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अवैध कोयला खनन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, मेघालय सरकार पर 100 करोड़ का जुर्माना

अवैध कोयला खनन मामले में उच्चतम न्यायालय ने सख्त रुख अपनाया है. मेघालय में अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने में असफल रहने के कारण मेघालय सरकार पर 100 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है. जानें क्या है पूरा मामला

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Published : Jul 3, 2019, 11:54 PM IST

Updated : Jul 4, 2019, 12:01 AM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को मेघालय सरकार को निर्देश दिया कि राज्य में अवैध कोयला खनन पर रोक लगाने में असफल रहने के कारण उस पर लगाये गये एक सौ करोड़ रूपए की राशि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में जमा कराए.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ की पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह अवैध रूप से निकाला गया कोयला ‘कोल इंडिया लिमिटेड(सीआईएल) को सौंपे. कोल इंडिया इस कोयले को नीलाम कर उससे प्राप्त राशि राज्य सरकार को देगी.

पीठ ने राज्य में निजी एवं सामुदायिक जमीनों में खनन की भी अनुमति दी है, लेकिन ऐसा संबंधित प्राधिकारियों से स्वीकृति मिलने के बाद ही किया जा सकेगा.

राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने चार जनवरी को मेघालय सरकार पर यह जुर्माना लगाया था. मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने स्वीकार किया था कि प्रदेश में बड़ी संख्या में अवैध गतिविधियां चल रही हैं.

हरित अधिकरण से 20 अगस्त, 2018 को गुवाहाटी उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बी पी ककोटी की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय समिति ने अपने रिपोर्ट में कहा था कि मेघालय में करीब 24,000 खदानें हैं और इनमे से अधिकांश गैरकानूनी तरीके से संचालित हो रही हैं.

पढ़ें - मलरांका चर्च मामला: आदेश लागू न होने पर SC ने राज्य सरकार से पूछा, क्या केरल कानून से ऊपर है?

रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि इनके पास कोई लाइसेंस या पट्टा नहीं था और अधिकांश कोयला खदानों के पास खनन के लिये आवश्यक पर्यावरण मंजूरी भी नहीं थी.

अधिकरण ने मेघालय में पर्यावरण बहाली योजना और दूसरे संबंधित मुद्दों पर गौर करने के लिये समिति का गठन किया था.

गौरतलब है कि पिछले साल 13 दिसंबर को राज्य के पूर्वी जयंतियां पहाड़ी जिले में एक अवैध खदान में 15 खनिक फंस गए थे। उनमें से अभी तक सिर्फ दो शव बरामद हो सके हैं.

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को मेघालय सरकार को निर्देश दिया कि राज्य में अवैध कोयला खनन पर रोक लगाने में असफल रहने के कारण उस पर लगाये गये एक सौ करोड़ रूपए की राशि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में जमा कराए.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ की पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह अवैध रूप से निकाला गया कोयला ‘कोल इंडिया लिमिटेड(सीआईएल) को सौंपे. कोल इंडिया इस कोयले को नीलाम कर उससे प्राप्त राशि राज्य सरकार को देगी.

पीठ ने राज्य में निजी एवं सामुदायिक जमीनों में खनन की भी अनुमति दी है, लेकिन ऐसा संबंधित प्राधिकारियों से स्वीकृति मिलने के बाद ही किया जा सकेगा.

राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने चार जनवरी को मेघालय सरकार पर यह जुर्माना लगाया था. मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने स्वीकार किया था कि प्रदेश में बड़ी संख्या में अवैध गतिविधियां चल रही हैं.

हरित अधिकरण से 20 अगस्त, 2018 को गुवाहाटी उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बी पी ककोटी की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय समिति ने अपने रिपोर्ट में कहा था कि मेघालय में करीब 24,000 खदानें हैं और इनमे से अधिकांश गैरकानूनी तरीके से संचालित हो रही हैं.

पढ़ें - मलरांका चर्च मामला: आदेश लागू न होने पर SC ने राज्य सरकार से पूछा, क्या केरल कानून से ऊपर है?

रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि इनके पास कोई लाइसेंस या पट्टा नहीं था और अधिकांश कोयला खदानों के पास खनन के लिये आवश्यक पर्यावरण मंजूरी भी नहीं थी.

अधिकरण ने मेघालय में पर्यावरण बहाली योजना और दूसरे संबंधित मुद्दों पर गौर करने के लिये समिति का गठन किया था.

गौरतलब है कि पिछले साल 13 दिसंबर को राज्य के पूर्वी जयंतियां पहाड़ी जिले में एक अवैध खदान में 15 खनिक फंस गए थे। उनमें से अभी तक सिर्फ दो शव बरामद हो सके हैं.

Intro:The Supreme Court directed the Meghalaya government to deposit the Rs100 crore fine imposed on it by the National Green Tribunal for failing to curb illegal coal mining with the Central Pollution Central Board(CPCB).


Body:The bench comprising of Justices Ashok Bhushan and KM Joseph, directed the state administration to hand over the illegally extracted coal to Coal India Limited(CIL) which will auction it and deposit the funds with the state government.

The National Green Tribunal (NGT) jad fined the Meghalaya government on January 4rth . During the hearing, the state government had admitted that a large number of mines were operating illegally in the north eastern state. 15 miners were trapped on December 13 last year in an illegal coal mine at Ksan East Jantia Hills district of Meghalaya about 3.7 km deep inside a forest, when water from the nearby Lytein river gushed into it.


Conclusion:
Last Updated : Jul 4, 2019, 12:01 AM IST
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