नई दिल्ली : भारत के कई राज्यों में सर्पदंश की घटनाएं बढ़ गई हैं. इन राज्य पश्चिम बंगाल, ओडिशा और तमिलनाडु शामिल हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को राज्य की आवश्यक दवाओं की सूची में एंटी स्नेक वेनम सीरम (एएसवीएस) को शामिल करने के निर्देश जारी किए हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के अधिकारियों को जरूरतमंद व्यक्तियों के उपयोग के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं की आपूर्ति के लिए स्थानीय स्तर पर इन दवाओं को उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है.
सर्पदंश की घटनाएं ज्यादातर उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय देशों में घटती है. इससे ग्रामीण आबादी अधिक प्रभावित होती है.
अधिकारियों ने कहा कि इससे किसानों, चरवाहों और मजदूरों और व्यावसायिकों को अधिक खतरा रहता है.
डेटा से पता चलता है कि सर्पदंश की घटनाएं अक्सर आकस्मिक होती हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (HMIS) के अनुसार, सर्पदंश के कारण देश में वर्ष 2017-18 में 2,00,492 व्यक्तियों की और वर्ष 2018-19 में 2,8,950 व्यक्तियों की मौत हो गई.
आगे के विश्लेषण से पता चलता है कि ज्यादातर बड़े राज्यों में प्रति 100,000 आबादी पर सर्पदंश की अधिक घटनाएं घटती हैं.
एंटी स्नेक वेनम का जिक्र करते हुए अधिकारियों ने कहा कि यह सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र के संस्थानों दोनों द्वारा निर्मित है.
घटनाओं में 2017-18 की तुलना में 2018-19 में सर्पदंश की घटनाओं में वृद्धि हुई है. आंकड़ों के अनुसार, 2017-18 में प्रति 100,000 आबादी पर पश्चिम बंगाल में 36.6 व्यक्ति सर्पदंश का शिकार बने. इसके बाद तमिलनाडु (36.6 व्यक्ति), गोवा (34.5 व्यक्ति), महाराष्ट्र (32.4 व्यक्ति), आंध्र प्रदेश (31.7 व्यक्ति), ओडिशा (27.1 व्यक्ति) सर्पदंश का शिकार बनें.
वहीं 2018-19 में पश्चिम बंगाल (प्रति 100,000 आबादी के 39.4 व्यक्ति) और ओडिशा (37.0 व्यक्ति), तमिलनाडु (36.4 व्यक्ति), आंध्र प्रदेश (35.3 व्यक्ति) और महाराष्ट्र (35.0 व्यक्ति) के सर्पदंश का शिकार बनें.