नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रबंधन में त्रावणकोर के शाही परिवार का अधिकार बरकरार रहेगा. शीर्ष अदालत ने कहा कि तिरुवनंतपुरम के जिला न्यायाधीश प्रशासनिक समिति की अध्यक्षता करेंगे. यह समिति पद्मनाभस्वामी मंदिर से जुड़े मामलों का प्रबंधन करती है.
इससे पहले न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की पीठ ने इस मामले से जुड़ी याचिकाओं पर पिछले साल 10 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रखा था. इस मामले में केरल उच्च न्यायालय के 31 जनवरी, 2011 के फैसले को चुनौती दी गई थी.
फैसला आने की खुशी
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पद्मनाभस्वामी मंदिर के कार्यकारी अधिकारी वी रथेसन ने कहा कि वह पद्मनाभस्वामी मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुश हैं. उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रशासन के पास मंदिर मामलों पर निर्णय लेने की स्वतंत्रता का अभाव है.
वी रथेसन ने कहा कि नई समिति मंदिर के मामलों पर निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है. इसमें बी वॉल्ट खोले जाने का निर्णय भी शामिल है.
केरल सरकार को फैसला स्वीकार
त्रावणकोर शाही परिवार को लेकर शीर्ष अदालत के फैसले के बारे में देवास्वोम के मंत्री कडकम्पल्ली सुरेंद्रन ने भी खुशी जाहिर की. उन्होंने कहा कि पद्मनाभस्वामी मंदिर से जुड़े मामले में उच्चतम न्यायालय ने सरकार और शाही परिवार सहित सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना अंतिम फैसला सुनाया है.
कडकम्पल्ली सुरेंद्रन ने स्पष्ट किया कि इसके खिलाफ कोई अपील दायर नहीं की जाएगी और सरकार का रुख फैसले को लागू करना है.
गौरतलब है कि कथित वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों के मद्देनजर ऐतिहासिक मंदिर के प्रशासन और प्रबंधन को लेकर विवाद पिछले नौ साल से शीर्ष अदालत में लंबित है. तिरुवनंतपुरम के ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रबंधन संबंधी विवाद की जड़ इस मंदिर में मौजूद अपार संपदा है. इसे देश के सबसे धनी मंदिरों में गिना जाता है.
इस भव्य मंदिर का पुनर्निर्माण 18वीं सदी में इसके मौजूदा स्वरूप में त्रावणकोर शाही परिवार ने कराया था, जिन्होंने 1947 में भारतीय संघ में विलय से पहले दक्षिणी केरल और उससे लगे तमिलनाडु के कुछ भागों पर शासन किया था.
स्वतंत्रता के बाद भी मंदिर का संचालन पूर्ववर्ती राजपरिवार द्वारा नियंत्रित ट्रस्ट करता रहा जिसके कुलदेवता भगवान पद्मनाभ (विष्णु) हैं.
हाईकोर्ट के आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट की रोक
केरल उच्च न्यायालय में कथित वित्तीय अनियमितताओं को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मंदिर, उसकी संपत्तियों का प्रबंधन संभालने तथा परिपाटियों के अनुरूप मंदिर का संचालन करने के लिए एक निकाय या ट्रस्ट बनाने के लिहाज से कदम उठाने का निर्देश दिया था.
- इसके बाद शीर्ष अदालत ने दो मई, 2011 को मंदिर के प्रबंधन और संपत्तियों पर नियंत्रण से संबंधित उच्च न्यायालय के निर्देश पर रोक लगा दी थी.
- उच्चतम न्यायालय ने यह निर्देश भी दिया था कि मंदिर के खजाने में मूल्यवान वस्तुओं, आभूषणों का भी विस्तृत विवरण तैयार किया जाएगा.
- शीर्ष अदालत ने आठ जुलाई, 2011 को कहा था कि मंदिर के तहखाने-बी के खुलने की प्रक्रिया पर अगले आदेश तक रोक रहेगी.
- जुलाई 2017 में न्यायालय ने कहा था कि वह इन दावों का अध्ययन करेगा कि मंदिर के एक तहखाने में रहस्यमयी ऊर्जा वाला अपार खजाना है.