तिरुवनंतपुरम : केरल विधानसभा में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को वापस लेने की मांग वाला एक प्रस्ताव पारित हो गया. यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने पेश किया था.
गौरतलब है कि केरल सरकार के प्रस्ताव पर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, नागरिकता और नैचुरलाइजेशन संघ सूची में 17 वें स्थान पर हैं. इसलिए, यह केवल संसद है जो नागरिकता से जुड़े किसी भी कानून को पारित करने की शक्ति रखती है. इसमें केरल सहित कोई भी विधानसभा शामिल नहीं है.
कानून मंत्री ने केरल विधानसभा में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ पेश प्रस्ताव को लेकर विरक्ष पर कड़ा वार किया. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि कानून पारित करने का अधिकार विधानसभा को नहीं बल्कि संसद को है.
रविशंकर प्रसाद ने कहा, संविधान में एक जनादेश है, संसद - सूची 1 में है, जबकि राज्य विधानसभाएं - सूची 2 में है. उन्होंने कहा, 'मैं फिर से केरल के मुख्यमंत्री से आग्रह करना चाहूंगा कि कृपया बेहतर कानूनी सलाह लें.'
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प्रसाद ने सीएए कानून का समर्थन करते हुए कहा कि इससे पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को सहायता मिलेगी. उन्होंने आगे कहा कि 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी इसका समर्थन किया था. इस कानून का भारत के किसी भी नागरिक पर कोई असर नहीं पडे़गा.
उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा कि, 'निहित स्वार्थ में बहुत सारे लोग इसका दुष्प्रचार कर रहे हैं. सीएए पूरी तरह से संवैधानिक और कानूनी है.
गौरतलब है कि राज्य में सत्तारुढ़ माकपा नीत एलडीएफ और विपक्षी कांग्रेस नीत यूडीएफ ने सीएए के खिलाफ पेश प्रस्ताव का समर्थन किया.
हालांकि, भाजपा के एकमात्र विधायक एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री ओ राजगोपाल ने इसका विरोध किया.
आपको बता दें कि मंगलवार को केरल विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया था.