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लॉकडाउन के कारण कर्ज में डूबीं सोनागाछी की यौन कर्मी : सर्वेक्षण

कोरोना वायरस के कारण फैली महामारी ने सभी के जीवन को प्रभावित किया है. ऐसा कोई नहीं है जो इसके कहर से अछूता हो. हालांकि, किसी पर इसका असर कम हुआ किसी पर ज्यादा और कुछ लोगों को इस महामारी ने कई वर्षों पीछे ढकेल दिया. एशिया के सबसे बड़े 'रेड लाइट' इलाके सोनागाछी की करीब 89 प्रतिशत यौनकर्मियों ने भारी कर्ज ले रखा है. कर्ज के बोझ तले दबी इन महिलाओं की दशा बद से बदतर होती जा रही है.

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Published : Oct 30, 2020, 8:06 PM IST

sex workers of sonagachi
प्रतीकात्मक फोटो

कोलकाता : एशिया के सबसे बड़े 'रेड लाइट' इलाके सोनागाछी की करीब 89 प्रतिशत यौनकर्मियों को, कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान आय का जरिया न होने के कारण गुजर-बसर के लिए भारी कर्ज लेना पड़ा और अब उनके लिए यह कर्ज चुकाना मुश्किल होता जा रहा है.

गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) 'एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग' के सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि वैश्विक महामारी के समाप्त होने के बाद 73 प्रतिशत यौन कर्मी इस काम को छोड़ना चाहती हैं और आय के नए अवसर तलाशना चाहती हैं, लेकिन वे ऐसा नहीं सकतीं, क्योंकि उन्होंने असंगठित क्षेत्रों- खासकर साहूकारों, वेश्यालयों के मालिकों और दलालों से कर्ज ले रखा है.

सर्वेक्षण की रिपोर्ट में कहा गया है, 'सोनागाछी की करीब 89 फीसदी यौनकर्मी वैश्विक महामारी के दौरान कर्ज के जाल में फंस गई हैं. इनमें से 81 फीसदी से अधिक कर्मियों ने असंगठित क्षेत्रों-खासकर साहूकारों, वेश्यालयों के मालिकों और दलालों से उधार लिया है. इस वजह से उनका आगे भी शोषण होते रहने की आशंका है. करीब 73 फीसदी यौनकर्मी देह व्यापार को छोड़ना चाहती हैं, लेकिन अब वे शायद ऐसा नहीं कर सकेंगी, क्योंकि उन्होंने जीवित रहने के लिए भारी कर्ज लिया है.'

सोनागाछी में करीब 7,000 यौनकर्मी रहती हैं. मार्च से ही काम बंद होने के कारण उनके पास आमदनी का कोई साधन नहीं है. सोनागाछी में जुलाई से करीब 65 प्रतिशत कारोबार पुन: आरम्भ हो गया है. इस सर्वेक्षण के लिए करीब 98 प्रतिशत यौनकर्मियों से संपर्क किया गया था.

'एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग ऑर्गेनाइजेशन' के राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष तपन साहा ने कहा, 'कर्ज के बोझ तले दब चुकीं इन यौनकर्मियों के पास इससे बाहर निकलने कोई रास्ता नहीं है. भले ही लॉकडाउन समाप्त हो गया है, लेकिन वे संक्रमण के खतरे के कारण काम नहीं कर सकतीं. ऐसे समय में, राज्य सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए और कोई वैकल्पिक योजना तैयार करने में उनकी मदद करनी चाहिए.'

यौनकर्मियों के कल्याण के लिए काम करने वाले संगठन 'दरबार' के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि लॉकडाउन लागू होने के बाद से ही यौनकर्मी आर्थिक संकट से जूझ रही हैं. उन्होंने कहा कि 'केवल 65 प्रतिशत कारोबार ही शुरू हुआ है और पहले की तरह कारोबार नहीं होने की वजह से आर्थिक संकट बढ़ गया है.

यौनकर्मी एक सहकारी बैंक चलाती हैं, लेकिन सभी इसकी सदस्य नहीं हैं. यौनकर्मी वेश्यालयों के मालिकों और दलालों से ही उधार लेने को प्राथमिकता देती हैं, क्योंकि इसके लिए किसी कागज की जरूरत नहीं होती.'

जब इस मामले में राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री शशि पांजा से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस तरह के किसी सर्वेक्षण की जानकारी नहीं हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने लॉकडाउन के दौरान यौनकर्मियों को हर संभव मदद मुहैया कराई है.

मंत्री ने कहा कि 'मुझे ऐसे किसी सर्वेक्षण की जानकारी नहीं है. यदि यौनकर्मी हमें इस संबंध में पत्र लिखती हैं तो हम इस मामले को देखेंगे. राज्य सरकार ने मार्च में लॉकडाउन लागू होने के बाद से ही उन्हें नि:शुल्क राशन मुहैया कराने समेत हर प्रकार की मदद दी है.'

कोलकाता : एशिया के सबसे बड़े 'रेड लाइट' इलाके सोनागाछी की करीब 89 प्रतिशत यौनकर्मियों को, कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान आय का जरिया न होने के कारण गुजर-बसर के लिए भारी कर्ज लेना पड़ा और अब उनके लिए यह कर्ज चुकाना मुश्किल होता जा रहा है.

गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) 'एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग' के सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि वैश्विक महामारी के समाप्त होने के बाद 73 प्रतिशत यौन कर्मी इस काम को छोड़ना चाहती हैं और आय के नए अवसर तलाशना चाहती हैं, लेकिन वे ऐसा नहीं सकतीं, क्योंकि उन्होंने असंगठित क्षेत्रों- खासकर साहूकारों, वेश्यालयों के मालिकों और दलालों से कर्ज ले रखा है.

सर्वेक्षण की रिपोर्ट में कहा गया है, 'सोनागाछी की करीब 89 फीसदी यौनकर्मी वैश्विक महामारी के दौरान कर्ज के जाल में फंस गई हैं. इनमें से 81 फीसदी से अधिक कर्मियों ने असंगठित क्षेत्रों-खासकर साहूकारों, वेश्यालयों के मालिकों और दलालों से उधार लिया है. इस वजह से उनका आगे भी शोषण होते रहने की आशंका है. करीब 73 फीसदी यौनकर्मी देह व्यापार को छोड़ना चाहती हैं, लेकिन अब वे शायद ऐसा नहीं कर सकेंगी, क्योंकि उन्होंने जीवित रहने के लिए भारी कर्ज लिया है.'

सोनागाछी में करीब 7,000 यौनकर्मी रहती हैं. मार्च से ही काम बंद होने के कारण उनके पास आमदनी का कोई साधन नहीं है. सोनागाछी में जुलाई से करीब 65 प्रतिशत कारोबार पुन: आरम्भ हो गया है. इस सर्वेक्षण के लिए करीब 98 प्रतिशत यौनकर्मियों से संपर्क किया गया था.

'एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग ऑर्गेनाइजेशन' के राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष तपन साहा ने कहा, 'कर्ज के बोझ तले दब चुकीं इन यौनकर्मियों के पास इससे बाहर निकलने कोई रास्ता नहीं है. भले ही लॉकडाउन समाप्त हो गया है, लेकिन वे संक्रमण के खतरे के कारण काम नहीं कर सकतीं. ऐसे समय में, राज्य सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए और कोई वैकल्पिक योजना तैयार करने में उनकी मदद करनी चाहिए.'

यौनकर्मियों के कल्याण के लिए काम करने वाले संगठन 'दरबार' के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि लॉकडाउन लागू होने के बाद से ही यौनकर्मी आर्थिक संकट से जूझ रही हैं. उन्होंने कहा कि 'केवल 65 प्रतिशत कारोबार ही शुरू हुआ है और पहले की तरह कारोबार नहीं होने की वजह से आर्थिक संकट बढ़ गया है.

यौनकर्मी एक सहकारी बैंक चलाती हैं, लेकिन सभी इसकी सदस्य नहीं हैं. यौनकर्मी वेश्यालयों के मालिकों और दलालों से ही उधार लेने को प्राथमिकता देती हैं, क्योंकि इसके लिए किसी कागज की जरूरत नहीं होती.'

जब इस मामले में राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री शशि पांजा से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस तरह के किसी सर्वेक्षण की जानकारी नहीं हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने लॉकडाउन के दौरान यौनकर्मियों को हर संभव मदद मुहैया कराई है.

मंत्री ने कहा कि 'मुझे ऐसे किसी सर्वेक्षण की जानकारी नहीं है. यदि यौनकर्मी हमें इस संबंध में पत्र लिखती हैं तो हम इस मामले को देखेंगे. राज्य सरकार ने मार्च में लॉकडाउन लागू होने के बाद से ही उन्हें नि:शुल्क राशन मुहैया कराने समेत हर प्रकार की मदद दी है.'

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