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कोविड-19 : बुजुर्गों के लिए उठाए कदमों का ब्योरा दें राज्य सरकारें - DETAILED AFFIDAVIT

कोरोना से बचाव के लिए बुजुर्गों के लिए उठाये गए कदमों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से एक विस्तृत हलफनामे की मांग की है. पढ़ें विस्तार से...

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सर्वोच्च न्यायालय
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Published : Sep 7, 2020, 4:35 PM IST

नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायमूर्ति एसए बोबडे की अध्यक्षता में सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने राज्यों से कहा है कि वे वृद्ध लोगों को कोविड 19 की जरूरी चीजों की आपूर्ति के बारे में चार सप्ताह के भीतर एक विस्तृत हलफनामा दायर करें.

चार अगस्त को अदालत ने राज्यों से बुजुर्गों को सैनिटाइज़र, मास्क, दवाएं और अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कहा था, लेकिन कुछ राज्य अदालत में अपना हलफनामा प्रस्तुत करने में विफल रहे, इसलिए आज अदालत ने सभी से एक विस्तृत हलफनामा दायर करने को कहा.

पीठ, पूर्व मंत्री डॉ. अश्विनी कुमार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने बुजुर्गों की दुर्दशा पर विभिन्न मीडिया रिपोर्टों का हवाला दिया था और उच्चतर अदालत के माध्यम से उनके लिए सुविधाएं मांगी थीं.

पढ़ें : पूछताछ के लिए एनसीबी के समक्ष पेश हुईं रिया चक्रवर्ती

हालांकि अदालत ने आज माना कि अनुच्छेद 32 के तहत हर मामले को सुनना असंभव है और राज्यों को ऐसे मामलों का ध्यान रखना चाहिए. न्यायमूर्ति ने कहा कि 'यह एक बड़ा देश है.' मामले को सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया गया है.

नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायमूर्ति एसए बोबडे की अध्यक्षता में सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने राज्यों से कहा है कि वे वृद्ध लोगों को कोविड 19 की जरूरी चीजों की आपूर्ति के बारे में चार सप्ताह के भीतर एक विस्तृत हलफनामा दायर करें.

चार अगस्त को अदालत ने राज्यों से बुजुर्गों को सैनिटाइज़र, मास्क, दवाएं और अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कहा था, लेकिन कुछ राज्य अदालत में अपना हलफनामा प्रस्तुत करने में विफल रहे, इसलिए आज अदालत ने सभी से एक विस्तृत हलफनामा दायर करने को कहा.

पीठ, पूर्व मंत्री डॉ. अश्विनी कुमार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने बुजुर्गों की दुर्दशा पर विभिन्न मीडिया रिपोर्टों का हवाला दिया था और उच्चतर अदालत के माध्यम से उनके लिए सुविधाएं मांगी थीं.

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हालांकि अदालत ने आज माना कि अनुच्छेद 32 के तहत हर मामले को सुनना असंभव है और राज्यों को ऐसे मामलों का ध्यान रखना चाहिए. न्यायमूर्ति ने कहा कि 'यह एक बड़ा देश है.' मामले को सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया गया है.

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