नई दिल्ली: इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस एसएन शुक्ला के खिलाफ सीबीआई भ्रष्टाचार विरोधी कानून के तहत एफआईआर दर्ज करेगी. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने सीबीआई को अनुमति दे दी है. यह पहला मौका है जब किसी मौजूदा जज के खिलाफ सीबीआई जांच करेगी. इस मामले को सुप्रीम कोर्ट के वकील ने एक नजीर बताया है.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए इस फैसले पर ईटीवी भारत ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील सूरत सिंह से बात की और पूछा की यह कानून कैसे और कितना सही है. इस पर उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का काम ही यह है कि वह समाज की जो मूलभूत बातें हैं उनकी रक्षा करे, लेकिन जो व्यक्ति इसकी रक्षा करने वाले हैं, यदि उनकी ही विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करे तो सारे सिस्टम से विश्वास उठ जाएगा. इसलिये ऐसी स्थिति में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिया गया फैसला बिल्कुल सही है.
सूरत सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में इस केस के बैकग्राउंड के बारे में बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले में तीन जस्टिस की एक कमेटी बनाई गई थी, जिसमें कमेटी ने जांच रिपोर्ट में जस्टिस एसएन शुक्ला के खिलाफ भ्रष्टाचार के पर्याप्त सबूत होने की बात कही थी.
उन्होंने बताया कि इसके बाद 2018 में तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने एसएम शुक्ला को हिदायत दी थी कि वह इस्तीफा दें या फिर वीआरएस ले लें. जब उन्होंने चीफ जस्टिस की बात नहीं सुनी और उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के सबूत मिले तो इस स्थिति में सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ सीबीआई से मामला दर्ज करने के लिए कहा.
सूरत सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला किया है वो बाकी लोगों के लिए भी एक सबक है. वे लोग जो ये समझते हैं कि पैसों के बल पर न्यायतंत्र को खरीदा जा सकता है, वे अब डरेंगे.