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पीएफआई पर हिंसा भड़काने का आरोप गलत : तस्लीम रहमानी

सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के नेशनल सेक्रेटरी तस्लीम रहमानी ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध लगाए जाने की कोशिशों पर प्रतिक्रिया दी है. उनका कहना है कि पीएफआई पर हिंसा भड़काने का आरोप बिल्कुल गलत है और यूपी पुलिस द्वारा जो रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपी गई है, वह बिल्कुल झूठी है. पढ़ें पूरी खबर...

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तस्लीम रेहमानी
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Published : Jan 2, 2020, 10:36 PM IST

नई दिल्ली : सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के नेशनल सेक्रेटरी तस्लीम रहमानी ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को प्रतिबंधित किए जाने की कोशिश पर नाराजगी जाहिर की है.

रहमानी ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ पूरे देश में सभी धर्मों और विपक्षी पार्टियों द्वारा विरोध प्रदर्शन किए गए, लेकिन सिर्फ पीएफआई पर हिंसा भड़काने का आरोप बिल्कुल गलत है और यूपी पुलिस द्वारा जो रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपी गई है, वह बिल्कुल झूठी है.

तस्लीम रहमानी का बयान

रहमानी से ईटीवी भारत ने बातचीत में यूपी पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदेश भर में जो बर्बरता की गई है. उसे छिपाने के लिए वह ऐसा कर रही है.

उन्होंने कहा कि देशभर में हो रहे प्रदर्शन से सरकार घबरा गई है क्योंकि सभी धर्मों के लोग एक साथ आ चुके हैं. इसलिए पीएफआई का नाम सामने लाया गया है क्योंकि यह सिर्फ एक धर्म के बारे में बात करती है.

एसडीपीआई के नेशनल सेक्रेटरी ने कहा कि यूपी पुलिस द्वारा विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा में लिप्त पांच हजार से अधिक लोगों की गिरफ्तारियां की गईं. गिरफ्तार लोगों में दस से बारह लोग ही पीएफआई से जुड़े हैं.

यूपी पुलिस की एफआईआर में कई धर्म के लोगों के नाम शामिल हैं तो सिर्फ पीएफआई को ही निशाना क्यों बनाया जा रहा है.

ये भी पढ़ें- CAA के खिलाफ प्रदर्शन में PFI की भूमिका, गृह मंत्रालय करेगा फैसला : रविशंकर प्रसाद

बता दें कि पीएफआई को बैन करने का यूपी सरकार का पत्र केंद्रीय गृह मंत्रालय को मिल चुका है. मंत्रालय अब पीएफआई के पिछले महीनों की गतिविधियों की समीक्षा करेगा, जिसमें खुफिया एजेंसियों और एनआईए से इनपुट लिया जाएगा. यूपी पुलिस द्वारा पीएफआई के 25 सदस्यों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

झारखंड में पीएफआई पर पहले ही प्रतिबंध लगा है और अब गृह मंत्रालय यूपी सरकार की रिपोर्ट के बाद पूरे देश में इस संगठन पर बैन लगा सकता है. सूत्रों की मानें तो पीएफआई से जुड़े लोगों पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है.

नई दिल्ली : सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के नेशनल सेक्रेटरी तस्लीम रहमानी ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को प्रतिबंधित किए जाने की कोशिश पर नाराजगी जाहिर की है.

रहमानी ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ पूरे देश में सभी धर्मों और विपक्षी पार्टियों द्वारा विरोध प्रदर्शन किए गए, लेकिन सिर्फ पीएफआई पर हिंसा भड़काने का आरोप बिल्कुल गलत है और यूपी पुलिस द्वारा जो रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपी गई है, वह बिल्कुल झूठी है.

तस्लीम रहमानी का बयान

रहमानी से ईटीवी भारत ने बातचीत में यूपी पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदेश भर में जो बर्बरता की गई है. उसे छिपाने के लिए वह ऐसा कर रही है.

उन्होंने कहा कि देशभर में हो रहे प्रदर्शन से सरकार घबरा गई है क्योंकि सभी धर्मों के लोग एक साथ आ चुके हैं. इसलिए पीएफआई का नाम सामने लाया गया है क्योंकि यह सिर्फ एक धर्म के बारे में बात करती है.

एसडीपीआई के नेशनल सेक्रेटरी ने कहा कि यूपी पुलिस द्वारा विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा में लिप्त पांच हजार से अधिक लोगों की गिरफ्तारियां की गईं. गिरफ्तार लोगों में दस से बारह लोग ही पीएफआई से जुड़े हैं.

यूपी पुलिस की एफआईआर में कई धर्म के लोगों के नाम शामिल हैं तो सिर्फ पीएफआई को ही निशाना क्यों बनाया जा रहा है.

ये भी पढ़ें- CAA के खिलाफ प्रदर्शन में PFI की भूमिका, गृह मंत्रालय करेगा फैसला : रविशंकर प्रसाद

बता दें कि पीएफआई को बैन करने का यूपी सरकार का पत्र केंद्रीय गृह मंत्रालय को मिल चुका है. मंत्रालय अब पीएफआई के पिछले महीनों की गतिविधियों की समीक्षा करेगा, जिसमें खुफिया एजेंसियों और एनआईए से इनपुट लिया जाएगा. यूपी पुलिस द्वारा पीएफआई के 25 सदस्यों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

झारखंड में पीएफआई पर पहले ही प्रतिबंध लगा है और अब गृह मंत्रालय यूपी सरकार की रिपोर्ट के बाद पूरे देश में इस संगठन पर बैन लगा सकता है. सूत्रों की मानें तो पीएफआई से जुड़े लोगों पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है.

Intro:नई दिल्ली। एसडीपीआई के नेशनल सेक्रेटरी तस्लीम रेहमानी ने यूपी पुलिस द्वारा गृह मंत्रालय से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध लगाए जाने पर कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून 2019 के खिलाफ पूरे देश में सभी धर्मों और विपक्षी पार्टियों द्वारा विरोध-प्रदर्शन किए गए और इसके खिलाफ सिर्फ पीएफआई पर हिंसा भड़काने का आरोप बिल्कुल गलत है और यूपी पुलिस द्वारा जो रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपी गई है वह बिल्कुल झूठी है।


Body:तस्लीम रहमानी ने यूपी पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके द्वारा नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदेश भर में जो बर्बरता की गई है उसे छिपाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश भर में हो रहे प्रदर्शन से सरकार घबरा गई है क्योंकि सभी धर्मों के लोग एक साथ आ चुके हैं और इसलिए पीएफआई का नाम सामने लाया गया है क्योंकि यह सिर्फ एक धर्म के बारे में बात करती है।

एसडीपीआई के नेशनल सेक्रेटरी ने कहा कि यूपी पुलिस द्वारा विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा में लिप्त 5000 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हुई और उसमें सिर्फ सिर्फ 10-12 लोग पीएफआई से जुड़े हैं। युपी पुलिस की एफआईआर में कई धर्म के लोगों के नाम शामिल हैं तो उसे सिर्फ पीएफआई को ही निशाना क्यों बनाया जा रहा है।



Conclusion:बता दें कि पीएफआई को बैन करने का यूपी सरकार का लेटर केंद्रीय गृह मंत्रालय को मिल चुका है। अब मंत्रालय पीएफआई के पिछले महीनों की गतिविधियों की समीक्षा करेगा जिसमें खुफिया एजेंसियों और एनआईए से इनपुट लिया जा सके।यूपी पुलिस द्वारा पीएफआई के 25 सदस्यों को गिरफ्तार किया जा चुका है।


झारखंड में पीएफआई पर पहले ही प्रतिबंध लगा है और अब गृह मंत्रालय यूपी सरकार की रिपोर्ट के बाद पूरे देश में इस संगठन पर बैन लगा सकता है। सूत्रों की माने तो पीएफआई से जुड़े लोगों पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है।
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