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उच्चतम न्यायालय ने मुहर्रम जुलूस निकालने की मांग को किया खारिज

कोरोना वायरस के मद्देनजर उच्चतम न्यायालय ने मुहर्रम जुलूस निकालने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है.

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Published : Aug 27, 2020, 2:53 PM IST

Updated : Aug 27, 2020, 5:48 PM IST

उच्चतम न्यायालय
उच्चतम न्यायालय

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मुहर्रम जुलूस निकालने की मांग वाली याचिका पर आज सुनवाई की. न्यायालय ने इसे खारिज कर दिया है.

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुआई वाली बेंच ने याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने कोरोना वायरस के मद्देनजर मुहर्रम के जुलूसों को अनुमति देने से मना कर दिया है. कोर्ट ने लखनऊ स्थित याचिकाकर्ता से कहा कि वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय जाए.

शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि वह पूरे देश के लिए इस बारे में आदेश कैसे दे सकता है.

पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि आप एक सामान्य आदेश देने का अनुरोध कर रहे है और अगर हम इसकी अनुमति देंगे तो इससे अव्यवस्था फैलेगी. एक समुदाय विशेष को कोविड फैलाने के लिए निशाना बनाया जाने लगेगा. हम ऐसा नहीं चाहते. हम न्यायालय के रूप में सभी लोगों के स्वास्थ्य को खतरे में डालने का जोखिम नहीं उठा सकते.

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने कहा कि इस तरह के आदेश से अव्यवस्था फैलेगी और एक समुदाय विशेष को निशाना बनाया जायेगा.

पीठ ने याचिकाकर्ता शिया नेता सैयद कल्बे जव्वाद को अपनी याचिका वापस लेने और लखनऊ में जुलूस निकालने के अनुरोध के साथ उच्च न्यायालय जाने की छूट प्रदान कर दी.

महाराष्ट्र में जुलूस निकालने की अनुमति नहीं
महाराष्ट्र सरकार ने एक परिपत्र जारी करते हुए सादगी से मुहर्रम मनाने की अपील की. साथ ही उसने कहा है कि कोविड-19 के मद्देनजर जुलूस निकालने की अनुमति नहीं होगी.

कवाल गांव में मुहर्रम से पहले सुरक्षा व्यवस्था कड़ी
मुजफ्फरनगर (यूपी) जिले के कवाल गांव में मुहर्रम से पहले सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करते हुए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

जानसठ पुलिस थाने के प्रभारी दीपक चतुर्वेदी के अनुसार, मुहर्रम के मद्देनजर कवाल गांव में पीएसी सहित अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है.

मुहर्रम सातवीं सदी में करबला की जंग में हजरत इमाम हुसैन के शहीद होने की याद में मनाया जाता है. मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला और पवित्र महीना है.

यह भी पढ़ें- विशेष : जानें कैसे हैं भारत और तुर्की के बीच संबंध

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मुहर्रम जुलूस निकालने की मांग वाली याचिका पर आज सुनवाई की. न्यायालय ने इसे खारिज कर दिया है.

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुआई वाली बेंच ने याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने कोरोना वायरस के मद्देनजर मुहर्रम के जुलूसों को अनुमति देने से मना कर दिया है. कोर्ट ने लखनऊ स्थित याचिकाकर्ता से कहा कि वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय जाए.

शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि वह पूरे देश के लिए इस बारे में आदेश कैसे दे सकता है.

पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि आप एक सामान्य आदेश देने का अनुरोध कर रहे है और अगर हम इसकी अनुमति देंगे तो इससे अव्यवस्था फैलेगी. एक समुदाय विशेष को कोविड फैलाने के लिए निशाना बनाया जाने लगेगा. हम ऐसा नहीं चाहते. हम न्यायालय के रूप में सभी लोगों के स्वास्थ्य को खतरे में डालने का जोखिम नहीं उठा सकते.

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने कहा कि इस तरह के आदेश से अव्यवस्था फैलेगी और एक समुदाय विशेष को निशाना बनाया जायेगा.

पीठ ने याचिकाकर्ता शिया नेता सैयद कल्बे जव्वाद को अपनी याचिका वापस लेने और लखनऊ में जुलूस निकालने के अनुरोध के साथ उच्च न्यायालय जाने की छूट प्रदान कर दी.

महाराष्ट्र में जुलूस निकालने की अनुमति नहीं
महाराष्ट्र सरकार ने एक परिपत्र जारी करते हुए सादगी से मुहर्रम मनाने की अपील की. साथ ही उसने कहा है कि कोविड-19 के मद्देनजर जुलूस निकालने की अनुमति नहीं होगी.

कवाल गांव में मुहर्रम से पहले सुरक्षा व्यवस्था कड़ी
मुजफ्फरनगर (यूपी) जिले के कवाल गांव में मुहर्रम से पहले सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करते हुए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

जानसठ पुलिस थाने के प्रभारी दीपक चतुर्वेदी के अनुसार, मुहर्रम के मद्देनजर कवाल गांव में पीएसी सहित अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है.

मुहर्रम सातवीं सदी में करबला की जंग में हजरत इमाम हुसैन के शहीद होने की याद में मनाया जाता है. मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला और पवित्र महीना है.

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Last Updated : Aug 27, 2020, 5:48 PM IST
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