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शिवसेना का भाजपा पर तंज, पूछा- लालचौक पर तिरंगा क्यों नहीं फहराते ? - बेरोजगारी से त्रस्त युवा

शिवसेना ने अपने मुख पत्र सामना में भारतीय जनता पार्टी पर तंज कसा है. पार्टी ने कहा कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 तो आपने खत्म कर दिया, लेकिन आज भी लाल चौक पर तिरंगा फहराने को लेकर आपकी नीति साफ नहीं है. यहां तक कि भाजपा कार्यकर्ता झंडा फहराने पहुंचे, तो उन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया. आखिर क्या है आपकी नीति.

Saamna Editorial
सामना
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Published : Oct 28, 2020, 10:21 PM IST

नई दिल्ली: सामना के मुख्य पत्र में बताया गया कि कश्मीर हिंदुस्तान का अविभाज्य अंग है. इसे साबित करने के लिए ही मोदी सरकार ने अनुच्छेद-370 हटाकर कश्मीर के पैरों से गुलामी की बेड़ियां तोड़कर फेंक दीं. इसके लिए उन्हें चारों ओर से शुभकामनाएं मिलीं. अनुच्छेद-370 हटने के बावजूद भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा लगभग चार दिन पहले श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा नहीं फहराया जा सका. लाल चौक पर तिरंगा फहराने के लिए गए भाजपा के कार्यकर्ताओं को कश्मीर पुलिस ने रोका और उन्हें बंदी बना लिया. यह तस्वीर क्या कह रही है? मतलब की कश्मीर की स्थिति अब भी सुधरी नहीं है.

अब कश्मीर की तीन प्रमुख पार्टियां एक हो गई हैं और उन्होंने अनुच्छेद-370 फिर से लाने के लिए लड़ाई लड़नी शुरू कर दी है. इस बीच डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला ने यहां तक कि घोषणा कर दी कि वह अनुच्छेद-370 को फिर से लाने के लिए चीन तक की मदद लेने को तैयार हैं. इसी तरह महबूबा मुफ्ती भी फारूक अब्दुल्ला के सुर से सुर मिला रही हैं. मुफ्ती का मानना है कि अनुच्छेद-370 हटाने से पहले जिस तरह कश्मीर में तिरंगा लहराया था, इसे फिर से वैसे ही लहराते देखेंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीर को स्वतंत्र करवाया है, लेकिन अगर इन सब के बावजूद आज भी कश्मीर में तिरंगा फहराने के लिए संघर्ष करना पड़े तो मतलब साफ है कि स्थिति ठीक नहीं है. इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए सेना की तैनाती बढ़ा दी गई है. आतंकवादी हमलों का डर छाया हुआ है. ऐसे में सुरक्षा के कड़े इंतेजामात किए गए हैं.

पढ़ें:पिछली सरकारों का मंत्र था, पैसा हजम परियोजना खत्म : पीएम मोदी

अनुच्छेद-370 हटाते ही कश्मीरी पंडितों की घर वापसी होगी और पंडितों को उनकी जमीन-जायदाद वापस मिलेगी, ऐसा माहौल भाजपा ने तैयार किया, लेकिन प्रत्यक्ष रूप से कितने पंडितों की घर वापसी हुई, इसको लेकर अभी भी संदेह है. अनुच्छेद-370 के समय बाहर के लोग वहां जाकर एक भी इंच जमीन खरीद नहीं सकते. बाहर के लोग वहां जाकर उद्योग-व्यापार नहीं कर सकते थे इसलिए इन सभी मुद्दों के मद्देनजर अनुच्छेद-370 को हटाकर वहां व्यापार उद्योग बढ़े ऐसी तस्वीर पेश की गई. कुछ बड़े उद्योगपतियों ने देशभक्ति से प्रेरित होकर कश्मीर में बड़े निवेश की घोषणा भी की, लेकिन साल बीत चुका, फिर भी एक रुपए का भी निवेश नहीं हो पाया है.

बेरोजगारी से त्रस्त युवा फिर से पुराने अर्थात आतंक के रास्ते की ओर निकल पड़े हैं और 370 के प्रेमी नेता इन युवकों को भड़का रहे हैं. कश्मीर से लेह-लद्दाख को अलग कर दिया गया. उस लद्दाख काउंसिल का चुनाव भाजपा ने जीता और उसका विजयोत्सव भी मनाया, लेकिन मुख्य कश्मीर में तिरंगा न फहरा पाना, एक प्रकार की हार है. तिरंगा फहराने गए युवकों को पुलिस ने पकड़ लिया. यह पुलिस पाकिस्तान की नहीं थी, इसी मिट्टी की थी. कश्मीर में फिलहाल राष्ट्रपति शासन है, लेकिन लाल चौक पर तिरंगा फहराना अपराध साबित हो गया. फिर अनुच्छेद-370 हटाने के बाद बदला क्या?

नई दिल्ली: सामना के मुख्य पत्र में बताया गया कि कश्मीर हिंदुस्तान का अविभाज्य अंग है. इसे साबित करने के लिए ही मोदी सरकार ने अनुच्छेद-370 हटाकर कश्मीर के पैरों से गुलामी की बेड़ियां तोड़कर फेंक दीं. इसके लिए उन्हें चारों ओर से शुभकामनाएं मिलीं. अनुच्छेद-370 हटने के बावजूद भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा लगभग चार दिन पहले श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा नहीं फहराया जा सका. लाल चौक पर तिरंगा फहराने के लिए गए भाजपा के कार्यकर्ताओं को कश्मीर पुलिस ने रोका और उन्हें बंदी बना लिया. यह तस्वीर क्या कह रही है? मतलब की कश्मीर की स्थिति अब भी सुधरी नहीं है.

अब कश्मीर की तीन प्रमुख पार्टियां एक हो गई हैं और उन्होंने अनुच्छेद-370 फिर से लाने के लिए लड़ाई लड़नी शुरू कर दी है. इस बीच डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला ने यहां तक कि घोषणा कर दी कि वह अनुच्छेद-370 को फिर से लाने के लिए चीन तक की मदद लेने को तैयार हैं. इसी तरह महबूबा मुफ्ती भी फारूक अब्दुल्ला के सुर से सुर मिला रही हैं. मुफ्ती का मानना है कि अनुच्छेद-370 हटाने से पहले जिस तरह कश्मीर में तिरंगा लहराया था, इसे फिर से वैसे ही लहराते देखेंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीर को स्वतंत्र करवाया है, लेकिन अगर इन सब के बावजूद आज भी कश्मीर में तिरंगा फहराने के लिए संघर्ष करना पड़े तो मतलब साफ है कि स्थिति ठीक नहीं है. इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए सेना की तैनाती बढ़ा दी गई है. आतंकवादी हमलों का डर छाया हुआ है. ऐसे में सुरक्षा के कड़े इंतेजामात किए गए हैं.

पढ़ें:पिछली सरकारों का मंत्र था, पैसा हजम परियोजना खत्म : पीएम मोदी

अनुच्छेद-370 हटाते ही कश्मीरी पंडितों की घर वापसी होगी और पंडितों को उनकी जमीन-जायदाद वापस मिलेगी, ऐसा माहौल भाजपा ने तैयार किया, लेकिन प्रत्यक्ष रूप से कितने पंडितों की घर वापसी हुई, इसको लेकर अभी भी संदेह है. अनुच्छेद-370 के समय बाहर के लोग वहां जाकर एक भी इंच जमीन खरीद नहीं सकते. बाहर के लोग वहां जाकर उद्योग-व्यापार नहीं कर सकते थे इसलिए इन सभी मुद्दों के मद्देनजर अनुच्छेद-370 को हटाकर वहां व्यापार उद्योग बढ़े ऐसी तस्वीर पेश की गई. कुछ बड़े उद्योगपतियों ने देशभक्ति से प्रेरित होकर कश्मीर में बड़े निवेश की घोषणा भी की, लेकिन साल बीत चुका, फिर भी एक रुपए का भी निवेश नहीं हो पाया है.

बेरोजगारी से त्रस्त युवा फिर से पुराने अर्थात आतंक के रास्ते की ओर निकल पड़े हैं और 370 के प्रेमी नेता इन युवकों को भड़का रहे हैं. कश्मीर से लेह-लद्दाख को अलग कर दिया गया. उस लद्दाख काउंसिल का चुनाव भाजपा ने जीता और उसका विजयोत्सव भी मनाया, लेकिन मुख्य कश्मीर में तिरंगा न फहरा पाना, एक प्रकार की हार है. तिरंगा फहराने गए युवकों को पुलिस ने पकड़ लिया. यह पुलिस पाकिस्तान की नहीं थी, इसी मिट्टी की थी. कश्मीर में फिलहाल राष्ट्रपति शासन है, लेकिन लाल चौक पर तिरंगा फहराना अपराध साबित हो गया. फिर अनुच्छेद-370 हटाने के बाद बदला क्या?

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