कांग्रेस

भाजपा के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) गोपीचंद पडलकर के उनके खिलाफ हालिया टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर राकांपा प्रमुख ने कहा कि पिछले चुनावों में मतदाताओं ने उन्हें नकार दिया था और उनकी टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देने की कोई जरूरत नहीं है.

पडलकर ने कहा था कि पवार कोरोना है जिसने महाराष्ट्र को संक्रमित कर दिया है.

मुंबई : चीन के साथ गतिरोध को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप प्रत्यारोप के बीच पूर्व रक्षा मंत्री एवं राकांपा प्रमुख शरद पवार ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि यह कोई नहीं भूल सकता कि चीन ने 1962 के युद्ध के बाद भारत के लगभग 45,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया.

पवार की टिप्पणी कांग्रेस नेता राहुल गांधी के उस आरोप पर आई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन की आक्रामकता के चलते भारतीय क्षेत्र उसे सौंप दिया.

राकांपा नेता ने कहा कि लद्दाख में गलवान घाटी की घटना को रक्षा मंत्री की नाकामी बताने में जल्दबाजी नहीं की जा सकती क्योंकि गश्त के दौरान भारतीय सैनिक चौकन्ने थे.

यहां पत्रकारों से बातचीत में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह पूरा प्रकरण संवेदनशील प्रकृति का है. गलवान घाटी में चीन ने उकसावे वाला रुख अपनाया.

  • We can’t forget what happened in 1962 when China occupied 45,000 sq km of our territory. At present,I don't know if they occupied any land,but while discussing this we need to remember past. National security matters shouldn't be politicised: Sharad Pawar on Rahul Gandhi's remark pic.twitter.com/bzZmRZtwVU

    — ANI (@ANI) June 27, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में 15 जून को चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए.

पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत संपर्क उद्देश्यों के लिए अपने क्षेत्र के भीतर गलवान घाटी में एक सड़क बना रहा था.

पवार ने कहा, उन्होंने (चीनी सैनिकों ने) हमारी सड़क पर अतिक्रमण करने की कोशिश की और धक्कामुक्की की. यह किसी की नाकामी नहीं है. अगर गश्त करने के दौरान कोई (आपके क्षेत्र में) आता है, तो वे किसी भी समय आ सकते हैं. हम तुरंत यह नहीं कह सकते कि यह दिल्ली में बैठे रक्षा मंत्री की नाकामी है.’’

उन्होंने कहा, वहां गश्त चल रही थी. झड़प हुई इसका मतलब है कि आप चौकन्ना थे. अगर आप वहां नहीं होते तो आपको पता भी नहीं चलता कि कब वे (चीनी सैनिक) आए और गए. इसलिए मुझे नहीं लगता कि इस समय ऐसा आरोप लगाना सही है.

राहुल गांधी द्वारा लगाए एक आरोप पर जवाब देते हुए पवार ने कहा कि यह कोई नहीं भूल सकता कि दोनों देशों के बीच 1962 के युद्ध के बाद चीन ने भारत की करीब 45,000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया था.

उन्होंने कहा, यह जमीन अब भी चीन के पास है. मुझे नहीं मालूम कि क्या उन्होंने (चीन) अब फिर से कुछ क्षेत्र पर अतिक्रमण कर लिया. लेकिन जब मैं आरोप लगाता हूं तो मुझे यह भी देखना चाहिए कि जब मैं सत्ता में था तो क्या हुआ था.

अगर इतनी बड़ी जमीन अधिग्रहीत की जाती है तो इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है और मुझे लगता है कि इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए.

पवार ने तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर केंद्र पर प्रहार करते हुए कहा कि उन्होंने इसकी कीमतें रोजाना बढ़ते हुए कभी नहीं देखी थी.

उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि लोग पहले से संकट में हैं और विस्तारित लॉकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था संकट का सामना कर रही है.

उन्होंने कहा कि केंद्र को ऐसे फैसले लेने चाहिए जो अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लेकर आए.

पवार ने कहा, लोग इस समय किसी अन्य कारण को लेकर नहीं कुछ बोल रहे हैं, जो कुछ हो रहा है उसे बर्दाश्त करने की लोगों के अंदर पहले से भावना है और वे (केंद्र) इस स्थिति (कीमतें बढ़ाने का) का नुकसान उठा रहे हैं.

पढ़ें: घुसपैठ पर चीन की खुलकर निंदा करें पीएम, त्वरित कार्रवाई करें : कांग्रेस

भाजपा के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) गोपीचंद पडलकर के उनके खिलाफ हालिया टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर राकांपा प्रमुख ने कहा कि पिछले चुनावों में मतदाताओं ने उन्हें नकार दिया था और उनकी टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देने की कोई जरूरत नहीं है.

पडलकर ने कहा था कि पवार कोरोना है जिसने महाराष्ट्र को संक्रमित कर दिया है.

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