श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राज्य में दवाओं और आवश्यक वस्तुओं की किसी कमी से इनकार किया है. उन्होंने कहा कि संचार माध्यमों पर पाबंदियों की वजह से वहां बहुत सी जिंदगियां बचीं हैं. उन्होंने कहा कि घाटी में रविवार को दवा की अधिकतर दुकानें खुली रहीं.
श्रीनगर में दवा की 1,165 दुकानें खुली
इस संबंध में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने एक बयान में कहा कि श्रीनगर में दवा की 1,666 दुकानों में से 1,165 दुकानें रविवार को खुली हैं. इसमें कहा गया कि कश्मीर घाटी में 7,630 फुटकर दवा विक्रेता और 4,331 थोक दवा विक्रेता हैं. वहां करीब 65 फीसद दुकानें खुली हुई हैं.
JK में कहीं भी दवाओं की कमी नहीं- मलिक
मलिक ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में कहीं भी दवाओं और आवश्यक वस्तुओं की कमी नहीं है और लोगों की खरीद के लिए पर्याप्त सामग्री उपलब्ध है. उन्होंने कहा, 'वास्तव में, ईद में हमने लोगों के घरों पर मीट, सब्जियों और अंडों की आपूर्ति की.'
62 जीवन रक्षक दवाएं भी उपलब्ध
बयान में कहा गया कि बीते 20 दिनों में फुटकर दुकानदारों तक 23.81 करोड़ रुपये की दवा पहुंची हैं. इसमें कहा गया, 'यह मासिक औसत से थोड़ा ज्यादा है.' इसमें कहा गया कि सरकारी दुकानों और निजी विक्रेताओं के पास सभी 376 अधिसूचित दवाएं उपलब्ध हैं. 62 आवश्यक/जीवन रक्षक दवाएं भी उपलब्ध हैं.
प्रदेश में कहीं भी अधिक मूल्य वसूले जाने की शिकायत नहीं
बयान में कहा गया, 'अधिक मूल्य वसूले जाने की जांच के तहत 72 मामलों में कहीं भी अधिक मूल्य वसूला जाता नहीं पाया गया. बता दें, राज्यपाल पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को श्रद्धांजलि देने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में थे. जेटली का शनिवार को यहां एम्स में निधन हो गया था.
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हिंसा में किसी शख्स की जान नहीं गई
मलिक ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत दिए गए विशेष दर्जे को खत्म करने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद राज्य में हिंसा में किसी शख्स की जान नहीं गई है.
कई जिन्दगियों को बचाया गया
पत्रकारों ने जब उनसे पूछा कि राज्य में प्रतिबंध कब तक जारी रहेंगे, उन्होंने कहा, 'अगर संचार माध्यमों पर अंकुश लगाने से जिंदगी बचाने में मदद मिलती है तो इसमें क्या नुकसान है?'
'हम बहुत जल्द सब वापस कर देंगे'
मलिक ने कहा कि पूर्व में जब कश्मीर में संकट होता था, तो पहले ही हफ्ते में कम से कम 50 लोगों की मौत हो जाती थी. उन्होंने कहा, 'हमारा रवैया था कि इंसानी जान नहीं जानी चाहिए. 10 दिन टेलीफोन नहीं होंगे.. नहीं होंगे, लेकिन हम बहुत जल्द सब वापस कर देंगे.'
मलिक ने किया जेटली को याद
जेटली को याद करते हुए मलिक ने कहा कि वह जेटली ही थे जिन्होंने पिछले साल जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल की जिम्मेदारी लेने के लिए उन पर जोर डाला था.उन्होंने कहा, 'अरुण जेटली ने मुझे सलाह दी थी कि मैं राज्यपाल की जिम्मेदारी लूं. उन्होंने मुझसे कहा कि यह ऐतिहासिक होगा. उन्होंने मुझसे यह भी कहा कि उनकी ससुराल के लोग जम्मू से हैं.'
(पीटीआई)