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स्लम के बच्चों का भविष्य संवार रहीं बिहार की सत्यावती देवी, चला रहीं नि:शुल्क पाठशाला

बिहार के गया में रहने वाली सत्यावती देवी बताती हैं कि इन स्लम एरिया के बच्चों को स्कूल में लाना बहुत मुश्किल है. ये घर से निकलते हैं लेकिन स्कूल नहीं जाते हैं. इनको हर दिन पकड़कर लाना पड़ता है. इनके हाथ पैर साफ करती हूं, ताकि इनके चेहरे और बच्चों जैसाे ही लगें. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jan 29, 2021, 3:15 PM IST

खुद मुफलिसी में रहकर कचरा चुनने वाले बच्चों का संवार रहीं 'भविष्य
खुद मुफलिसी में रहकर कचरा चुनने वाले बच्चों का संवार रहीं 'भविष्य

गया : बिहार की धार्मिक नगरी गया में कचरा चुनने वाले बच्चे और बच्चियों के लिए सत्यावती देवी किसी वरदान से कम नहीं है, जो इनकी लाचार जिंदगी में शिक्षा के माध्यम से जान डालने का काम कर रही हैं. वो भी बिना किसी गुरू दक्षिणा के. इनकी लगन और मेहनत के बल पर इन गरीब बच्चों ने गीता पाठ सहित अनेक श्लोक कंठस्थ याद हैं.

बच्चों को पढ़ाती सत्यावती देवी

दरअसल, गया शहर के वार्ड नं 41 के शाहमीर तकिया मुहल्ला में पहाड़ पर बसे स्लम एरिया में एक महिला आवारा घूमने और काम करनेवाले बच्चों को पिछले तीन सालों से शिक्षा दे रही हैं. बच्चों को इन तीन साल में सत्यावती देवी ने संस्कृत में बहुत कुछ सिखा दिया है. इनके संस्कृत के शब्द और श्लोक सुनकर हर कोई हैरान रह जाता है.

सत्यावती देवी के पास सिर्फ गरीब कचरा चुनने वाले बच्चे ही नहीं अंग्रेजी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे भी आते हैं, जो काफी लगन से संस्कृत की पढ़ाई करते हैं. तीन वर्षीय एक बच्चा तोतली आवाज में पूरी शिव तांडव एक लय में गा देता है.

satyavati-devi-giving-sanskrit-education-to-poor-children-in-gaya
स्कूल में पढ़ने वाला बच्चे

'मैं निजी अंग्रेजी स्कूल में पढ़ता हूं, वहां संस्कृत की पढ़ाई नहीं होती है. यहां मेरे अभिभावक संस्कृत पढ़ने के लिए भेजते है यहां गीता पाठ, शिव तांडव से लेकर दर्जनों मंत्र का श्लोक सीख लिया है'- आशीष कुमार, छात्र

एक बच्चे ने बताया कि मैं लकड़ी काटने जाता हूं. मैं हर दिन समय से आकर स्कूल में पढ़ता हूं. यहां एक-एक शब्द को इंग्लिश, हिंदी और संस्कृत तीनों में सिखाया जाता है. हमलोग को संस्कृत शब्द खूब भाता है.

विद्यालय की संचालिका सत्यवती देवी ने कहा कि मैने निःशुल्क विद्यालय की स्थापना तीन साल पहले की थी. इस क्षेत्र में कम उम्र में बच्चे बिगड़ रहे थे. उनके भविष्य को सुधारने के लिए इन्हें अपने विरासत से जोड़ना आवश्यक है.

ये भी पढ़ेंः विभाग ने 3 संस्थानों के साथ किया MOU साइन , शिक्षा में सुधार के लिए क्वालिटी एजुकेशन पर जोर

सत्यवती देवी कहती हैं कि मैं इन बच्चों को हर दिन दो पाली में पांच घंटा निःशुल्क शिक्षा देती हूं. यहां के बच्चों को इंग्लिश मीडियम के पढ़ाई के साथ संस्कृत भाषा का ज्ञान देते हैं. इधर के दिनों में प्रयास से अब उच्च मीडिल क्लास के बच्चों को पढ़ाने के लिए उनके अभिभावक भेज रहे हैं. उनको स्कूल के बारे में समझाया तो वो सहमत हुए.

सत्यवती देवी ने कहा कि इन स्लम एरिया के बच्चों को स्कूल में लाना बहुत मुश्किल है. ये घर से निकलते हैं लेकिन स्कूल नहीं जाते हैं. इनको हर दिन पकड़कर लाना पड़ता है. इनके हाथ पैर साफ करती हूं ताकि इनके चेहरे और बच्चों जैसा ही लगें. इन्हें तेल लगाकर साफ करती हूं.

बता दें कि गया शहर में सत्यावती देवी की संस्था वात्सल्य निर्भया शक्ति महिलाओं की उत्थान के लिए भी काम करती है. पिछले तीन वर्षों से अकेली खुद गरीबी की जिंदगी जी कर इन स्लम एरिया के बच्चे के जीवन में वो शिक्षा की लौ जला रहीं हैं.

गया : बिहार की धार्मिक नगरी गया में कचरा चुनने वाले बच्चे और बच्चियों के लिए सत्यावती देवी किसी वरदान से कम नहीं है, जो इनकी लाचार जिंदगी में शिक्षा के माध्यम से जान डालने का काम कर रही हैं. वो भी बिना किसी गुरू दक्षिणा के. इनकी लगन और मेहनत के बल पर इन गरीब बच्चों ने गीता पाठ सहित अनेक श्लोक कंठस्थ याद हैं.

बच्चों को पढ़ाती सत्यावती देवी

दरअसल, गया शहर के वार्ड नं 41 के शाहमीर तकिया मुहल्ला में पहाड़ पर बसे स्लम एरिया में एक महिला आवारा घूमने और काम करनेवाले बच्चों को पिछले तीन सालों से शिक्षा दे रही हैं. बच्चों को इन तीन साल में सत्यावती देवी ने संस्कृत में बहुत कुछ सिखा दिया है. इनके संस्कृत के शब्द और श्लोक सुनकर हर कोई हैरान रह जाता है.

सत्यावती देवी के पास सिर्फ गरीब कचरा चुनने वाले बच्चे ही नहीं अंग्रेजी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे भी आते हैं, जो काफी लगन से संस्कृत की पढ़ाई करते हैं. तीन वर्षीय एक बच्चा तोतली आवाज में पूरी शिव तांडव एक लय में गा देता है.

satyavati-devi-giving-sanskrit-education-to-poor-children-in-gaya
स्कूल में पढ़ने वाला बच्चे

'मैं निजी अंग्रेजी स्कूल में पढ़ता हूं, वहां संस्कृत की पढ़ाई नहीं होती है. यहां मेरे अभिभावक संस्कृत पढ़ने के लिए भेजते है यहां गीता पाठ, शिव तांडव से लेकर दर्जनों मंत्र का श्लोक सीख लिया है'- आशीष कुमार, छात्र

एक बच्चे ने बताया कि मैं लकड़ी काटने जाता हूं. मैं हर दिन समय से आकर स्कूल में पढ़ता हूं. यहां एक-एक शब्द को इंग्लिश, हिंदी और संस्कृत तीनों में सिखाया जाता है. हमलोग को संस्कृत शब्द खूब भाता है.

विद्यालय की संचालिका सत्यवती देवी ने कहा कि मैने निःशुल्क विद्यालय की स्थापना तीन साल पहले की थी. इस क्षेत्र में कम उम्र में बच्चे बिगड़ रहे थे. उनके भविष्य को सुधारने के लिए इन्हें अपने विरासत से जोड़ना आवश्यक है.

ये भी पढ़ेंः विभाग ने 3 संस्थानों के साथ किया MOU साइन , शिक्षा में सुधार के लिए क्वालिटी एजुकेशन पर जोर

सत्यवती देवी कहती हैं कि मैं इन बच्चों को हर दिन दो पाली में पांच घंटा निःशुल्क शिक्षा देती हूं. यहां के बच्चों को इंग्लिश मीडियम के पढ़ाई के साथ संस्कृत भाषा का ज्ञान देते हैं. इधर के दिनों में प्रयास से अब उच्च मीडिल क्लास के बच्चों को पढ़ाने के लिए उनके अभिभावक भेज रहे हैं. उनको स्कूल के बारे में समझाया तो वो सहमत हुए.

सत्यवती देवी ने कहा कि इन स्लम एरिया के बच्चों को स्कूल में लाना बहुत मुश्किल है. ये घर से निकलते हैं लेकिन स्कूल नहीं जाते हैं. इनको हर दिन पकड़कर लाना पड़ता है. इनके हाथ पैर साफ करती हूं ताकि इनके चेहरे और बच्चों जैसा ही लगें. इन्हें तेल लगाकर साफ करती हूं.

बता दें कि गया शहर में सत्यावती देवी की संस्था वात्सल्य निर्भया शक्ति महिलाओं की उत्थान के लिए भी काम करती है. पिछले तीन वर्षों से अकेली खुद गरीबी की जिंदगी जी कर इन स्लम एरिया के बच्चे के जीवन में वो शिक्षा की लौ जला रहीं हैं.

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