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लोन मोरेटोरियम मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, मिली राहत

उच्चतम न्यायालय ने लोन अधिस्थगन अवधि के दौरान ब्याज पर ब्याज से राहत की मांग वाली एक याचिका पर सुनवाई की है.

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Published : Nov 28, 2020, 9:23 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने गजेन्द्र शर्मा द्वारा दायर एक याचिका का निपटारा किया, जो अदालत में लोन अधिस्थगन अवधि के दौरान ब्याज पर ब्याज से राहत की मांग करने के लिए दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि लॉकडाउन के चलते आजीविका कमाने का कोई रास्ता नहीं था. उन्होंने आईसीआईसीआई बैंक से 37,48,000 रुपये का होम लोन लिया था.

गजेन्द्र शर्मा ने सरकार द्वारा उठाए गए कदमों और समस्या का समाधान मिलने पर संतोष व्यक्त किया, जिसके बाद न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने याचिका का निपटारा किया.

सरकार ने दो करोड़ रुपये तक के छोटे ऋणों पर ब्याज पर ब्याज से राहत प्रदान की थी, जिससे शर्मा को लाभ हुआ. कोर्ट ने माना कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि उसके फैसले को लागू करने के लिए सभी कदम उठाए जाएं, ताकि लोगों को लाभ हो.

सरकार के विस्तृत हलफनामों से पता चलता है कि सरकार लॉकडाउन के कारण लोगों और विभिन्न क्षेत्रों के सामने आने वाली कठिनाई के प्रति सचेत है और इसके लिए कदम उठा रही है.

कोर्ट ने कहा कोरोना महामारी ने न केवल लोगों के स्वास्थ्य को अपनी चपेट में लिया है, बल्कि देश के आर्थिक विकास के साथ-साथ पूरी दुनिया के अन्य देशों पर भी कहर बरपाया है.

पढ़ें :- अदालतों में डिजिटल सुनवाई सराहनीय है : रविशंकर प्रसाद

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत शक्तियों के प्रयोग करते हुए भारत सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन के कारण निजी क्षेत्र सहित अधिकांश व्यवसाय प्रभावित हुए हैं.

कई महीनों तक उद्योगों को काम करने की अनुमति नहीं दी गई. सिर्फ कुछ आवश्यक उद्योगों को छूट दी गई थी.

इस याचिका के साथ विभिन्न क्षेत्रों की अन्य याचिकाएं भी दायर की गई थीं जो अभी भी लंबित हैं, जिनकी सुनवाई दो दिसंबर को होगी.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने गजेन्द्र शर्मा द्वारा दायर एक याचिका का निपटारा किया, जो अदालत में लोन अधिस्थगन अवधि के दौरान ब्याज पर ब्याज से राहत की मांग करने के लिए दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि लॉकडाउन के चलते आजीविका कमाने का कोई रास्ता नहीं था. उन्होंने आईसीआईसीआई बैंक से 37,48,000 रुपये का होम लोन लिया था.

गजेन्द्र शर्मा ने सरकार द्वारा उठाए गए कदमों और समस्या का समाधान मिलने पर संतोष व्यक्त किया, जिसके बाद न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने याचिका का निपटारा किया.

सरकार ने दो करोड़ रुपये तक के छोटे ऋणों पर ब्याज पर ब्याज से राहत प्रदान की थी, जिससे शर्मा को लाभ हुआ. कोर्ट ने माना कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि उसके फैसले को लागू करने के लिए सभी कदम उठाए जाएं, ताकि लोगों को लाभ हो.

सरकार के विस्तृत हलफनामों से पता चलता है कि सरकार लॉकडाउन के कारण लोगों और विभिन्न क्षेत्रों के सामने आने वाली कठिनाई के प्रति सचेत है और इसके लिए कदम उठा रही है.

कोर्ट ने कहा कोरोना महामारी ने न केवल लोगों के स्वास्थ्य को अपनी चपेट में लिया है, बल्कि देश के आर्थिक विकास के साथ-साथ पूरी दुनिया के अन्य देशों पर भी कहर बरपाया है.

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इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत शक्तियों के प्रयोग करते हुए भारत सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन के कारण निजी क्षेत्र सहित अधिकांश व्यवसाय प्रभावित हुए हैं.

कई महीनों तक उद्योगों को काम करने की अनुमति नहीं दी गई. सिर्फ कुछ आवश्यक उद्योगों को छूट दी गई थी.

इस याचिका के साथ विभिन्न क्षेत्रों की अन्य याचिकाएं भी दायर की गई थीं जो अभी भी लंबित हैं, जिनकी सुनवाई दो दिसंबर को होगी.

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