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जो लोग इंटरनेट का गलत इस्तेमाल करते हैं, निजता का अधिकार उनके लिए नहीं है : प्रसाद

सूचना प्रौद्योगिकी एवं कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि जो लोग इंटरनेट का गलत इस्तेमाल करते हैं, वह निजता की दलील नहीं दे सकते हैं. उन्होंने कहा कि एक आतंकवादी गोपनीयता की दलील नहीं दे सकता. प्रसाद ने एक साइबर सुरक्षा सम्मेलन में यह बात कही है. पढ़ें पूरी खबर...

फाइल फोटो
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Published : Oct 15, 2019, 9:29 AM IST

Updated : Oct 16, 2019, 7:33 AM IST

नई दिल्ली : सूचना प्रौद्योगिकी एवं कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों और अफवाह फैलाए जाने पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि जो लोग इंटरनेट प्लेटफार्म का गलत इस्तेमाल करते हैं, वह निजता की दलील नहीं दे सकते.

मंत्री ने कहा कि उन्होंने पिछले एक साल से अपना रुख बनाए रखा है कि व्हाट्सएप पर संदेशों की शुरुआत का पता चलना चाहिए. इससे फर्जी समाचार और अफवाहों को बढ़ावा देकर समाज में अशांति फैलाने वाले लोगों को पकड़ने में मदद मिलेगी.

प्रसाद ने ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) द्वारा आयोजित एक साइबर सुरक्षा सम्मेलन में कहा, 'क्या किसी आतंकवादी को निजता का अधिकार है? क्या कोई व्यक्ति जो तबाही को बढ़ावा देता है, उसके पास निजता का अधिकार है? ये ऐसे प्रश्न हैं, जिनसे हम निपट रहे हैं. विडंबना यह है कि जो आतंकवाद को फैलाने, कट्टरपंथ को बढ़ावा देने, तबाही को भड़काने के लिए इस खूबसूरत मंच का गलत इस्तेमाल करते हैं, वह निजता की दलील देते हैं.'

पढ़ें-डोभाल के आतंक के खिलाफ एकल एजेंसी वाले सुझाव पर जानें क्या कहते हैं रक्षा मामलों के जानकार

उच्चतम न्यायालय के एक आदेश का हवाला देते हुए मंत्री ने कहा कि एक आतंकवादी गोपनीयता की दलील नहीं दे सकता.

आपको बता दें कि सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने व्हाट्सएप से कहा है कि वह एक ऐसा तंत्र विकसित करे, जिससे व्हाट्सएप संदेशों की शुरुआत का पता लगाया जा सके. इससे आतंकवादियों और चरमपंथियों द्वारा व्हाट्सएप के गलत इस्तेमाल को रोकने में मदद मिलेगी.

नई दिल्ली : सूचना प्रौद्योगिकी एवं कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों और अफवाह फैलाए जाने पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि जो लोग इंटरनेट प्लेटफार्म का गलत इस्तेमाल करते हैं, वह निजता की दलील नहीं दे सकते.

मंत्री ने कहा कि उन्होंने पिछले एक साल से अपना रुख बनाए रखा है कि व्हाट्सएप पर संदेशों की शुरुआत का पता चलना चाहिए. इससे फर्जी समाचार और अफवाहों को बढ़ावा देकर समाज में अशांति फैलाने वाले लोगों को पकड़ने में मदद मिलेगी.

प्रसाद ने ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) द्वारा आयोजित एक साइबर सुरक्षा सम्मेलन में कहा, 'क्या किसी आतंकवादी को निजता का अधिकार है? क्या कोई व्यक्ति जो तबाही को बढ़ावा देता है, उसके पास निजता का अधिकार है? ये ऐसे प्रश्न हैं, जिनसे हम निपट रहे हैं. विडंबना यह है कि जो आतंकवाद को फैलाने, कट्टरपंथ को बढ़ावा देने, तबाही को भड़काने के लिए इस खूबसूरत मंच का गलत इस्तेमाल करते हैं, वह निजता की दलील देते हैं.'

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उच्चतम न्यायालय के एक आदेश का हवाला देते हुए मंत्री ने कहा कि एक आतंकवादी गोपनीयता की दलील नहीं दे सकता.

आपको बता दें कि सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने व्हाट्सएप से कहा है कि वह एक ऐसा तंत्र विकसित करे, जिससे व्हाट्सएप संदेशों की शुरुआत का पता लगाया जा सके. इससे आतंकवादियों और चरमपंथियों द्वारा व्हाट्सएप के गलत इस्तेमाल को रोकने में मदद मिलेगी.

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Right to privacy not for those who abuse internet platform: Prasad
         New Delhi, Oct 14 (PTI) IT and Law minister Ravi Shankar Prasad on Monday expressed concerns over fake news circulations and rumour mongering on social media and said those who abuse internet platform cannot seek plea of privacy.
         The minister said he has maintained his stand since last one year that origin of messages on Whatsapp should be known to help track people who promote disturbance in the society by promoting fake news and rumours.
         "Does a terrorist have a right to privacy? Does a person who promotes mayhem has right to privacy? These are the questions with which we are dealing. Irony is that, those who abuse this beautiful platform to ferment terrorism, to radicalise, to provoke mayhem seek the plea of privacy," Prasad said while speaking at a cyber security conference organised by the Observer Research Foundation (ORF).
         Citing the Supreme Court's observation, the minister said a terrorist cannot take the plea of privacy.
         Talking about misuse of social media, Prasad said, "Whatsapp is very fine instrument but if a particular mischief maker abuses Whatsapp, he circulates fake news design to create mayhem, rumour mongering, (that) lead to killing, what should be done? We don't need rocket science. On the same day, on the same issue and in same area, millions of fake rumours are circulated but the origin must be known," Prasad said.
         The IT ministry has asked WhatsApp to develop a mechanism to trace origin of messages when the app is found to be abused by terrorists and extremists.
         WhatsApp has said that it supports encryption and is focussed on making changes to its product to deal with virality like forward limits that it had set on its messages.
         The platform is yet to heed to the demand of Indian government. PTI
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Last Updated : Oct 16, 2019, 7:33 AM IST
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