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छत्तीसगढ़ : तीन महीने से खदान में जल रही आग, प्रबंधन पर उठे सवाल

कोरबा जिले की कुसमुंडा खदान में कोयला डिस्पैच की गति कम होने की वजह से प्रबंधन को भारी नुकसान हो रहा है. दरअसल, डंपिंग यार्ड स्पॉन्टेनियस हीटिंग के कारण कोयले में आग लग गई है. जो बीते 3 महीने से बुझने का नाम नहीं ले रही है. जिससे अब तक करीब 15 हजार टन कोयला जलकर खाक हो चुका है, अब इस मामले में प्रबंधन पर भी सवाल उठने लगे हैं.

कुसमुंडा खदान
कुसमुंडा खदान
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Published : Jul 12, 2020, 10:49 PM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले की कुसमुंडा ओपन कास्ट कोल माइंस देश के सबसे बड़े दो कोयला खदानों में से एक है. यहां कोयले का अकूत भंडार है. यहां मार्च से ही भीषण आग लगी हुई है, जो अब तक नहीं बुझी है. इसे लेकर अब कोल माइंस प्रबंधन पर कई सवाल उठने लगे हैं.

दरअसल, कुसमुंडा खदान में लॉकडान के दौरान जब परिवहन बंद था, तो कोल माइंस से कोयला निकाल पास में ही बरपाली डंपिंग यार्ड में स्टॉक किया जा रहा था. इस डंपिंग यार्ड में लाखों टन कोयले को डंप कर रखा गया है. इस डंपिंग यार्ड में मार्च में स्पॉन्टेनियस हीटिंग के कारण आग लग गई थी. जिसे बुझाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन 3 महीने बाद भी इस आग को नहीं बुझाया जा सका है.

जानकारों के मुताबिक, पहली बारिश के बाद कोयले की आग और तेज हो गई है, क्योंकि पानी के संपर्क में आने के कारण जल रहे कोयले को ऑक्सीजन मिल गया है. कुछ जानकारों का कहना है कि आमतौर पर कोयला खदानों में आग लगती रहती है, लेकिन समय के साथ और ऑक्सीजन की कमी से कई बार ये आग खुद ही बुझ जाती है. इस बार आग बुझाने पर भी नहीं बुझ रही है, जिससे अधिकारियों की चिंता बढ़ गई है.

तमाम कोशिशों के बाद भी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) प्रबंधन कोयले में लगी आग को बुझा नहीं पा रहा है. SECL प्रबंधन के मुताबिक, स्टॉक पर लगातार पानी का छिड़काव किया जा रहा है, लेकिन पानी की मात्रा कम होने के कारण आग बुझने की बजाय और तेज हो रही है.


धुआं से कर्मचारियों को परेशानी
कोयले में लगी आग धीरे-धीरे और बढ़ती ही जा रही है. आसपास के लोग बताते हैं कि मार्च से लगातार डंपिंग यार्ड से 24 घंटे धुआं निकल रहा है. जिससे आसपास के लोगों के साथ इस कोल माइंस में काम करने वाले कर्मचारी भी परेशान हो रहे हैं. कई कर्मचारियों को सांस संबंधी शिकायतें आ भी रही हैं.

पढ़ें- बिहार : पुलिस टीम पर हो सकता है नक्सली हमला

गड़बड़ी की आशंका
कुछ जानकारों की मानें तो कोल खदानों में आग लगना कई बड़े अधिकारियों के लिए फायदेमंद होता है. इसकी आड़ में कोल खदानों के अंदर कई तरह की गड़बड़ियां को भी अंजाम दिया जाता है. कोल खदान में लगी आग से कई बार अधिकारियों की जेब भी गर्म होती है.

इस कोल माइंस में भी ऐसी आशंका जताई जा रही है. क्योंकि देश के सबसे बड़े कोल खदान में 3 महीने से पाइप लाइन के सहारे आग बुझाई जा रही है, लेकिन अब तक स्प्रिंकलर या अन्य कोई भी ठोस इंतजाम नहीं किए गए हैं.

15 हजार टन कोयला खाक
SECL सेफ्टी बोर्ड के मेंबर सीएम मनोहर का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान रोड सेल के जरिए से जिस कोयले का परिवहन किया जाता है, वहीं स्टॉक ज्यादा मात्रा में जमा हो गया था. अनुमान है कि 15 हजार टन कोयला अब तक जलकर खाक हो चुका है.

हालांकि, प्रबंधन आग पर काबू पाने का प्रयास कर रहा है. इधर, कुसमुंडा खदान में लगी भीषण आग के बारे में जब जीएम रंजन शाह से संपर्क किया गया, तो उन्हेंने फोन नहीं उठाया.

रायपुर : छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले की कुसमुंडा ओपन कास्ट कोल माइंस देश के सबसे बड़े दो कोयला खदानों में से एक है. यहां कोयले का अकूत भंडार है. यहां मार्च से ही भीषण आग लगी हुई है, जो अब तक नहीं बुझी है. इसे लेकर अब कोल माइंस प्रबंधन पर कई सवाल उठने लगे हैं.

दरअसल, कुसमुंडा खदान में लॉकडान के दौरान जब परिवहन बंद था, तो कोल माइंस से कोयला निकाल पास में ही बरपाली डंपिंग यार्ड में स्टॉक किया जा रहा था. इस डंपिंग यार्ड में लाखों टन कोयले को डंप कर रखा गया है. इस डंपिंग यार्ड में मार्च में स्पॉन्टेनियस हीटिंग के कारण आग लग गई थी. जिसे बुझाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन 3 महीने बाद भी इस आग को नहीं बुझाया जा सका है.

जानकारों के मुताबिक, पहली बारिश के बाद कोयले की आग और तेज हो गई है, क्योंकि पानी के संपर्क में आने के कारण जल रहे कोयले को ऑक्सीजन मिल गया है. कुछ जानकारों का कहना है कि आमतौर पर कोयला खदानों में आग लगती रहती है, लेकिन समय के साथ और ऑक्सीजन की कमी से कई बार ये आग खुद ही बुझ जाती है. इस बार आग बुझाने पर भी नहीं बुझ रही है, जिससे अधिकारियों की चिंता बढ़ गई है.

तमाम कोशिशों के बाद भी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) प्रबंधन कोयले में लगी आग को बुझा नहीं पा रहा है. SECL प्रबंधन के मुताबिक, स्टॉक पर लगातार पानी का छिड़काव किया जा रहा है, लेकिन पानी की मात्रा कम होने के कारण आग बुझने की बजाय और तेज हो रही है.


धुआं से कर्मचारियों को परेशानी
कोयले में लगी आग धीरे-धीरे और बढ़ती ही जा रही है. आसपास के लोग बताते हैं कि मार्च से लगातार डंपिंग यार्ड से 24 घंटे धुआं निकल रहा है. जिससे आसपास के लोगों के साथ इस कोल माइंस में काम करने वाले कर्मचारी भी परेशान हो रहे हैं. कई कर्मचारियों को सांस संबंधी शिकायतें आ भी रही हैं.

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गड़बड़ी की आशंका
कुछ जानकारों की मानें तो कोल खदानों में आग लगना कई बड़े अधिकारियों के लिए फायदेमंद होता है. इसकी आड़ में कोल खदानों के अंदर कई तरह की गड़बड़ियां को भी अंजाम दिया जाता है. कोल खदान में लगी आग से कई बार अधिकारियों की जेब भी गर्म होती है.

इस कोल माइंस में भी ऐसी आशंका जताई जा रही है. क्योंकि देश के सबसे बड़े कोल खदान में 3 महीने से पाइप लाइन के सहारे आग बुझाई जा रही है, लेकिन अब तक स्प्रिंकलर या अन्य कोई भी ठोस इंतजाम नहीं किए गए हैं.

15 हजार टन कोयला खाक
SECL सेफ्टी बोर्ड के मेंबर सीएम मनोहर का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान रोड सेल के जरिए से जिस कोयले का परिवहन किया जाता है, वहीं स्टॉक ज्यादा मात्रा में जमा हो गया था. अनुमान है कि 15 हजार टन कोयला अब तक जलकर खाक हो चुका है.

हालांकि, प्रबंधन आग पर काबू पाने का प्रयास कर रहा है. इधर, कुसमुंडा खदान में लगी भीषण आग के बारे में जब जीएम रंजन शाह से संपर्क किया गया, तो उन्हेंने फोन नहीं उठाया.

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