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किसान महासंघ का एलान, बात करे सरकार नहीं तो तेज होगा आंदोलन

केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि विधेयकों का विरोध लगातार तेज होता जा रहा है. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन करने का एलान किया है. 100 से ज्यादा किसान संगठनों के महासंघ ने बैठक कर निर्णय लिया कि वह कृषि कानून के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन में तेजी लाएंगे.

farmers against new agriculture bill
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Published : Nov 3, 2020, 8:15 PM IST

Updated : Nov 3, 2020, 9:31 PM IST

नई दिल्ली : अखिल भारतीय किसान महासंघ ने घोषणा की है कि वह केंद्र सरकार द्वारा लाये गए कृषि कानूनों के विरोध में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) द्वारा 5 नवंबर को देशव्यापी चक्का जाम के आह्वान का समर्थन करेंगे.

100 से ज्यादा किसान संगठनों के महासंघ ने मंगलवार को दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज में एक बैठक की, जिसमें यह निर्णय लिया गया कि कृषि कानून के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन में तेजी लाने के साथ-साथ इसको आगे भी बढ़ाया जाएगा.

किसान महासंघ ने 11 सदस्यीय की एक कमेटी का भी गठन किया गया है, जो अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप से बातचीत कर यह निर्णय लेंगे कि 26 और 27 नवंबर को समन्वय समिति के दिल्ली घेरो कार्यक्रम को किस तरह आगे बढ़ाना है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ईटीवी भारत से विशेष बातचीत करते हुए राष्ट्रीय किसान महासंघ के अध्यक्ष शिव कुमार शर्मा ने बताया कि अभी तक किसान महासंघ और AIKSCC अपने आंदोलन अलग अलग चला रहे थे, लेकिन अब यह निर्णय लिया गया है कि सभी संगठन एकजुट हो कर संघर्ष करें, जिससे सरकार पर दबाव बनाया जा सके.

पढ़ें-केंद्र के कृषि कानून के खिलाफ साझा आंदोलन का एलान

वहीं सरकार के मंत्री यह आरोप लगाते रहे हैं कि केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध केवल राजनीतिक है. ये कानून किसानों के फायदे के हैं और केवल बिचौलियों के द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है. इसका जवाब देते हुए किसान नेता शिव कुमार शर्मा ने कहा कि जब कांग्रेस के समय वह सरकार की नीतियों का विरोध करते थे तब उन्हें भाजपा समर्थक बताया जाता था और आज जब भाजपा की सरकार है, तो उन्हें कांग्रेस समर्थक या बिचौलियों का समर्थक बताया जाता है.

किसान महासंघ के अध्यक्ष ने आगे कहा कि देश के सबसे बड़े गैर राजनीतिक किसान संगठन में शुमार राष्ट्रीय किसान महासंघ के पास सरकार से बातचीत या चर्चा का कोई प्रस्ताव नहीं आया. ऐसे में सरकार के उस दावे पर भी सवाल खड़े होते हैं, जिसमें उनका कहना है कि वह लगातार किसानों के संपर्क में हैं और बातचीत कर रहे हैं.

बता दें कि 5 नवंबर को कृषि कानून के विरोध में देशव्यापी चक्काजाम का आह्वान किसान संगठनों द्वारा किया गया है. 26 और 27 नवंबर को देशभर के किसानों को दिल्ली में जुटाने का एलान AIKSCC ने किया है. इस तरह से सरकार पर लगातार दबाव बनाने की कोशिश किसान संगठनों द्वारा की जा रही है.

राष्ट्रीय किसान महासंघ ने आज अपनी मांग को दोहराते हुए कहा है कि यदि सरकार एमएसपी अनिवार्य करने का कानून ले आती है, तो किसान संगठन आज ही आंदोलन वापस लेने को तैयार हैं, यदि सरकार किसानों की मांगें नहीं मानती है, तो आंदोलन लगातार जारी रहेगा.

नई दिल्ली : अखिल भारतीय किसान महासंघ ने घोषणा की है कि वह केंद्र सरकार द्वारा लाये गए कृषि कानूनों के विरोध में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) द्वारा 5 नवंबर को देशव्यापी चक्का जाम के आह्वान का समर्थन करेंगे.

100 से ज्यादा किसान संगठनों के महासंघ ने मंगलवार को दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज में एक बैठक की, जिसमें यह निर्णय लिया गया कि कृषि कानून के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन में तेजी लाने के साथ-साथ इसको आगे भी बढ़ाया जाएगा.

किसान महासंघ ने 11 सदस्यीय की एक कमेटी का भी गठन किया गया है, जो अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप से बातचीत कर यह निर्णय लेंगे कि 26 और 27 नवंबर को समन्वय समिति के दिल्ली घेरो कार्यक्रम को किस तरह आगे बढ़ाना है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ईटीवी भारत से विशेष बातचीत करते हुए राष्ट्रीय किसान महासंघ के अध्यक्ष शिव कुमार शर्मा ने बताया कि अभी तक किसान महासंघ और AIKSCC अपने आंदोलन अलग अलग चला रहे थे, लेकिन अब यह निर्णय लिया गया है कि सभी संगठन एकजुट हो कर संघर्ष करें, जिससे सरकार पर दबाव बनाया जा सके.

पढ़ें-केंद्र के कृषि कानून के खिलाफ साझा आंदोलन का एलान

वहीं सरकार के मंत्री यह आरोप लगाते रहे हैं कि केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध केवल राजनीतिक है. ये कानून किसानों के फायदे के हैं और केवल बिचौलियों के द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है. इसका जवाब देते हुए किसान नेता शिव कुमार शर्मा ने कहा कि जब कांग्रेस के समय वह सरकार की नीतियों का विरोध करते थे तब उन्हें भाजपा समर्थक बताया जाता था और आज जब भाजपा की सरकार है, तो उन्हें कांग्रेस समर्थक या बिचौलियों का समर्थक बताया जाता है.

किसान महासंघ के अध्यक्ष ने आगे कहा कि देश के सबसे बड़े गैर राजनीतिक किसान संगठन में शुमार राष्ट्रीय किसान महासंघ के पास सरकार से बातचीत या चर्चा का कोई प्रस्ताव नहीं आया. ऐसे में सरकार के उस दावे पर भी सवाल खड़े होते हैं, जिसमें उनका कहना है कि वह लगातार किसानों के संपर्क में हैं और बातचीत कर रहे हैं.

बता दें कि 5 नवंबर को कृषि कानून के विरोध में देशव्यापी चक्काजाम का आह्वान किसान संगठनों द्वारा किया गया है. 26 और 27 नवंबर को देशभर के किसानों को दिल्ली में जुटाने का एलान AIKSCC ने किया है. इस तरह से सरकार पर लगातार दबाव बनाने की कोशिश किसान संगठनों द्वारा की जा रही है.

राष्ट्रीय किसान महासंघ ने आज अपनी मांग को दोहराते हुए कहा है कि यदि सरकार एमएसपी अनिवार्य करने का कानून ले आती है, तो किसान संगठन आज ही आंदोलन वापस लेने को तैयार हैं, यदि सरकार किसानों की मांगें नहीं मानती है, तो आंदोलन लगातार जारी रहेगा.

Last Updated : Nov 3, 2020, 9:31 PM IST
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