लखनऊः सरकारी सेवाओं में दक्षता तथा पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार सात पुलिस उपाधीक्षकों तथा सहायक सेनानायकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति प्रदान कर दी गई है.
अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि स्क्रीनिंग कमेटी की सिफारिश पर शासन ने प्रान्तीय पुलिस सेवा संवर्ग के 50 वर्ष या उससे अधिक आयु के सात पुलिस उपाधीक्षकों/ सहायक सेनानायकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति प्रदान की.
अवस्थी के अनुसार, प्रान्तीय पुलिस सेवा संवर्ग के जिन सात पुलिस उपाधीक्षकों/ सहायक सेनानायकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति प्रदान की गई वह क्रमश: अरुण कुमार (सहायक सेनानायक 15वीं वाहिनी पीएसी, जनपद आगरा), विनोद कुमार राना (पुलिस उपाधीक्षक जनपद अयोध्या), नरेन्द्र सिंह राना (पुलिस उपाधीक्षक जनपद आगरा), रतन कुमार यादव (सहायक सेनानायक 33वीं वाहिनी पीएसी, झांसी), तेजवीर सिंह यादव (सहायक सेनानायक 27वीं वाहिनी पीएसी, सीतापुर), संतोष कुमार सिंह (मण्डलाधिकारी मुरादाबाद) तथा तनवीर अहमद खां (सहायक सेनानायक 30वीं वाहिनी पीएसी, गोण्डा) हैं.
एक सरकारी बयान में बताया गया कि प्रदेश सरकार 'भ्रष्टाचार कतई बर्दाश्त नहीं की नीति पर काम कर रही है. इसके तहत पिछले दो वर्षों में अलग-अलग विभागों के 200 से ज्यादा अफसरों और कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है.
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इन दो वर्षों में योगी सरकार ने 400 से ज्यादा अफसरों, कर्मचारियों को निलंबन और पदावनति जैसे दंड भी दिए हैं.
राज्य सरकार ऊर्जा विभाग में 169 अधिकारियों, गृह विभाग के 51 अधिकारियों, परिवहन विभाग के 37 अधिकारियों, राजस्व विभाग के 36 अधिकारियों, बेसिक शिक्षा विभाग के 26 अधिकारियों, पंचायतीराज विभाग के 25 अधिकारियों, लोक निर्माण विभाग के 18 अधिकारियों, श्रम विभाग के 16 अधिकारियों, संस्थागत वित्त विभाग के 16 अधिकारियों, वाणिज्यिक कर विभाग के 16 अधिकारियों, मनोरंजन कर विभाग के 16 अधिकारियों, ग्राम्य विकास के 15 अधिकारियों और वन विभाग के 11 अधिकारियों पर कार्रवाई कर चुकी है.