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पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए समिति गठित

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Published : Oct 16, 2020, 5:24 PM IST

दिल्ली और आस-पास के इलाकों में वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है. उसके कारणों में किसानों द्वारा पराली जलाया जाना भी है. सुप्रीम कोर्ट ने उसपर लगाम लगाने के लिए समिति गठित की है.

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फाइल फोटो

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब में पराली जलने से रोकने के लिए निगरानी समिति गठित की है. इस समिति में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति मदन शामिल हैं. न्यायालय ने संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों, एनसीसी, एनएसएस और भारत स्काउट्स और गाइड्स को समिति की सहायता करने के लिए कहा है.

न्यायालय ने कहा कि वह परीली जलने से होने वाले प्रदूषण को लेकर चिंतित है और दिल्ली व एनसीआर में रह रहे लोगों को सांस लेने के लिए साफ हवा मिलनी चाहिए.

भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें राज्य सरकारों से पराली जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी. न्यायाधीशों ने पाया कि सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बावजूद पराली जलाने के कारण होने वाले प्रदूषण में वृद्धि हुई है. इसलिए निगरानी समिति को मंजूरी दी गई है.

पढ़ें-दिल्ली के नरेला इलाके में पराली जलाने की वजह से बढ़ा प्रदूषण फैलने का खतरा

न्यायालय को आज सूचित किया गया कि एक मोबाइल एप के जरिए अधिकारी पराली जलाए जाने के मामलों पर नजर रख सकते हैं. मामले को लेकर पंजाब सरकार ने न्यायालय में हलफनामा दाखिल किया था. वहीं, हरियाण सरकार ने न्यायालय से कहा वह समस्या से निपट रही है और उसे सफलता भी मिली है.

पंजाब सरकार ने न्यायालय को बताया कि वह स्थिति पर नजर बनाए हुए है और इसके लिए 8000 नोडल अधिकारियों को तैनात किया गया है. पंजाब सरकार की तरफ से पेश हो रहे वकील ने न्यायालय के समक्ष पंजाब सरकार द्वारा गठित की गई समिति रिपोर्ट भी प्रस्तुत की.

मामले की अगली सुनवाई 23 नवंबर को होगी.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब में पराली जलने से रोकने के लिए निगरानी समिति गठित की है. इस समिति में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति मदन शामिल हैं. न्यायालय ने संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों, एनसीसी, एनएसएस और भारत स्काउट्स और गाइड्स को समिति की सहायता करने के लिए कहा है.

न्यायालय ने कहा कि वह परीली जलने से होने वाले प्रदूषण को लेकर चिंतित है और दिल्ली व एनसीआर में रह रहे लोगों को सांस लेने के लिए साफ हवा मिलनी चाहिए.

भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें राज्य सरकारों से पराली जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी. न्यायाधीशों ने पाया कि सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बावजूद पराली जलाने के कारण होने वाले प्रदूषण में वृद्धि हुई है. इसलिए निगरानी समिति को मंजूरी दी गई है.

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न्यायालय को आज सूचित किया गया कि एक मोबाइल एप के जरिए अधिकारी पराली जलाए जाने के मामलों पर नजर रख सकते हैं. मामले को लेकर पंजाब सरकार ने न्यायालय में हलफनामा दाखिल किया था. वहीं, हरियाण सरकार ने न्यायालय से कहा वह समस्या से निपट रही है और उसे सफलता भी मिली है.

पंजाब सरकार ने न्यायालय को बताया कि वह स्थिति पर नजर बनाए हुए है और इसके लिए 8000 नोडल अधिकारियों को तैनात किया गया है. पंजाब सरकार की तरफ से पेश हो रहे वकील ने न्यायालय के समक्ष पंजाब सरकार द्वारा गठित की गई समिति रिपोर्ट भी प्रस्तुत की.

मामले की अगली सुनवाई 23 नवंबर को होगी.

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