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उत्तराखंड के चोराबाड़ी ग्लेशियर पर सेटेलाइट रखेगा नजर, अधिकारियों को मिले निर्देश

उत्तराखंड त्रासदी से लोग अभी ठीक तरह से उभर नहीं पाए हैं, कि केदारनाथ धाम के ऊपर बनी एक झील को लेकर सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने चिंता जताई है. इस झील की जानकारी वैज्ञानिकों को दी गई थी. जिसके बाद उन्होंने खतरे पर विराम लगा दिया था. हालांकि महाराज ने अधिकारियों को झील पर लगातार नजर बनाए रखने के आदेश दिए हैं.

चोराबाड़ी ग्लेशियर में बन रही झील पर 'महाराज' ने व्यक्त की चिंता
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Published : Jul 19, 2019, 6:20 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में केदारनाथ धाम से 4 किलोमीटर ऊपर बनी झील को लेकर सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने चिंता जताई है. खतरे को भांपते हुए महाराज ने विभागीय अधिकारियों को झील का निरंतर मॉनिंटरिंग करने के निर्देश दिये हैं. साथ ही उन्होंने सेटेलाइट के माध्यम से झील पर लगातार नजर बनाए रखने को कहा है.

हालांकि, इससे पहले वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक केदारनाथ धाम पहुंचकर वहां बनी झील का निरीक्षण कर चुके हैं. जिसमें उन्होंने किसी भी तरह के खतरे की बात से साफ तौर पर इनकार किया था.

चोराबाड़ी ग्लेशियर में बन रही झील पर सतपाल महाराज ने चिंता जताई है, देखें वीडियो....

बता दें कि डॉक्टरों की टीम ने 16 जून को SDRF (स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड), पुलिस और जिला प्रशासन की एक टीम के साथ चोराबाड़ी झील का दौरा किया था. जिसके बाद डॉक्टरों ने केदारनाथ धाम से करीब 4 किलोमीटर ऊपर ग्लेशियर में बनी एक झील को चोराबाड़ी झील होने का दावा किया गया था.

पढ़ेंः केदारनाथ के चोराबाड़ी ताल में सिक्स सिग्मा का वीडियो फर्जी, नहीं है कोई खतरा

इसके बाद इस झील की जानकारी वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों को दी गयी थी. उस दौरान ये झील लगभग 250 मीटर लंबी और 150 मीटर चौड़ी बताई जा रही थी. जिसके बाद ग्लेशियर के बीच बनी झील का निरीक्षण पर वापस लौटी वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने झील के खतरे की बात पर विराम लगा दिया था.

सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने केदारनाथ धाम के ऊपर बनी झील पर चिंता व्यक्त की है. महाराज ने बताया कि अधिकारियों को निरंतर झील पर नजर बनाए रखने के निर्देश दिए हैं. साथ ही सेटेलाइट के माध्यम से वहां बन रहे तालाब का निरीक्षण करने को भी कहा गया है.

वहीं, ग्लोबल वार्मिंग के चलते तेजी से पिघलते ग्लेशियर के कारण झील का जलस्तर कभी भी बढ़ सकता है. इसलिए लगातार झील की मॉनिटरिंग करने को भी कहा गया है.

देहरादून: उत्तराखंड में केदारनाथ धाम से 4 किलोमीटर ऊपर बनी झील को लेकर सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने चिंता जताई है. खतरे को भांपते हुए महाराज ने विभागीय अधिकारियों को झील का निरंतर मॉनिंटरिंग करने के निर्देश दिये हैं. साथ ही उन्होंने सेटेलाइट के माध्यम से झील पर लगातार नजर बनाए रखने को कहा है.

हालांकि, इससे पहले वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक केदारनाथ धाम पहुंचकर वहां बनी झील का निरीक्षण कर चुके हैं. जिसमें उन्होंने किसी भी तरह के खतरे की बात से साफ तौर पर इनकार किया था.

चोराबाड़ी ग्लेशियर में बन रही झील पर सतपाल महाराज ने चिंता जताई है, देखें वीडियो....

बता दें कि डॉक्टरों की टीम ने 16 जून को SDRF (स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड), पुलिस और जिला प्रशासन की एक टीम के साथ चोराबाड़ी झील का दौरा किया था. जिसके बाद डॉक्टरों ने केदारनाथ धाम से करीब 4 किलोमीटर ऊपर ग्लेशियर में बनी एक झील को चोराबाड़ी झील होने का दावा किया गया था.

पढ़ेंः केदारनाथ के चोराबाड़ी ताल में सिक्स सिग्मा का वीडियो फर्जी, नहीं है कोई खतरा

इसके बाद इस झील की जानकारी वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों को दी गयी थी. उस दौरान ये झील लगभग 250 मीटर लंबी और 150 मीटर चौड़ी बताई जा रही थी. जिसके बाद ग्लेशियर के बीच बनी झील का निरीक्षण पर वापस लौटी वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने झील के खतरे की बात पर विराम लगा दिया था.

सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने केदारनाथ धाम के ऊपर बनी झील पर चिंता व्यक्त की है. महाराज ने बताया कि अधिकारियों को निरंतर झील पर नजर बनाए रखने के निर्देश दिए हैं. साथ ही सेटेलाइट के माध्यम से वहां बन रहे तालाब का निरीक्षण करने को भी कहा गया है.

वहीं, ग्लोबल वार्मिंग के चलते तेजी से पिघलते ग्लेशियर के कारण झील का जलस्तर कभी भी बढ़ सकता है. इसलिए लगातार झील की मॉनिटरिंग करने को भी कहा गया है.

Intro:केदारनाथ धाम से 4 किलोमीटर ऊपर बने झील से खतरे को भागते हुए सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने विभागीय अधिकारी को झील का निरंतर मटरिंग करने के साथ ही सेटेलाइट के माध्यम से भी मॉनिटरिंग के निर्देश दिए हैं। हालांकि इससे पहले वाडिया के वैज्ञानिकों ने केदारनाथ धाम पहुंचकर वहा बने झील का निरीक्षण किया था उसके बाद वैज्ञानिकों ने इस झील को खतरे से बाहर बताया था साथ ही कहा था कि अगर यह झील फटती है तो उससे किसी को कोई नुकसान नहीं होगा।


Body:आपको बता दे कि डॉक्टरों की टीम ने 16 जून को राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल, पुलिस और जिला प्रशासन की एक टीम के साथ चोराबाड़ी झील का दौरा किया था, और डॉक्टरों ने केदारनाथ धाम से करीब 5 किलोमीटर ऊपर ग्लेशियर में बने एक झील को चोराबाड़ी झील होने का दावा किया गया था। जिसके बाद इस झील की जानकारी वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों को दी गयी थी। और उस दौरान वह झील लगभग 250 मीटर लंबी और 150 मीटर चौड़ी बताई जा रही थी। जिसके बाद ग्लेशियर के बीच बने झील का निरीक्षण पर वापिस पहुची वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने झील के खतरे की बात पर विराम लगा दिया था।

केदारनाथ धाम से ऊपर बने झील पर चिंता व्यक्त करते हुए सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि अधिकारियों को निर्देश दिया अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि सेटेलाइट के माध्यम से वहा बन रहे तालाब का निरीक्षण करें, क्योंकि आने वाले समय में अगर ग्लोबल वार्मिंग होती है तो उसमें पानी की मात्रा बढ़ जाएगी, इसलिए इसकी मॉनिटरिंग करते रहें। साथ ही बताया कि दुनिया में देखा गया है की जहा रिवर का स्त्रोत रहा जहां से नदी प्रारंभ होती है वहां कोई ना कोई जलाशय जरूर होता है। और ग्लोबल वॉर्मिंग से जलाशय फट जाते हैं। उसे कंट्रोल करने के लिए जो मॉडर्न टेक्नोलॉजी है उसके अनुसार सेटेलाइट से सर्वे करने कर लिए विभाग को निर्देश दिया है।

बाइट - सतपाल महाराज, सिचाई मंत्री





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