नई दिल्ली : नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांस्फॉर्मिंग इंडिया (NITI आयोग) ने स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता का इंडेक्स (School Education Quality Index) जारी किया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा के शिक्षण संस्थानों में शिक्षा पर सबसे ज्यादा सुधार हुआ है. ओवरऑल मापदंड के आधार पर केरल शीर्ष पर रहा है.
देश भर के राज्यों के प्रदर्शन में बहुत बड़ा अंतर दिखाते हुए, नीति आयोग ने अपने स्कूल शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक में 81.9 प्रतिशत अंक के साथ केरल को नंबर 1 स्थान पर रखा, जबकि हरियाणा ने इंक्रीमेंटल प्रदर्शन रैंकिंग में सर्वोच्च स्कोर किया. जबकि उत्तर प्रदेश ने सबसे कम अंक हासिल किए हैं.
बता दें कि स्कूल शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक (SEQI) स्कूल शिक्षा क्षेत्र में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है, ताकि इस क्षेत्र की शक्तियों और कमजोरियों की पहचान के साथ-साथ आवश्यक सुधारात्मक उपाय किए जा सकें.
इस रिपोर्ट को तीन भागों- बड़े राज्यों, छोटे राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में बांटा गया है.
यह सूचकांक राज्यों के सर्वेक्षण के आंकड़ों, राज्यों और तीसरे पक्ष के सत्यापन से स्व-रिपोर्ट किए गए आंकड़ों के आधार पर सीखने के परिणामों, इक्विटी और बुनियादी ढांचे की सुविधाओं के आधार पर राज्यों का आकंलन करता है.
गौरतलब है कि इस बार 20 बड़े राज्यों में से, 18 ने 2015-16 और 2016-17 के बीच अपने समग्र प्रदर्शन में सुधार किया है, जिसके लिए राज्यों को वृद्धिशील प्रदर्शन रेटिंग दी गई है.
हरियाणा, असम और उत्तर प्रदेश ने अपने प्रदर्शन में सबसे अधिक सुधार किया है, जबकि छोटे राज्यों में, मणिपुर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनकर्ता के रूप में उभरा जबकि यूनियन टेरेटरी की सूची में चंडीगढ़ सबसे ऊपर है.
मीडिया को संबोधित करते हुए, नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि सूचकांक का उद्देश्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को उनकी ताकत और कमजोरियों की पहचान करने और अपेक्षित पाठ्यक्रम सुधार और नीतिगत हस्तक्षेप करने के लिए एक मंच प्रदान करके शिक्षा नीति पर एक फैसला लेना है.
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उन्होंने कहा कि केवल चिंता का विषय इक्विटी इंडेक्स है. उन्होंने बताया कि अधिकांश बड़े राज्यों में 60 प्रतिशत के आसपास समूह है. छोटे राज्यों ने बड़े लोगों की तुलना में बेहतर किया है.
नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा कि हम चाहते हैं कि सभी पृष्ठभूमि के बच्चों को शिक्षा की गुणवत्ता समान रूप से मिलनी चाहिए,
सूचकांक मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विश्व बैंक के सहयोग से सरकार थिंक टैंक द्वारा तैयार किया गया है.
हालांकि, पश्चिम बंगाल ने राज्य के डेटा को साझा करने से इनकार करते हुए इस सूचकांक में भाग नहीं लिया.