श्रीनगर : अयोध्या मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले और ईद-मिलाद-उन-नबी के मद्देनजर कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए एहतियात के तौर पर हजरतबल दरगाह की ओर जाने वाली सभी सड़कों को बंद कर दिया गया है.
पूरे केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में शनिवार को सीआरपीसी की धारा 144 के तहत प्रतिबंध लगाया था.
अधिकारियों ने रविवार को पैगंबर मुहम्मद (PBUH) का जन्मदिन मनाते हुए प्रमुख ईद-मिलाद-उन-नबी जुलूसों को भी रोक दिया और हजरतबल दरगाह, जहां पैगंबर के पवित्र अवशेष रखे हैं, पर इस तरह की किसी भी सभा की अनुमति नहीं दी गई.
इससे पहले, श्रीनगर के पुराने शहर के खोजाबाजार इलाके में हजरत नकशबंद साहिब की दरगाह पर पारम्परिक खोज-दीगर प्रार्थनाओं सहित कश्मीर में सभी प्रमुख धार्मिक कार्यों को रोक लगी दी गयी थी.
केंद्र द्वारा अनुच्छेद 370 को समाप्त करने और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद से शुक्रवार की प्रार्थनाएं यहां की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में बंद कर दी गयी है.
अधिकारियों ने जानकारी दी कि रविवार को 99वें दिन तक घाटी में सामान्य जनजीवन प्रभावित रहा, क्योंकि सार्वजनिक परिवहन बंद था और बाजार सिर्फ कुछ ही घंटों के लिए खुले थे.
उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में दुकानें खुली हैं या सड़क किनारे विक्रेता अपने व्यापार कर रहे हैं, उन्हें बंद करने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं.
अधिकारियों ने कहा कि शहर के व्यस्त गोनी खान बाजार और काका सराय क्षेत्रों में हाल ही में दो ग्रेनेड हमले हुए, जो इस बात का संकेत थे कि आतंकी बंद को जारी रखने के लिए ठोस प्रयास कर रहे हैं.
हालांकि, उन्होंने कहा, लाल चौक के व्यावसायिक केंद्र सहित अधिकतर क्षेत्रों में दुकानें और अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठान सुबह जल्दी खुल गये, लेकिन दोपहर के आसपास दुकानें बंद हो गयीं.
साप्ताहिक बाजार, जिसे स्थानीय रूप से 'संडे मार्केट' के रूप में जाना जाता है, खुला था क्योंकि टीआरसी चौक-लाल चौक रोड पर दर्जनों विक्रेताओं ने अपने स्टॉल लगाये थे.
अधिकारियों ने कहा कि सार्वजनिक परिवहन के अधिकतर साधन बंद थे, कुछ ऑटो-रिक्शा और अंतर-जिला टैक्सी घाटी के कुछ हिस्सों में घूम रहे थे.
इस बीच प्री-पेड मोबाइल फोन और सभी इंटरनेट सेवाएं निलंबित बनी रहीं.
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शीर्ष स्तर के और दूसरे पायदान के अलगाववादी राजनेताओं को प्रतिबंधात्मक हिरासत में ले लिया गया है, जबकि मुख्यधारा के नेताओं, जिनमें दो पूर्व मुख्यमंत्रियों - उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती शामिल हैं, या तो हिरासत में रखा गया है या उन्हें घर में नजरबंद रखा गया है.
सरकार ने विवादास्पद सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत पूर्व मुख्यमंत्री और श्रीनगर के लोकसभा सांसद फारूक अब्दुल्ला को हिरासत में ले रखा है.