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सुप्रीम कोर्ट ने ईरान में भारतीय दूतावास के कदमों को सराहा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईरान में फंसे भारतीयों की सेहत की स्थिति में सुधार होने पर उन्हें वापस लाने के बारे में आदेश देगी. न्यायालय ने ईरान में भारतीय दूतावास द्वारा उठाए जा रहे कदमों की सराहना की.

ईरान में भारतीय राजदूत
ईरान में भारतीय राजदूत
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Published : Apr 2, 2020, 11:37 AM IST

Updated : Apr 2, 2020, 12:37 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र सरकार से उन 250 भारतीय तीर्थयात्रियों को भारत लाने पर शीघ्र विचार करने के लिए कहा है, जिन्हें कोविड-19 की जांच में संक्रमित पाया गया है और ईरान के कोम में फंसे हुए हैं, हालांकि न्यायालय ने भारतीय दूतावास द्वारा उठाए गए त्वरित कदमों की सराहना की है.

केंद्र सरकार ने न्यायालय को सूचित किया कि ईरान के कोम में फंसे 250 भारतीय जायरीनों में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है और उन्हें नहीं निकाला गया है, जबकि पांच सौ से ज्यादा दूसरे भारतीयों को वापस लाया जा चुका है.

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह भारतीय दूतावास को स्थिति पर लगातार निगाह रखने और ईरान में फंसे भारतीयों के संपर्क में बने रहने का निर्देश देने के बारे में सोच रही है.

न्यायमूर्ति धनंजय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने कहा कि वह इस मामले में याचिकाकर्ताओं के पक्ष में आदेश देगी ओर भारतीय दूतावास से कहेगी कि इनकी नई जांच कराई जाए और उन्हें जब भी संभव हो स्वदेश लाने की संभावना पर गौर करे.

पीठ ने टिप्पणी की कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है.

इससे पहले सुनवाई शुरू होते ही केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ईरान में फंसे अधिकांश भारतीयों को वापस लाया जा चुका है.

याचिकाकर्ता मुस्तफा एमएच की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कहा कि ईरान में फंसे सभी भारतीयों को वापस नहीं लाया गया है. उन्होंने जानकारी दी कि करीब 250 भारतीय ईरान में ऐसे हैं, जो इस वायरस से संक्रमित हैं और वह ईरानी अधिकारियों के रहम पर हैं.

मेहता ने कहा कि इस समय सारी अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद हैं और संबंधित प्राधिकारियों को विदेश मंत्रालय के फैसले का इंतजार है.

मेहता ने कहा, ईरान में हमारा दूतावास वहां फंसे 250 भारतीयों के संपर्क में है. वह जब भी संभव होगा उन्हें वापस लाएंगे.' उन्होंने कहा कि यह याचिका अब निरर्थक हो चुकी है.

पढ़ें : 'फेक न्यूज' की जांच को राज्य सरकारें बनाएं वेब पोर्टल : गृह मंत्रालय

इस पर पीठ ने हेगड़े से कहा कि ईरान में फंसे लोगों का ध्यान रखा जा रहा है और इस मामले को अब सरकार पर छोड़ देना चाहिए.

पीठ ने कहा कि आप इस मामले को आवश्यकता पड़ने पर फिर से उठा सकते हैं.

हेगड़े ने कहा कि ईरान में अब भी फंसे कई भारतीयों में इस वायरस के कोई लक्षण नहीं हैं और अगर उन्हें होटलों में ही ठहरने के लिए कहा गया है, जहां इस संक्रमण से प्रभावित लोगों को अलग रखा जा रहा है, तो वह भी इस वायरस की चपेट में आ सकते हैं.

उन्होंने कहा कि ईरान में फंसे 250 लोगों के पास पैसा, दवा और दूसरी सुविधाएं नहीं हैं. वैसे भी उन्हें लेह जैसे स्थान पर वापस क्यों नहीं लाया जा सकता?

इस पर मेहता ने जवाब दिया कि ईरान से वापस लाकर लेह और दूसरे स्थान पर भेजे गए इन भारतीयों में से कई में अब कोरोना वायरस के लक्षण उभर आए हैं.

पीठ ने कहा कि वह ईरान में फंसे भारतीयों की सेहत की स्थिति में सुधार होने पर उन्हें वापस लाने के बारे में आदेश देगी.

ईरान कोरोना वायरस महामारी से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले देशों में शामिल है और उसके यहां अब तक दो हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र सरकार से उन 250 भारतीय तीर्थयात्रियों को भारत लाने पर शीघ्र विचार करने के लिए कहा है, जिन्हें कोविड-19 की जांच में संक्रमित पाया गया है और ईरान के कोम में फंसे हुए हैं, हालांकि न्यायालय ने भारतीय दूतावास द्वारा उठाए गए त्वरित कदमों की सराहना की है.

केंद्र सरकार ने न्यायालय को सूचित किया कि ईरान के कोम में फंसे 250 भारतीय जायरीनों में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है और उन्हें नहीं निकाला गया है, जबकि पांच सौ से ज्यादा दूसरे भारतीयों को वापस लाया जा चुका है.

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह भारतीय दूतावास को स्थिति पर लगातार निगाह रखने और ईरान में फंसे भारतीयों के संपर्क में बने रहने का निर्देश देने के बारे में सोच रही है.

न्यायमूर्ति धनंजय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने कहा कि वह इस मामले में याचिकाकर्ताओं के पक्ष में आदेश देगी ओर भारतीय दूतावास से कहेगी कि इनकी नई जांच कराई जाए और उन्हें जब भी संभव हो स्वदेश लाने की संभावना पर गौर करे.

पीठ ने टिप्पणी की कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है.

इससे पहले सुनवाई शुरू होते ही केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ईरान में फंसे अधिकांश भारतीयों को वापस लाया जा चुका है.

याचिकाकर्ता मुस्तफा एमएच की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कहा कि ईरान में फंसे सभी भारतीयों को वापस नहीं लाया गया है. उन्होंने जानकारी दी कि करीब 250 भारतीय ईरान में ऐसे हैं, जो इस वायरस से संक्रमित हैं और वह ईरानी अधिकारियों के रहम पर हैं.

मेहता ने कहा कि इस समय सारी अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद हैं और संबंधित प्राधिकारियों को विदेश मंत्रालय के फैसले का इंतजार है.

मेहता ने कहा, ईरान में हमारा दूतावास वहां फंसे 250 भारतीयों के संपर्क में है. वह जब भी संभव होगा उन्हें वापस लाएंगे.' उन्होंने कहा कि यह याचिका अब निरर्थक हो चुकी है.

पढ़ें : 'फेक न्यूज' की जांच को राज्य सरकारें बनाएं वेब पोर्टल : गृह मंत्रालय

इस पर पीठ ने हेगड़े से कहा कि ईरान में फंसे लोगों का ध्यान रखा जा रहा है और इस मामले को अब सरकार पर छोड़ देना चाहिए.

पीठ ने कहा कि आप इस मामले को आवश्यकता पड़ने पर फिर से उठा सकते हैं.

हेगड़े ने कहा कि ईरान में अब भी फंसे कई भारतीयों में इस वायरस के कोई लक्षण नहीं हैं और अगर उन्हें होटलों में ही ठहरने के लिए कहा गया है, जहां इस संक्रमण से प्रभावित लोगों को अलग रखा जा रहा है, तो वह भी इस वायरस की चपेट में आ सकते हैं.

उन्होंने कहा कि ईरान में फंसे 250 लोगों के पास पैसा, दवा और दूसरी सुविधाएं नहीं हैं. वैसे भी उन्हें लेह जैसे स्थान पर वापस क्यों नहीं लाया जा सकता?

इस पर मेहता ने जवाब दिया कि ईरान से वापस लाकर लेह और दूसरे स्थान पर भेजे गए इन भारतीयों में से कई में अब कोरोना वायरस के लक्षण उभर आए हैं.

पीठ ने कहा कि वह ईरान में फंसे भारतीयों की सेहत की स्थिति में सुधार होने पर उन्हें वापस लाने के बारे में आदेश देगी.

ईरान कोरोना वायरस महामारी से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले देशों में शामिल है और उसके यहां अब तक दो हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

Last Updated : Apr 2, 2020, 12:37 PM IST
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