नई दिल्ली : भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई का राज्यसभा के लिए मनोनयन कई राजनीतिक दलों व संगठनों को नागवार गुजरा है, जिन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के इस निर्णय की आलोचना की है. पूर्व सीजेई गोगोई के मनोनयन की अधिसूचना गृह मंत्रालय की ओर से सोंमवार की शाम जारी की गई थी. इसके तत्काल बाद कांग्रेस व एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस कदम की निंदा की थी और अब भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) और एनसीपीआरआई ने भी इस निर्णय पर विरोध जताया है.
नेशनल फोरम फार सिंगल वूमंस राइट्स (एनसीपीआरआई) की वरिष्ठ सदस्य अंजलि भारद्वाज ने मंगलवार को ईटीवी भारत से बातचीत में कहा, 'किसी को भी इतनी जल्दी नियुक्त करने के हम विरोध में हैं.'
भारद्वाज ने कहा कि नियुक्ति के लिए कम से कम दो साल की अवधि होनी चाहिए. उन्होंने कहा, 'न्यायाधीश रंजन गोगोई को, जो चार महीने पहले ही सेवानिवृत्त हुए हैं, राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया है. पहले से ही कई सवाल थे, जो उनके कार्यकाल के दौरान उठाए गए थे. उन सवालों के जवाब देने के बजाय उनको नामित करने के हम विरोध में हैं.'
उन्होंने आगे कहा कि सबके लिए एक नियम होना चाहिए, चाहे वह मुख्य न्यायाधीश हों या कोई और, जो उस पद के काबिल हो, उन्हीं को नियुक्त करना चाहिए.
दूसरी तरफ सीपीआई नेता एनी. राजा ने ईटीवी भारत से कहा, 'पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई का उच्च सदन में नामांकन गलत है क्योंकि उनका नाम यौन उत्पीड़न मामले में था और इस मामले से कैसे निबटा गया था, हम सभी ने देखा.' उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद उसी व्यक्ति को राज्यसभा में नामित किया जा रहा है.
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एनी राजा ने कहा, 'इससे पता चलता है कि भारत के राष्ट्रपति भी देश के लोगों, विशेषकर देश की महिलाओं को क्या संदेश देना चाहते हैं.'
आपको बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया है. जस्टिस गोगोई बीते वर्ष 17 नवंबर को सेविनिवृत्त हुए थे. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने दशकों से चले आ रहे राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था.
पूर्व मुख्य न्यायाधीश गोगोई का सुप्रीम कोर्ट में 13 महीने का कार्यकाल रहा. इसके अलावा उन्होंने मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय आरटीआई के दायरे में लाने, सबरीमाला मंदिर और राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर फैसला दिया था. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 47 फैसले दिए.