नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने राज्य सभा में हुई अभद्रता को लेकर बयान जारी किया है. केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा है कि राज्य सभा में मार्शल के न होने पर मारपीट तक हो सकती थी. उन्होंने कहा कि कृषि विधेयकों पर चर्चा के बाद उपसभापति की ओर से 13 बार वोटिंग की अपील की गई थी.
इस बात के पर्याप्त दृश्य प्रमाण उपलब्ध हैं कि यदि मार्शल (राज्य सभा) उप सभापति हरिवंश की रक्षा नहीं करते, तो उन पर लगभग शारीरिक हमला होता.
उन्होंने कहा कि आज प्रस्ताव पर राज्य सभा अध्यक्ष ने निलंबित सासंदों को बाकी सत्र के लिए सस्पेंशन का आदेश दिया. इसके बावजूद निलंबित सदस्य सदन से वापस नहीं गए, जो संसद के नियमों का उल्लंघन है और इसके कारण राज्य सभा को स्थगित करना पड़ा.
उन्होंने आगे कहा कि कृषि संशोधन का, जो बिल था इसके बारे में संसदीय कार्यमंत्री सबसे बात करते हैं और यह समझदारी थी कि बिल को पास करवाना है.
कानून मंत्री ने कहा कि सरकार के पास कल स्पष्ट बहुमत था, 110 उपस्थित सदस्य बिल का समर्थन कर रहे थे और केवल 72 ही विरोध कर रहे थे. हमारे पास निर्णायक बहुमत था ... उनका एजेंडा सदन (राज्यसभा) को विधेयकों को पारित करने से रोकने का था.
बता दें कि कृषि विधेयकों को लेकर संसद में हुए हंगामे के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्ष को जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया था. उन्होंने आश्वस्त किया था कि किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था आगे भी बनी रहेगी. वहीं, विपक्ष पर हमला बोलते हुए तोमर ने कहा कि विपक्ष केवल देश को गुमराह करने का काम कर रही है.
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सरकार की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रकाश जावड़ेकर, प्रहलाद जोशी, पीयूष गोयल, थाावरचंद गहलोत और मुख्तार अब्बास नकवी ने संवाददाता सम्मेलन कर विपक्षी दलों के राज्यसभा सदस्यों पर जमकर हमला बोला था. राजनाथ सिंह ने कहा था कि एक स्वस्थ लोकतंत्र में ऐसे रवैये की उम्मीद नहीं की जा सकती है.
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गौरतलब है कि संसद के मानसून सत्र के सातवें दिन रविवार को विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामा किया था. हालांकि, हंगामे के राज्यसभा ने दो प्रमुख कृषि विधेयकों को ध्वनिमत से पारित कर दिया था. विधेयक पारित करने के लिए वोटिंग की प्रक्रिया के दौरान विपक्षी सदस्यों ने खूब हंगामा किया था. आक्रोशित सांसदों ने उपसभापति के आसन की ओर रुख करते हुए उनकी ओर नियम पुस्तिका को उछाला, सरकारी कागजातों को फाड़ डाला और मत विभाजन की अपनी मांग को लेकर उन पर दबाव बनाने का प्रयास किया.