हैदराबाद : गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया. केशुभाई 1995 और 1998-2001 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे. 1980 के दशक से ही वह भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़े हुए थे और 2012 में उन्होंने भाजपा से अलग होकर अपनी, गुजरात परिवर्तन पार्टी बना ली थी. बाद में 2014 में उन्होंने पार्टी का भाजपा में विलय कर दिया. पटेल श्री सोमनाथ ट्रस्ट के अध्यक्ष भी थे जो सौराष्ट्र क्षेत्र के मशहूर सोमनाथ मंदिर का प्रबंधन करता है.
वरिष्ठ नेता केशुभाई भाजपा के ऐसे कद्दावर नेता थे जिन्होंने गुजरात में संगठन को बनाने और इसके विस्तार में बृहद् योगदान दिया और 1995 में राज्य में पार्टी की पहली सरकार का नेतृत्व किया.
गुजरात में भाजपा के 'वयोवृद्ध नेता' के तौर पर प्रख्यात केशुभाई ने नरेन्द्र मोदी सहित भाजपा नेताओं की एक पीढ़ी को दिशा दिखाई. मोदी उनके बाद राज्य के मुख्यमंत्री और फिर देश के प्रधानमंत्री बने.
किसान परिवार से आने वाले पटेल अपने राजनीति के शीर्ष स्तर पर 1995 में तब पहुंचे जब वह मुख्यमंत्री बने, लेकिन पार्टी में विद्रोह के चलते उनका कार्यकाल छोटा रहा.
वह दोबारा 1998 से 2001 तक मुख्यमंत्री रहे लेकिन दूसरी बार भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए.
छह बार विधानसभा के सदस्य रहे केशुभाई पटेल 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी, स्वास्थ्य संबंधी कारणों की वजह से 2014 में उन्होंने इस्तीफा दे दिया था.
केशुभाई उन नेताओं में से थे, जिन्होंने भविष्य की राजनीति के लिए मार्ग प्रशस्त किया था. कहा जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केशुभाई पटेल को राजनीतिक गुरु मानते थे. इसे प्रमाणित करता एक किस्सा भी है.
मार्च 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देवी अन्नपूर्णा के मंदिर के शिलान्यास समारोह में भाग लेने के लिए गुजरात गए थे. जब वह स्टेज पर चढ़े, तो उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल के चरण स्पर्श किए.
केशुभाई पटेल का जन्म 24 जुलाई, 1928 को गुजरात के जूनागढ़ जिले में हुआ था. 1945 में वह प्रचारक की तरह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े थे.
उनका राजनीतिक सफर जनसंघ से कार्यकर्ता के रूप में शुरू हुआ था. वह 1960 के दशक में बने जन संघ के संस्थापकों में से एक थे. जन संघ की स्थापना के 15 वर्ष बाद गुजरात में जन संघ और कांग्रेस की गठबंधन में सरकार बनी थी. इमरजेंसी के दौरान वह जेल भी गए और उसके बाद 1977 में राजकोट सीट से लोक सभा के लिए चुने गए.
केशुभाई छह बार गुजरात विधानसभा के सदस्य रहे और एक बार सांसद रहे. वह गुजरात में 1995 में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री थे और दुबारा 1998 से 2001 तक इस पद पर रहे.
पटेल ने राजकोट के मोहनदास गांधी स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की. वह काफी कम उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक बन गए थे.
जनसंघ के कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने अपना राजनीतिक करियर शुरू किया और आपातकाल के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की स्थापना करने वाले नेताओं में शामिल थे.
उन्होंने नई पार्टी की विचारधारा के प्रसार और युवकों को पार्टी कार्यकर्ता बनने के लिए प्रोत्साहित करने की खातिर अनथक काम किया और पूरे राज्य का दौरा किया. उन्होंने आपातकाल का विरोध किया और कुछ समय के लिए जेल में भी रहे.
भाजपा को पहली बार गुजरात में 1995 में बहुमत मिला और पटेल राज्य के मुख्यमंत्री बने. हालांकि, उनका कार्यकाल कुछ महीने तक ही रहा क्योंकि पार्टी के एक अन्य नेता शंकर सिंह वाघेला ने विद्रोह कर दिया और मुख्यमंत्री बन गए.
पटेल के नेतृत्व में भाजपा 1998 में फिर जीती और वह दूसरी बार मुख्यमंत्री बने.
मुख्यमंत्री के तौर पर उनके दूसरे कार्यकाल में गुजरात में जून 1998 में विनाशकारी चक्रवात आया जिसमें हजारों लोगों की मौत हो गई और 1999 तथा 2000 में वर्षा की कमी से राज्य को जल संकट का सामना करना पड़ा. कच्छ में 2001 में भीषण भूकंप आया जिसमें हजारों लोगों की जान गई.