नई दिल्ली : यूरोपीय संघ (ईयू) के सांसदीय प्रतिनिधिमंडल की जम्मू-कश्मीर यात्रा पर विपक्ष ने सरकार को निशाने पर लिया है. EU नेताओं की कश्मीर यात्रा पर कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि उन्हें प्रतिनिधिनिमंडल के कश्मीर जाने पर कोई आपत्ति नहीं है.
गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'मुझे आपत्ति उस बात पर है कि अपने देश के सांसदों को कश्मीर जाने से रोका जा रहा है.' आजाद ने इसे कंडक्टेड टूर (conducted tour) करार दिया है.
उन्होंने कहा कि राज्य के तीन सीएम को बंद कर दिया गया लेकिन ईयू के सांसदों को कश्मीर भेजा जा रहा है. उन्होंने कहा कि 5 अगस्त को अनुच्छेद हटाने के बाद जब मैनें जम्मू कश्मीर जाने की कोशिश की तो मुझे श्रीनगर हवाई अड्डे पर रोक लिया गया, वहीं से बाहर भेज दिया गया.
बकौल आजाद, राहुल गांधी के नेतृत्व में कई राजनीतिक दलों का प्रतिनिधिमंडल कश्मीर जा रहा था, तो उस दिन भी चार घंटे के बाद वापस भेज दिया गया. उसके बाद मैं सुप्रीम कोर्ट गया जिसके बाद मुझे कश्मीर जाने की इजाजत मिली वो भी कुछ सीमित इलाकों में.
EU नेताओं की कश्मीर यात्रा पर AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ये यूरोपीय संघ का आधिकारिक डेलीगेशन नहीं है. दिल्ली में EU के दफ्तर में इनका स्वागत किया गया.
बकौल औवैसी, 'ये मोदी सरकार की निराशा (desperation) और असमंजस का स्पष्ट संकेत है, कि मोदी सरकार को एक आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल नहीं मिला.'
आजाद के अलावा कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश की संसद के सदस्य और मीडिया तक को जम्मू-कश्मीर जाने की अनुमति नही है. वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल को वहां भेज रहे हैं.
अल्वी ने कहा कि यह पूरा प्रोग्राम प्रधानमंत्री द्वारा मैनेज किया गया है. इससे दुनिया को गलत संदेश जाएगा.
वहीं राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा, 'यूरोप के सांसदों का जम्मू-कश्मीर के दौरे पर जाने के लिए स्वागत है, जबकि भारतीय सांसदों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.'
इसी कड़ी में प्रियंका गांधी और राहुल गांधी ने भी ट्वीट किया. प्रियंका गांधी ने ट्वीट करके लिखा, 'कश्मीर में यूरोपियन सांसदों को सैर-सपाटा और हस्तक्षेप की इजाजत, लेकिन भारतीय सांसदों और नेताओं को पहुंचते ही हवाई अड्डे से वापस भेजा गया! बड़ा अनोखा राष्ट्रवाद है यह.'
पीपुल डेमोक्रेटिक पार्टी ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है. केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर की वास्तविक स्थिति को देश से छिपाने के इस नाटक में पीडीपी हिस्सा नहीं लेगी.
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल द्वारा आयोजित मध्याह्न भोजन में शामिल होने वाले सभी सदस्यों से किनारा करते हुए पीडीपी ने यह बयान दिया.
पार्टी प्रवक्ता एवं पूर्व विधायक फिरदौस टाक ने बताया कि पार्टी ने आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोभाल के मध्याह्ल भोजन में शामिल हर सदस्य से दूरी बना ली है.
पीडीपी नेता ने कहा, 'पीडीपी के पास यह मानने का हर कारण है कि भाजपा सरकार किसी अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण ही जम्मू-कश्मीर में स्थिति सामान्य दिखा रही है. लेकिन पीडीपी किसी बयानबाजी का हिस्सा नहीं बनेगी.'
उन्होंने कहा कि पीडीपी भारत सरकार के अनुच्छेद 370 हटाने के कदम की आलोचना करती है.
जम्मू-कश्मीर से अवुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद वहां पर प्रतिबंध लागू कर दिये गये थे, जिन्हें धीरे-धीरे हटाया गया. लेकिन इस दौरान विपक्ष के नेताओं को कश्मीर जाने से कई बार रोका गया.
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गौरतलब है कि कश्मीर में मानवाधिकारों की स्थिति का जायजा लेने के लिए यूरोपीय यूनियन (ईयू) का संसदीय प्रतिनिधिमंडल श्रीनगर का दौरा करेगा, जहां यह दल जम्मू-कश्मीर प्रशासन के अधिकारियों और श्रीनगर के स्थानीय निवासियों से मुलाकात भी करेगा.
(पीटीआई-भाषा इनपुट)