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भागवत के सौराष्ट्र दौरे से बंगाल के भाजपा कार्यकर्ता गदगद, जानें क्या है वजह

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत अभी सौराष्ट्र के दौरे पर हैं. उनकी यात्रा से प.बंगाल की भाजपा इकाई गदगद है. इसकी वजह है बंगाल के एक लाख से अधिक मजदूर. ये सभी गुजरात के अलग-अलग हिस्सों में काम करते हैं. माना जा रहा है कि भागवत उन्हें अपने राज्य जाकर वोट में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित कर सकते हैं.

Mohan Bhagwat
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Published : Jan 22, 2021, 10:27 PM IST

Updated : Jan 23, 2021, 11:00 AM IST

राजकोट : अहमदाबाद, राजकोट, वडोदरा, भावनगर, सूरत और जामनगर के नगर निगमों के चुनाव जो नवंबर में होने वाले थे, कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर स्थगित कर दिए गए थे. राज्य निर्वाचन आयोग जल्द ही इन छह नगर निगमों, 81 नगर पालिकाओं, 31 जिला पंचायतों और 231 तालुका पंचायतों के लिए निर्वाचन अनुसूची के बारे में फैसले की घोषणा करेगा.

इस संदर्भ में आरएसएस सहित भाजपा और अन्य राजनीतिक दलों की गतिविधियों में तेजी आई है. इन दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत राजकोट में हैं. जहां वे सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्र के आरएसएस नेताओं के साथ बैठक करने वाले हैं. वे उनके साथ अन्य राज्यों के प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर भी चर्चा करेंगे, जिन्हें कोरोनो वायरस महामारी के दौरान अपने मूल स्थानों पर वापस जाने के लिए मजबूर किया गया था.

कच्छ-सौराष्ट्र के आरएसएस नेताओं के साथ बैठक
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत राजकोट प्रवास के दौरान सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्र के संघ नेताओं के साथ दो दिनों तक बैठक करेंगे. वे कोरोनो वायरस संकट के दौरान उनके द्वारा किए गए कार्यों की समीक्षा करेंगे. प्रवासी श्रमिकों की स्थिति, जिस कारण वे गुजरात से भागने के लिए मजबूर हुए थे, उनकी जीवन हानि और वर्तमान स्थिति पर चर्चा करेंगे. वे आरएसएस के कार्यकर्ताओं को सलाह दे सकते हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए.

राजकोट में एक लाख से अधिक बंगाली कुशल श्रमिक
राजकोट में आभूषण निर्माण इकाइयों में कार्यरत बंगाल के अनुमानित 100,000 कुशल श्रमिक हैं. राजकोट आभूषणों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है. गुजरात में स्थानीय स्वशासी निकाय के चुनावों के साथ-साथ पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए मोहन भागवत की यात्रा महत्वपूर्ण है. वे प्रवासी कार्यकर्ताओं की समस्याओं पर चर्चा करेंगे, इससे न केवल पश्चिम बंगाल में बल्कि अन्य राज्यों में भी भाजपा को फायदा होगा, क्योंकि राजकोट और सौराष्ट्र के अन्य जिलों में अधिकांश औद्योगिक इकाइयों में बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक लगे हुए हैं.

पढ़ें- प. बंगाल चुनाव : मौलाना अब्बास की एंट्री से बिगड़ सकता है टीएमसी का समीकरण

पश्चिम बंगाल और स्थानीय निकाय चुनावों पर असर
राजकोट के वरिष्ठ पत्रकार सुनील जोशी ने ईटीवी भारत को बताया कि राज्य भाजपा अध्यक्ष भी महाराष्ट्र से हैं और इसलिए भागवत की यात्रा आरएसएस के सोशल इंजीनियरिंग डिजाइन का हिस्सा हो सकती है. इसका सीधा फायदा भाजपा को होगा. आरएसएस ने कभी चुनाव में प्रचार नहीं किया. मोहन भागवत के लिए स्थानीय निकायों के चुनाव का कम महत्व हो सकता है, लेकिन उनकी राजकोट यात्रा को आने वाले स्थानीय निकाय चुनाव के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

राजकोट : अहमदाबाद, राजकोट, वडोदरा, भावनगर, सूरत और जामनगर के नगर निगमों के चुनाव जो नवंबर में होने वाले थे, कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर स्थगित कर दिए गए थे. राज्य निर्वाचन आयोग जल्द ही इन छह नगर निगमों, 81 नगर पालिकाओं, 31 जिला पंचायतों और 231 तालुका पंचायतों के लिए निर्वाचन अनुसूची के बारे में फैसले की घोषणा करेगा.

इस संदर्भ में आरएसएस सहित भाजपा और अन्य राजनीतिक दलों की गतिविधियों में तेजी आई है. इन दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत राजकोट में हैं. जहां वे सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्र के आरएसएस नेताओं के साथ बैठक करने वाले हैं. वे उनके साथ अन्य राज्यों के प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर भी चर्चा करेंगे, जिन्हें कोरोनो वायरस महामारी के दौरान अपने मूल स्थानों पर वापस जाने के लिए मजबूर किया गया था.

कच्छ-सौराष्ट्र के आरएसएस नेताओं के साथ बैठक
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत राजकोट प्रवास के दौरान सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्र के संघ नेताओं के साथ दो दिनों तक बैठक करेंगे. वे कोरोनो वायरस संकट के दौरान उनके द्वारा किए गए कार्यों की समीक्षा करेंगे. प्रवासी श्रमिकों की स्थिति, जिस कारण वे गुजरात से भागने के लिए मजबूर हुए थे, उनकी जीवन हानि और वर्तमान स्थिति पर चर्चा करेंगे. वे आरएसएस के कार्यकर्ताओं को सलाह दे सकते हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए.

राजकोट में एक लाख से अधिक बंगाली कुशल श्रमिक
राजकोट में आभूषण निर्माण इकाइयों में कार्यरत बंगाल के अनुमानित 100,000 कुशल श्रमिक हैं. राजकोट आभूषणों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है. गुजरात में स्थानीय स्वशासी निकाय के चुनावों के साथ-साथ पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए मोहन भागवत की यात्रा महत्वपूर्ण है. वे प्रवासी कार्यकर्ताओं की समस्याओं पर चर्चा करेंगे, इससे न केवल पश्चिम बंगाल में बल्कि अन्य राज्यों में भी भाजपा को फायदा होगा, क्योंकि राजकोट और सौराष्ट्र के अन्य जिलों में अधिकांश औद्योगिक इकाइयों में बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक लगे हुए हैं.

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पश्चिम बंगाल और स्थानीय निकाय चुनावों पर असर
राजकोट के वरिष्ठ पत्रकार सुनील जोशी ने ईटीवी भारत को बताया कि राज्य भाजपा अध्यक्ष भी महाराष्ट्र से हैं और इसलिए भागवत की यात्रा आरएसएस के सोशल इंजीनियरिंग डिजाइन का हिस्सा हो सकती है. इसका सीधा फायदा भाजपा को होगा. आरएसएस ने कभी चुनाव में प्रचार नहीं किया. मोहन भागवत के लिए स्थानीय निकायों के चुनाव का कम महत्व हो सकता है, लेकिन उनकी राजकोट यात्रा को आने वाले स्थानीय निकाय चुनाव के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

Last Updated : Jan 23, 2021, 11:00 AM IST
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