नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली में वायु की गुणवत्ता 'बहुत खराब' की श्रेणी में आ चुकी है. इससे चिंतित उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पराली जलाने पर अंकुश लगाने के लिए, उच्च कार्यबल की सिफारिशों के बारे में पर्यावरण, वन और जलवायु मंत्रालय को स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया.
न्यायमूर्ति अरुण मिश्र और न्यायमूर्ति दीपक गुप्त की पीठ के समक्ष राजधानी में वायु गुणवत्ता का मुद्दा उस समय उठा, जब प्रदूषण के मामले में न्याय मित्र की भूमिका निभा रहीं अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कहा कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से इस बारे में स्थिति रिपोर्ट मांगी जानी चाहिए.
अपराजिता ने कहा कि पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश में पराली जलाने पर रोकथाम के लिए उच्चस्तरीय कार्य बल की उप समिति की रिपोर्ट स्वीकार किये जाने संबंधी केन्द्र के कथन के बाद शीर्ष अदालत ने पिछले साल 29 जनवरी को इस मामले में आदेश पारित किया था.
उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के पिछले साल के आदेश के बाद काफी समय बीत चुका है और अब पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को इन निर्देशों पर अमल के बारे में स्थिति रिपोर्ट पेश करनी चाहिए.
पीठ ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को इस संबंध में दो सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. पराली जलाने के मामले में उप समिति की रिपोर्ट पर अमल के लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ही नोडल मंत्रालय है.
दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण की स्थिति के प्रबंधन के लिए केन्द्रीय सचिवालय ने 23 नवम्बर, 2017 को विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों की एक विशेषज्ञ समिति गठित की थी.
इस समिति ने पराली जलाने के कारण होने वाले वायु प्रदूषण की समस्या पर काबू पाने के लिए खेतों से पराली निकालने के काम में मशीनों के इस्तेमाल सहित अनेक उपाय सुझाये थे.