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करतारपुर साहिब यात्रा के लिए जजिया कर हटाए पाकिस्तान सरकार : भाजपा - करतारपुर साहिब में श्रद्धालुओं की संख्या

करतारपुर साहिब में दर्शन के लिए पाकिस्तान सरकार की जटिल प्रक्रिया के कारण हजारों सिख श्रद्धालु चाह कर भी वहां नहीं जा सके. कारण था, पासपोर्ट और श्रद्धालुओं में ऑनलाइन पंजीकरण की जानकारी का अभाव. इस बाबत ईटीवी भारत ने भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सरदार आरपी सिंह से खास बातचीत की. जानें पाक सरकार पर वार करते हुए उन्होंने क्या कुछ कहा...

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ने की ईटीवी भारत से बातचीत
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Published : Nov 14, 2019, 6:01 PM IST

नई दिल्ली : करतारपुर कॉरिडोर को खुले चार दिन हो चुके हैं. लेकिन गुरुनानक देव की 550वीं जयंती के मौके पर भारत से कम श्रद्धालु ही वहां गये. अनुमान लगाया जा रहा था कि करतारपुर साहिब में श्रद्धालुओं की संख्या काफी ज्यादा होगी, लेकिन हालात बिल्कुल विपरीत हैं.

करतारपुर साहिब जाने वाले श्रद्धालुओं की कम संख्या को लेकर ईटीवी भारत ने भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सरदार आरपी सिंह से खास बातचीत की. उनका कहना था कि इस बार कई तरह के कर लगाये गये हैं, जिस कारण वहां कम श्रद्धालु देखने को मिले.

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सरदार आरपी सिंह ने की ईटीवी भारत से बातचीत.

गौरतलब है कि भारत और पाक के बीच श्रद्धालुओं की संख्या को लेकर जो करार हुआ था उसमें यह तय किया गया था कि प्रतिदिन 5000 से ज्यादा श्रद्धालु नहीं जा सकेंगे, लेकिन हालात कुछ ऐसे हैं कि 5000 तो दूर बल्कि उद्घाटन के बाद पहले तीन दिनों में मात्र 897 श्रद्धालु ही करतारपुर साहिब पहुंचे.

अधिकारियों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, 10 नवम्बर को करतारपुर गलियारे का माध्यम से दरबार साहिब जाने वाले यात्रियों की संख्या 229 थी वहीं 11 नवम्बर को यह संख्या 122 तक सिमट गयी.

ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था कि गुरु पर्व के दिन श्रद्धालुओं की संख्या 5000 से भी ज्यादा हो सकती है, लेकिन उस दिन सिख श्रद्धालुओं की संख्या मात्र 546 ही रही.

इसका मुख्य कारण पाक द्वारा जजिया कर लगाया जाना, पासपोर्ट से संबंधित परेशानियां और लोगों में ऑनलाइन पंजीकरण की जागरूकता का अभाव बताया जा रहा है.

आरपी सिंह ने कहा कि भाजपा की ओर से पहले भी यह मांग उठाई गई थी कि पाकिस्तान सरकार 20 डॉलर का सेवा शुल्क हटा दे, जिस पर पाक ने कोई जवाब नहीं दिया.

उन्होंने पाकिस्तान पर आरोप लगाते हुए कहा कि पाकिस्तान करतारपुर साहिब के माध्यम से अपनी आय में वृद्धि करना चाहता है.

पढ़ें : ग्राउंड रिपोर्ट : करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन पर लोगों की प्रतिक्रियाएं

भाजपा नेता ने कहा कि एकतरफ तो पाकिस्तान करतारपुर साहिब को सिख श्रद्धालुओं का मक्का मदीना बता रहा है. मक्का मदीना मुस्लिम श्रद्धालु जाते हैं, तो क्या उन्हें भी कर अदा करना पड़ता है ?

आपी सिंह ने कहा कि पाकिस्तान आर्थिक मंदी से काफी हद तक जूझ रहा है, लेकिन अगर पाक सरकार को अपनी आय में वृद्धि करनी है तो वह भारत से अपील करे.भारतीय समुदाय उन्हें जमा कर रकम दे देंगे. लेकिन श्रद्धालुओं से लिया जाने वाला कर माफ करना होगा. क्योंकि वह कर पाक की करेंसी में काफी ज्यादा है.

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान श्रद्धालुओं के माध्यम से अपनी आय में बढ़ोतरी करने की कोशिश कर रहा है. क्योंकि भारत के पैसे पाकिस्तान में काफी ज्यादा होते हैं.

उन्होंने कहा कि पाक को चाहिए कि वह पासपोर्ट की बजाय उनके आधार कार्ड या कोई ऐसे कागजात, जिसमें उनकी ठोस जानकारी हो, उसे अपने पास रख ले, और वापसी के समय इन यात्रियों को वापस कर दे.

आरपी सिंह ने आगे कहा कि वहां पर पासपोर्ट की प्रक्रिया काफी जटिल कर दी गयी है, जिससे वहां श्रद्धालुओं की संख्या काफी कम हो रही है. जिस करतारपुर कॉरिडोर को सिखों की मांग पर बनाया गया है, वहां चाहते हुए भी सिख समुदाय के गरीब परिवार के लोग नहीं जा पा रहे हैं.

नई दिल्ली : करतारपुर कॉरिडोर को खुले चार दिन हो चुके हैं. लेकिन गुरुनानक देव की 550वीं जयंती के मौके पर भारत से कम श्रद्धालु ही वहां गये. अनुमान लगाया जा रहा था कि करतारपुर साहिब में श्रद्धालुओं की संख्या काफी ज्यादा होगी, लेकिन हालात बिल्कुल विपरीत हैं.

करतारपुर साहिब जाने वाले श्रद्धालुओं की कम संख्या को लेकर ईटीवी भारत ने भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सरदार आरपी सिंह से खास बातचीत की. उनका कहना था कि इस बार कई तरह के कर लगाये गये हैं, जिस कारण वहां कम श्रद्धालु देखने को मिले.

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सरदार आरपी सिंह ने की ईटीवी भारत से बातचीत.

गौरतलब है कि भारत और पाक के बीच श्रद्धालुओं की संख्या को लेकर जो करार हुआ था उसमें यह तय किया गया था कि प्रतिदिन 5000 से ज्यादा श्रद्धालु नहीं जा सकेंगे, लेकिन हालात कुछ ऐसे हैं कि 5000 तो दूर बल्कि उद्घाटन के बाद पहले तीन दिनों में मात्र 897 श्रद्धालु ही करतारपुर साहिब पहुंचे.

अधिकारियों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, 10 नवम्बर को करतारपुर गलियारे का माध्यम से दरबार साहिब जाने वाले यात्रियों की संख्या 229 थी वहीं 11 नवम्बर को यह संख्या 122 तक सिमट गयी.

ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था कि गुरु पर्व के दिन श्रद्धालुओं की संख्या 5000 से भी ज्यादा हो सकती है, लेकिन उस दिन सिख श्रद्धालुओं की संख्या मात्र 546 ही रही.

इसका मुख्य कारण पाक द्वारा जजिया कर लगाया जाना, पासपोर्ट से संबंधित परेशानियां और लोगों में ऑनलाइन पंजीकरण की जागरूकता का अभाव बताया जा रहा है.

आरपी सिंह ने कहा कि भाजपा की ओर से पहले भी यह मांग उठाई गई थी कि पाकिस्तान सरकार 20 डॉलर का सेवा शुल्क हटा दे, जिस पर पाक ने कोई जवाब नहीं दिया.

उन्होंने पाकिस्तान पर आरोप लगाते हुए कहा कि पाकिस्तान करतारपुर साहिब के माध्यम से अपनी आय में वृद्धि करना चाहता है.

पढ़ें : ग्राउंड रिपोर्ट : करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन पर लोगों की प्रतिक्रियाएं

भाजपा नेता ने कहा कि एकतरफ तो पाकिस्तान करतारपुर साहिब को सिख श्रद्धालुओं का मक्का मदीना बता रहा है. मक्का मदीना मुस्लिम श्रद्धालु जाते हैं, तो क्या उन्हें भी कर अदा करना पड़ता है ?

आपी सिंह ने कहा कि पाकिस्तान आर्थिक मंदी से काफी हद तक जूझ रहा है, लेकिन अगर पाक सरकार को अपनी आय में वृद्धि करनी है तो वह भारत से अपील करे.भारतीय समुदाय उन्हें जमा कर रकम दे देंगे. लेकिन श्रद्धालुओं से लिया जाने वाला कर माफ करना होगा. क्योंकि वह कर पाक की करेंसी में काफी ज्यादा है.

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान श्रद्धालुओं के माध्यम से अपनी आय में बढ़ोतरी करने की कोशिश कर रहा है. क्योंकि भारत के पैसे पाकिस्तान में काफी ज्यादा होते हैं.

उन्होंने कहा कि पाक को चाहिए कि वह पासपोर्ट की बजाय उनके आधार कार्ड या कोई ऐसे कागजात, जिसमें उनकी ठोस जानकारी हो, उसे अपने पास रख ले, और वापसी के समय इन यात्रियों को वापस कर दे.

आरपी सिंह ने आगे कहा कि वहां पर पासपोर्ट की प्रक्रिया काफी जटिल कर दी गयी है, जिससे वहां श्रद्धालुओं की संख्या काफी कम हो रही है. जिस करतारपुर कॉरिडोर को सिखों की मांग पर बनाया गया है, वहां चाहते हुए भी सिख समुदाय के गरीब परिवार के लोग नहीं जा पा रहे हैं.

Intro: करतारपुर गलियारे के रास्ते पाकिस्तान में गुरुद्वारा साहिब जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बेहद कम है पहले अनुमान लगाया गया था श्रद्धालुओं की संख्या करतारपुर के गुरुद्वारा सा दरबार साहिब में जाने वालों की संख्या काफी ज्यादा होगी और इसी वजह से भारत और पाकिस्तान के बीच जो करार हुआ था उसमें यह तय किया गया था कि प्रतिदिन 5000 से ज्यादा श्रद्धालु नहीं जा सकेंगे मगर हालात यह हैं कि 5000 तो दूर उद्घाटन के बाद पहले 3 दिनों में करतारपुर गलियारे के जरिए सिर्फ 897 श्रद्धालु ही पाकिस्तान में करतारपुर साहिब गए


Body:भारत सरकार के आव्रजन अधिकारी के हवाले से दी गई जानकारी के अनुसार 10 नवंबर को जहां करतारपुर गलियारे के माध्यम से दरबार साहिब जाने वाले यात्रियों की संख्या 229 थी वहीं 11 नवंबर को 122 और 12 नवंबर जिस दिन गुरु पर्व था और यह अनुमान किया गया था कि शायद उस दिन 5000 से भी ज्यादा श्रद्धालुओं की संख्या हो सकती है मगर उस दिन भी सीख श्रद्धालुओं की संख्या 546 मात्र ही रहे और इसकी मुख्य वजह $20 की फीस लगाया जाना और ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया के बारे में लोगों को मैं जागरूकता का अभाव और पासपोर्ट की बताई जा रही है
भाजपा की तरफ से पहले भी यह मांग उठाई गई थी कि 20 डॉलर का यह सेवा शुल्क पाकिस्तान सरकार हटा दे जिस पर अभी तक पाकिस्तान ने कोई कार्यवाही नहीं की है भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सरदार आरपी सिंह ने एक बार फिर से पाकिस्तान पर आरोप लगाते हुए कहा है कि पाकिस्तान करतारपुर साहिब के माध्यम से अपनी आय में वृद्धि करना चाहता है एक तरफ तो पाकिस्तान करतारपुर साहिब को श्रद्धालुओं का मक्का मदीना बता रहा है तो क्या मक्का मदीना अगर मुस्लिम समुदाय के लोग जाते हैं तो उन्हें $20 का जजिया कर के रूप में देना पड़ता है क्या यह सवाल उठाते हुए भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सरदार के सिंह ने पाकिस्तान से एक बार फिर अपनी मांग दोहराई है और उसमें कहा है कि अगर पाकिस्तान सरकार को आय में बढ़ोतरी करनी है जो आर्थिक मंदी से जूझ रहा है तो वह भारत से अपील करें भारत के समुदाय एकमुश्त रकम उन्हें जमा करा देंगे लेकिन जो श्रद्धालु है जो गांव से जाने वाले श्रद्धालु हैं उनके ऊपर यह $20 का जजिया कर जो पाकिस्तान की करेंसी में काफी ज्यादा है वह न वसूले


Conclusion:उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इन तीर्थयात्रियों के माध्यम से अपनी आय में बढ़ोतरी करने की कोशिश कर रहा है क्योंकि पाकिस्तान की करेंसी भारत के मध्य तुलना में भारत के पैसे वहां काफी ज्यादा होते हैं उन्होंने यह भी कहा कि तीर्थयात्रियों के लिए पासपोर्ट के बजाय उनके आधार कार्ड या कोई ऐसे कागजात जिसमें उनकी ठोस जानकारी हो उसे पाकिस्तान रख लिया करें और आते समय इन यात्रियों को वापस कर दें इसके लिए वहां पासपोर्ट और ऑनलाइन प्रक्रिया इतनी जटिल कर दी गई है जिससे श्रद्धालुओं की संख्या में प्रतिदिन कमी होती जा रही है और जिस करतारपुर कॉरिडोर को सिखों की मांग पर बनाया गया था उसमें चाहते हुए भी सिख समुदाय के गरीब परिवार के लोग वहां जा नहीं पा रहे हैं
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