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केंद्र पर खदानों की नीलामी में मनमानी का आरोप, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली

झारखंड सरकार ने राज्य की कोयला खदानों की नीलामी के केंद्र सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. सुप्रीम कोर्ट ने आज इस मामले में सुनवाई को स्थगित करते हुए अगले सप्ताह के लिए सूचीबद्ध कर दिया है.

SC TO HEAR JHARKHAND GOV PLEA AGAINST COAL MINE AUCTION
सुप्रीम कोर्ट ने स्थगित की राज्य सरकार की याचिका
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Published : Jul 6, 2020, 3:12 PM IST

Updated : Jul 6, 2020, 4:20 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कोयला खदानों की नीलामी के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली झारखंड सरकार की याचिका को सोमवार को स्थगित कर दिया. सर्वोच्च न्यायालय अब इस मामले में सुनवाई एक हफ्ते बाद करेगा.

गौरतलब है कि झारखंड सरकार ने राज्य की कोयला खदानों की नीलामी के केंद्र के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. राज्य सरकार ने केंद्र पर खदानों की नीलामी में मनमानी का आरोप लगाया है.

बता दें कि बीते 18 जून को केंद्र सरकार ने झारखंड में वाणिज्यिक खनन को लेकर 41 कोयला खदानों की नीलामी की घोषणा की. इस नीलामी से अगले पांच से सात सालों में देश में 33,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत निवेश की उम्मीद है.

केंद्र के इस फैसले को चुनौती देते हुए राज्य सरकार नीलामी को रोकने के लिए 20 जून को शीर्ष अदालत में चली गई. झारखंड मुक्ति मोर्चा की अगुआई वाली सरकार का तर्क है कि कोयला खदानों का उचित प्रभाव मूल्यांकन नहीं किया गया है और नीलामी कोयला खनन प्रक्रियाओं के साथ-साथ आदिवासी लोगों का भी शोषण करेगी.

राज्य सरकार का दावा है कि कोरोना के कारण पैदा हुई परिस्थितियों के चलते यह संभावना भी नहीं है कि कोयला सही मात्रा में निकलेगा.

झारखंड सरकार ने खनिज कानून संशोधन अधिनियम, 2020 के तहत केंद्र के फैसले की वैधता को भी चुनौती दी है.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कोयला खदानों की नीलामी के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली झारखंड सरकार की याचिका को सोमवार को स्थगित कर दिया. सर्वोच्च न्यायालय अब इस मामले में सुनवाई एक हफ्ते बाद करेगा.

गौरतलब है कि झारखंड सरकार ने राज्य की कोयला खदानों की नीलामी के केंद्र के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. राज्य सरकार ने केंद्र पर खदानों की नीलामी में मनमानी का आरोप लगाया है.

बता दें कि बीते 18 जून को केंद्र सरकार ने झारखंड में वाणिज्यिक खनन को लेकर 41 कोयला खदानों की नीलामी की घोषणा की. इस नीलामी से अगले पांच से सात सालों में देश में 33,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत निवेश की उम्मीद है.

केंद्र के इस फैसले को चुनौती देते हुए राज्य सरकार नीलामी को रोकने के लिए 20 जून को शीर्ष अदालत में चली गई. झारखंड मुक्ति मोर्चा की अगुआई वाली सरकार का तर्क है कि कोयला खदानों का उचित प्रभाव मूल्यांकन नहीं किया गया है और नीलामी कोयला खनन प्रक्रियाओं के साथ-साथ आदिवासी लोगों का भी शोषण करेगी.

राज्य सरकार का दावा है कि कोरोना के कारण पैदा हुई परिस्थितियों के चलते यह संभावना भी नहीं है कि कोयला सही मात्रा में निकलेगा.

झारखंड सरकार ने खनिज कानून संशोधन अधिनियम, 2020 के तहत केंद्र के फैसले की वैधता को भी चुनौती दी है.

Last Updated : Jul 6, 2020, 4:20 PM IST
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