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संस्कृति नीति बनाने के लिए आरजीयू और अरुणाचल प्रदेश सरकार में सहमति

व्यापक धरोहर दस्तावेजीकरण और अरुणाचल प्रदेश की संस्कृति नीति बनाने के लिए राज्य सरकार के शोध विभाग के साथ एक सहमति पत्र पर राजीव गांधी विश्वविद्यालय ने हस्ताक्षर किया है. सहमति पत्र के नतीजों के जरिए मौजूदा कमियों के बारे में पता लगाया जाएगा और उन्हें मजबूत करने के तरीके तलाशे जाएंगे.

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राजीव गांधी विश्वविद्यालय
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Published : Oct 17, 2020, 5:37 PM IST

ईटानगर : राजीव गांधी विश्वविद्यालय (आरजीयू) के आदिवासी अध्ययन संस्थान ने व्यापक धरोहर दस्तावेजीकरण के लिए और प्रदेश की एक संस्कृति नीति बनाने के लिए राज्य सरकार के शोध विभाग के साथ एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया है.


सहमति पत्र पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव नबाम दतार रिकम और शोध संस्थान के निदेशक बातेम पेरतीन ने शुक्रवार को हस्ताक्षर किया. इस दौरान आरजीयू के कुलपति साकेत कुशवाहा और प्रति कुलपति अमिताभ मित्रा भी उपस्थित थे.

शोध निदेशक ने इस अवसर पर परियोजना कोष की प्रथम किस्त के तौर पर केंद्रीय विश्वविद्यालय को 45,24,000 करोड़ रुपये का एक ड्राफ्ट सौंपा.

पढे़ं-प्राथमिक चिकित्सा की बुनियाद कमजोर, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार की जरूरत


सूत्रों ने बताया कि परियोजना में समुदायों को शामिल किया जाएगा, सरकारी हस्तक्षेप का खाका तैयार किया जाएगा, रणनीतियां बनाई जाएंगी तथा अकादमिक दृष्टिकोण से एक कार्य योजना बनाई जाएगी.

उन्होंने बताया कि सहमति पत्र के नतीजों के जरिए मौजूदा कमियों के बारे में पता लगाया जाएगा और उन्हें मजबूत करने के तरीके तलाशे जाएंगे, जिससे मूल निवासी समुदायों की संस्कृति का संरक्षण सुनिश्चित होगा.

प्रो. कुशवाहा ने एमओयू को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि पारंपरिक विद्या खुद में ज्ञान का अपार भंडार है.

ईटानगर : राजीव गांधी विश्वविद्यालय (आरजीयू) के आदिवासी अध्ययन संस्थान ने व्यापक धरोहर दस्तावेजीकरण के लिए और प्रदेश की एक संस्कृति नीति बनाने के लिए राज्य सरकार के शोध विभाग के साथ एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया है.


सहमति पत्र पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव नबाम दतार रिकम और शोध संस्थान के निदेशक बातेम पेरतीन ने शुक्रवार को हस्ताक्षर किया. इस दौरान आरजीयू के कुलपति साकेत कुशवाहा और प्रति कुलपति अमिताभ मित्रा भी उपस्थित थे.

शोध निदेशक ने इस अवसर पर परियोजना कोष की प्रथम किस्त के तौर पर केंद्रीय विश्वविद्यालय को 45,24,000 करोड़ रुपये का एक ड्राफ्ट सौंपा.

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सूत्रों ने बताया कि परियोजना में समुदायों को शामिल किया जाएगा, सरकारी हस्तक्षेप का खाका तैयार किया जाएगा, रणनीतियां बनाई जाएंगी तथा अकादमिक दृष्टिकोण से एक कार्य योजना बनाई जाएगी.

उन्होंने बताया कि सहमति पत्र के नतीजों के जरिए मौजूदा कमियों के बारे में पता लगाया जाएगा और उन्हें मजबूत करने के तरीके तलाशे जाएंगे, जिससे मूल निवासी समुदायों की संस्कृति का संरक्षण सुनिश्चित होगा.

प्रो. कुशवाहा ने एमओयू को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि पारंपरिक विद्या खुद में ज्ञान का अपार भंडार है.

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