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शाह फैसल ने वापस ली अपनी याचिका, बोले- J-K के लोगों के पास कोई कानूनी सहायता नहीं

जम्मू कश्मीर के पूर्व आईएस आधिकारी शाह फैसल ने न्यायालय से गैर कानूनी हिरासत के खिलाफ अपनी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को वापस ले लिया है. फैसल को 14 अगस्त को दिल्ली एयरपोर्ट पर हिरासत में ले लिया गया था.

शाह फैसल
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Published : Sep 13, 2019, 10:35 AM IST

Updated : Sep 30, 2019, 10:38 AM IST

नई दिल्लीः जम्मू कश्मीर में भारतीय प्रशासनिक सेवा की नौकरी छोड़कर शाह फैसल राजनीति में सक्रिय हो गए. फैसल ने अपनी हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका वापस न्यायलय से वापस ले लिया. इस दौरान उन्होंने ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि जम्मू-कश्मीर के सैकड़ों निवासियों को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिया गया है और उनके पास कोई कानूनी सहायता उपलब्ध नहीं है.

केंद्र की ओर से अदालत में पेश हुए सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति मनमोहन एवं न्यायमूर्ति संगीता धींगरा सहगल को बताया कि वह याचिका वापस लेने के लिए फैसल की पत्नी की ओर से दायर हलफनामे की सामग्री को स्वीकार नहीं करते हैं.

इस संबंध में फैसल की पत्नी की ओर से हलफनामा दाखिल किए जाने के बाद उच्च न्यायालय ने पूर्व नौकरशाह को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी.

फैसल की पत्नी ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि वह हाल ही में उनसे हिरासत में मिली थीं और उसे बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका वापस लेने के निर्देश मिले हैं. इसके तहत हिरासत में अथवा अवैध हिरासत में रखे गये व्यक्ति को अदालत के समक्ष पेश किया जा सके.

पढ़ेंः अनुच्छेद 370 खत्म होने के खिलाफ पड़ी याचिकाएं, सरकार के फैसले का समर्थन

फैसल की पत्नी ने कहा कि 10 सितंबर को मैं (पत्नी) याचिकाकर्ता (फैसल) से 11:30 बजे से दोपहर 12 बजे तक श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस केंद्र में स्थित हिरासत केंद्र में मिली थी, जहां उन्हें रखा गया है. इस मुलाकात के दौरान मुझे याचिकाकर्ता की ओर से मौजूदा याचिका वापस लेने का स्पष्ट मौखिक संदेश मिला.

हलफनामा में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने मुझे बताया कि इस तथ्य के मद्देनजर कि जम्मू कश्मीर के सैकड़ों निवासियों को गैर कानूनी तरीके से हफ्तों से हिरासत में रखा गया है और उन्हें अब तक रिहा नहीं किया गया है. इस तथ्य से अवगत होने के कारण कि इनमें से कई या अधिकांश के पास कोई कानूनी परामर्श या अन्य उपाय नहीं हैं. वह अब अपने अवैध हिरासत के खिलाफ कानूनी उपाय के रूप में वर्तमान याचिका को आगे बढ़ाने की इच्छा नहीं रखते हैं. इसलिए इस अदालत से अनुरोध किया जाता है कि वह याचिकाकर्ता को वर्तमान याचिका को वापस लेने की अनुमति दे.

फैसल की रिहाई के लिए उनके एक मित्र ने यह बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है.

पढ़ेंः शाह फैसल ने अदालत में कहा, एलओसी जारी करना सत्ता का दुर्भावनापूर्ण इस्तेमाल

इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि पूर्व प्रशासनिक अधिकारी को 14 अगस्त को अवैध रूप से दिल्ली हवाई अड्डे पर हिरासत में ले लिया गया जहां से उन्हें श्रीनगर लाया गया जहां वह हिरासत में रखे गए हैं.

नई दिल्लीः जम्मू कश्मीर में भारतीय प्रशासनिक सेवा की नौकरी छोड़कर शाह फैसल राजनीति में सक्रिय हो गए. फैसल ने अपनी हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका वापस न्यायलय से वापस ले लिया. इस दौरान उन्होंने ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि जम्मू-कश्मीर के सैकड़ों निवासियों को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिया गया है और उनके पास कोई कानूनी सहायता उपलब्ध नहीं है.

केंद्र की ओर से अदालत में पेश हुए सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति मनमोहन एवं न्यायमूर्ति संगीता धींगरा सहगल को बताया कि वह याचिका वापस लेने के लिए फैसल की पत्नी की ओर से दायर हलफनामे की सामग्री को स्वीकार नहीं करते हैं.

इस संबंध में फैसल की पत्नी की ओर से हलफनामा दाखिल किए जाने के बाद उच्च न्यायालय ने पूर्व नौकरशाह को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी.

फैसल की पत्नी ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि वह हाल ही में उनसे हिरासत में मिली थीं और उसे बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका वापस लेने के निर्देश मिले हैं. इसके तहत हिरासत में अथवा अवैध हिरासत में रखे गये व्यक्ति को अदालत के समक्ष पेश किया जा सके.

पढ़ेंः अनुच्छेद 370 खत्म होने के खिलाफ पड़ी याचिकाएं, सरकार के फैसले का समर्थन

फैसल की पत्नी ने कहा कि 10 सितंबर को मैं (पत्नी) याचिकाकर्ता (फैसल) से 11:30 बजे से दोपहर 12 बजे तक श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस केंद्र में स्थित हिरासत केंद्र में मिली थी, जहां उन्हें रखा गया है. इस मुलाकात के दौरान मुझे याचिकाकर्ता की ओर से मौजूदा याचिका वापस लेने का स्पष्ट मौखिक संदेश मिला.

हलफनामा में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने मुझे बताया कि इस तथ्य के मद्देनजर कि जम्मू कश्मीर के सैकड़ों निवासियों को गैर कानूनी तरीके से हफ्तों से हिरासत में रखा गया है और उन्हें अब तक रिहा नहीं किया गया है. इस तथ्य से अवगत होने के कारण कि इनमें से कई या अधिकांश के पास कोई कानूनी परामर्श या अन्य उपाय नहीं हैं. वह अब अपने अवैध हिरासत के खिलाफ कानूनी उपाय के रूप में वर्तमान याचिका को आगे बढ़ाने की इच्छा नहीं रखते हैं. इसलिए इस अदालत से अनुरोध किया जाता है कि वह याचिकाकर्ता को वर्तमान याचिका को वापस लेने की अनुमति दे.

फैसल की रिहाई के लिए उनके एक मित्र ने यह बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है.

पढ़ेंः शाह फैसल ने अदालत में कहा, एलओसी जारी करना सत्ता का दुर्भावनापूर्ण इस्तेमाल

इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि पूर्व प्रशासनिक अधिकारी को 14 अगस्त को अवैध रूप से दिल्ली हवाई अड्डे पर हिरासत में ले लिया गया जहां से उन्हें श्रीनगर लाया गया जहां वह हिरासत में रखे गए हैं.

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DL-HC-SHAH FAESAL-AFFIDAVIT
Hundreds of detained J&K residents have no legal assistance: Shah Faesal to HC
          New Delhi, Sep 12 (PTI) Hundreds of residents have been unlawfully detained in Jammu and Kashmir and have no legal assistance, bureaucrat-turned-politician Shah Faesal told the Delhi High Court on Thursday while seeking permission to withdraw a plea challenging his detention.
          The former IAS officer told the high court that he does not wish to pursue the habeas corpus plea against his unlawful detention as "most of the detenus" have no legal counsel or other remedies.
          Solicitor General Tushar Mehta, appearing for the Centre, told a bench of Justices Manmohan and Sangita Dhingra Sehgal that they do not admit the contents of the affidavit filed by Faesal's wife to withdraw the petition.
          The high court allowed Faesal to withdraw his plea after his wife filed an affidavit in this regard.
          Faesal's wife told the high court that she recently met him in custody and has received instructions to withdraw the habeas corpus plea which requires a person under detention or illegal custody to be brought before a court.
          "That on September 10, I (wife) met the petitioner (Faesal) from 11:30 am to 12 noon, in the lobby of the detention centre where he is being held, which is Sher-i-Kashmir International Conference Centre in Srinagar. In this meeting, I received clear oral instructions from the petitioner to withdraw the present petition.
          "The petitioner communicated to me that in consideration of the fact that hundreds of other residents of the state of Jammu and Kashmir have been unlawfully detained in the intervening weeks and have not been released as of yet, being aware of the fact that many or most of the these detenus have no legal counsel or other remedies, he no longer wishes to pursue the present petition as a legal remedy against his unlawful detention. Therefore this court is requested to kindly permit the petitioner to withdraw the present petition," the affidavit said.
          The habeas corpus has been filed by "a parokar (next friend)" of Faesal seeking his release.
          The petition alleged that the former IAS officer was illegally detained at the Delhi airport on August 14 and taken back to Srinagar, where he has been kept under detention. PTI PKS SKV
SMN
09121847
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Last Updated : Sep 30, 2019, 10:38 AM IST
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