नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को मेघालय सरकार को निर्देश दिया कि राज्य में अवैध कोयला खनन पर रोक लगाने में असफल रहने के कारण उस पर लगाये गये एक सौ करोड़ रूपए की राशि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में जमा कराए.
न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ की पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह अवैध रूप से निकाला गया कोयला ‘कोल इंडिया लिमिटेड(सीआईएल) को सौंपे. कोल इंडिया इस कोयले को नीलाम कर उससे प्राप्त राशि राज्य सरकार को देगी.
पीठ ने राज्य में निजी एवं सामुदायिक जमीनों में खनन की भी अनुमति दी है, लेकिन ऐसा संबंधित प्राधिकारियों से स्वीकृति मिलने के बाद ही किया जा सकेगा.
राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने चार जनवरी को मेघालय सरकार पर यह जुर्माना लगाया था. मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने स्वीकार किया था कि प्रदेश में बड़ी संख्या में अवैध गतिविधियां चल रही हैं.
हरित अधिकरण से 20 अगस्त, 2018 को गुवाहाटी उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बी पी ककोटी की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय समिति ने अपने रिपोर्ट में कहा था कि मेघालय में करीब 24,000 खदानें हैं और इनमे से अधिकांश गैरकानूनी तरीके से संचालित हो रही हैं.
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रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि इनके पास कोई लाइसेंस या पट्टा नहीं था और अधिकांश कोयला खदानों के पास खनन के लिये आवश्यक पर्यावरण मंजूरी भी नहीं थी.
अधिकरण ने मेघालय में पर्यावरण बहाली योजना और दूसरे संबंधित मुद्दों पर गौर करने के लिये समिति का गठन किया था.
गौरतलब है कि पिछले साल 13 दिसंबर को राज्य के पूर्वी जयंतियां पहाड़ी जिले में एक अवैध खदान में 15 खनिक फंस गए थे। उनमें से अभी तक सिर्फ दो शव बरामद हो सके हैं.