नई दिल्ली : सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के नेशनल सेक्रेटरी तस्लीम रहमानी ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को प्रतिबंधित किए जाने की कोशिश पर नाराजगी जाहिर की है.
रहमानी ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ पूरे देश में सभी धर्मों और विपक्षी पार्टियों द्वारा विरोध प्रदर्शन किए गए, लेकिन सिर्फ पीएफआई पर हिंसा भड़काने का आरोप बिल्कुल गलत है और यूपी पुलिस द्वारा जो रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपी गई है, वह बिल्कुल झूठी है.
रहमानी से ईटीवी भारत ने बातचीत में यूपी पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदेश भर में जो बर्बरता की गई है. उसे छिपाने के लिए वह ऐसा कर रही है.
उन्होंने कहा कि देशभर में हो रहे प्रदर्शन से सरकार घबरा गई है क्योंकि सभी धर्मों के लोग एक साथ आ चुके हैं. इसलिए पीएफआई का नाम सामने लाया गया है क्योंकि यह सिर्फ एक धर्म के बारे में बात करती है.
एसडीपीआई के नेशनल सेक्रेटरी ने कहा कि यूपी पुलिस द्वारा विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा में लिप्त पांच हजार से अधिक लोगों की गिरफ्तारियां की गईं. गिरफ्तार लोगों में दस से बारह लोग ही पीएफआई से जुड़े हैं.
यूपी पुलिस की एफआईआर में कई धर्म के लोगों के नाम शामिल हैं तो सिर्फ पीएफआई को ही निशाना क्यों बनाया जा रहा है.
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बता दें कि पीएफआई को बैन करने का यूपी सरकार का पत्र केंद्रीय गृह मंत्रालय को मिल चुका है. मंत्रालय अब पीएफआई के पिछले महीनों की गतिविधियों की समीक्षा करेगा, जिसमें खुफिया एजेंसियों और एनआईए से इनपुट लिया जाएगा. यूपी पुलिस द्वारा पीएफआई के 25 सदस्यों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
झारखंड में पीएफआई पर पहले ही प्रतिबंध लगा है और अब गृह मंत्रालय यूपी सरकार की रिपोर्ट के बाद पूरे देश में इस संगठन पर बैन लगा सकता है. सूत्रों की मानें तो पीएफआई से जुड़े लोगों पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है.