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उन्नाव दुष्कर्म कांड: लोग पूछ रहे, क्यों नहीं हुई ठोस कार्रवाई

उन्नाव दुष्कर्म मामला की गूंज प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश मे है. पीड़िता हादसे के बाद मौत से लड़ रही है. मामला इतना बड़ा होने के बाद भी अभी तक इस ठोस कार्यवाई क्यों नहीं हुई, यह सवाल पीड़ता का परिवार नहीं पूरा देश उठा रहा है.

प्रतीकात्मक तस्वीर.
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Published : Aug 2, 2019, 8:51 AM IST

लखनऊः उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के माखी में हुए दुष्कर्म कांड की गूंज इस समय प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश में है. दुष्कर्म पीड़िता हादसे के बाद मौत से जूझ रही है. हर कोई गुस्से में है. इसके बावजूद संगीन मामले से जुड़े लोगों पर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं हुई, यह सवाल पीड़ित परिवार के साथ तमाम लोग उठा रहे हैं. राजनीतिक रसूख ही है कि दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज होने, जेल जाने और सीबीआई की जांच जारी होने के बाद भी क्षेत्र में विधायक का दबदबा कायम रहा. यही नहीं, इस मुद्दे पर गैर भाजपा दलों के घेरने पर अब कुलदीप के भाजपा से निलंबन की कार्रवाई हुई है, मगर विधायक का उनका दर्जा बरकरार है.

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उन्नाव दुष्कर्म कांड मामला
कुलदीप का राजनीतिक जीवनविधायक कुलदीप सेंगर ने साल 2002 में बसपा के टिकट पर उत्तर प्रदेश के उन्नाव सदर से चुनाव लड़कर अपनी राजनीति की शुरुआत की थी. इसके बाद वह समाजवादी पार्टी में गए और फिर 2017 में भाजपा में शामिल होकर बांगरमऊ से विधानसभा चुनाव जीते.आखिर क्यों चर्चा में आए में सेंगर इसी साल कुलदीप सेंगर उस समय चर्चा में आए, जब उन पर और उनके भाइयों पर 11 से 20 जून 2017 के बीच एक नाबालिग लड़की (उस समय उम्र 17 साल थी) ने सामूहिक दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था. मामले ने जब तूल पकड़ा तो आरोपियों पर मामला दर्ज किया गया और इसकी जांच एसआईटी को सौंपी गई.बरकरार था कुलदीप का दबदबा पीड़िता ने थाने में आरोपी विधायक के खिलाफ तहरीर दी थी, लेकिन कार्रवाई की बात तो दूर, पुलिस उसे 10 महीने तक टरकाती रही. इसके बाद पीड़िता ने कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था. इस मामले को लेकर पीड़िता का परिवार कई बार लखनऊ में पुलिस के उच्चाधिकारियों से भी मिला. पीड़िता ने एक बार मुख्यमंत्री से जनता दरबार में भी गुहार लगाई, लेकिन जांच की बात कहकर मामले को टाल दिया गया था.मामला दर्ज हो पाता, उससे पहले 8 अप्रैल, 2018 को पीड़िता के पिता को उन्नाव पुलिस ने आर्म्स एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया. पीड़िता ने प्रदेश के मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह करने की कोशिश की, जिसमें उसे बचा लिया गया. पुलिस कस्टडी में पिटाई से पिता की मौतपीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में हुई पिटाई की वजह से 9 अप्रैल, 2018 को मौत हो गई थी. इससे पहले, एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें विधायक कुलदीप सेंगर के भाई अतुल सेंगर को पीड़िता के पिता की पिटाई करते देखा गया था.राजनीतिक रूप से देखा गया मामले कोइस मामले पर जब राजनीति गरमाई और सीबीआई जांच की मांग उठी तो 12 अप्रैल, 2018 को केंद्र ने उत्तर प्रदेश सरकार की सिफारिश मंजूर करते हुए सीबीआई जांच को मंजूरी दे दी. सीबीआई ने उसी दिन विधायक को हिरासत में ले लिया. इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बयान दिया कि अपराधी कोई भी हो, बख्शा नहीं जाएगा. वहीं डीजीपी ने कहा, विधायक अभी सिर्फ आरोपी हैं.जांच में कुलदीप को बताया गया अभियुक्तनाबालिग से दुष्कर्म के मामले में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को अभियुक्त तो बनाया गया, लेकिन गिरफ्तारी नहीं की गई. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वत:संज्ञान लिया और राज्य सरकार से पूछा कि सरकार विधायक सेंगर की गिरफ्तारी करेगी या नहीं. सीबीआई ने पूछताछ के लिए विधायक को हिरासत में लिया, उसके बाद गिरफ्तारी की और मामले में नई एफआईआर दर्ज की गई.परिवार पर मंडराने लगा खतराइसके बाद 15 अप्रैल 2018 को पीड़ित परिवार ने कहा कि उनकी जान को आरोपी विधायक के समर्थकों से खतरा है. पीड़िता के चाचा ने कहा कि उनका एक भतीजा पिछले चार-पांच दिन से लापता है. इसके बाद 17 अप्रैल, 2018 को विधायक के खिलाफ सीबीआई ने चौथी एफआईआर दर्ज की. साथ ही जज के सामने बंद कमरे में पीड़िता का बयान दर्ज किया गया.18 अप्रैल, 2018 को सीबीआई को पीड़िता के पिता के खिलाफ पुलिस की एफआईआर फर्जी होने के सबूत भी मिले.पीड़िता के चाचा को डाला गया जेल मेंपीड़िता के परिवार को लगातार डराने और धमकाने की बात भी सामने आ रही है. पीड़िता के चाचा को एक पुराने मामले में जेल में डाल दिया गया है और मामले के एक गवाह की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो चुकी है.

पढे़ंः सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई अधिकारी को किया तलब, वकील का भाई बोला- अब होगा न्याय
पीड़िता को जान से मारने की साजिश
28 जुलाई, 2019 को पीड़िता अपने अपनी चाची, मौसी और वकील के साथ रायबरेली जा रही थी. रास्ते में उनकी कार को ट्रक ने टक्कर मार दी. कार के परखच्चे उड़ गए. इस हादसे में पीड़िता की चाची और मौसी की मौत हो गई. पीड़िता और उसके वकील का इलाज लखनऊ के किंग जॉर्ज अस्पताल में चल रहा है और दोनों को लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया है.
हादसे के दौरान गायब थे पीड़िता के सुरक्षाकर्मी
जिस ट्रक ने पीड़िता की कार में टक्कर मारी, उसके नंबर प्लेट पर ग्रीस लगाकर नंबर को छुपाया गया है. लड़की को सुरक्षा के लिए कुल नौ सुरक्षाकर्मी दिए गए, लेकिन घटना के वक्त उसके साथ एक भी सुरक्षाकर्मी नहीं था.

पढ़ेंः उन्नाव रेप कांड: पीड़ित परिवार को योगी सरकार ने 25 लाख रुपये की आर्थिक मदद की
केस वापस लेने के लिए दी जा रही है धमकी
पीड़िता के परिवार का आरोप है कि विधायक के लोग उन्हें केस वापस लेने की लगातार धमकी दे रहे थे और ये दुर्घटना प्रयोजित तरीके से करवाई गई. पीड़िता व उसके परिवार को विधायक के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस लेने के लिए धमकाया जा रहा था. इसके चलते पीड़िता दिल्ली में रह रही थी. बीती 20 जुलाई को सीबीआई को बयान देने गांव आई थी. रविवार को चाचा से मुलाकात के बाद वह दिल्ली लौटने वाली थी.
निष्पक्ष तरीके से जांच हो रही हैः डीजीपी
उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओ.पी. सिंह ने कहा, "जांच से पता चलता है कि यह पूरी तरह से एक ट्रक के कारण दुर्घटना थी. ट्रक ड्राइवर और मालिक को गिरफ्तार कर लिया गया है. उनसे पूछताछ जारी है. हम निष्पक्ष जांच कर रहे हैं। इसके बाद भी यदि पीड़ित परिवार मामले की सीबीआई जांच की मांग करता है, तो हम मामले को भी सीबीआई को सौंप देंगे.
जाने राजनीति विशेषज्ञ ने क्या कहा
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल का कहना है कि यह मामला बड़ा पेचीदा हो चला है. आरोप सिद्ध करने में दिक्कत हो रही है..यह तो इतने शातिर है कि उन्होंने सारे साक्ष्य चलाकी से छुपाए, रखे जिस कारण सीबीआई को इन तक पहुंचने में दिक्कत हो रही है.

पढ़ेंः उन्नाव रेपकांड: पीड़िता की मौसी का हुआ अंतिम संस्कार, मृतका की बेटी ने कहा- भाई को दी जाए नौकरी

लखनऊः उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के माखी में हुए दुष्कर्म कांड की गूंज इस समय प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश में है. दुष्कर्म पीड़िता हादसे के बाद मौत से जूझ रही है. हर कोई गुस्से में है. इसके बावजूद संगीन मामले से जुड़े लोगों पर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं हुई, यह सवाल पीड़ित परिवार के साथ तमाम लोग उठा रहे हैं. राजनीतिक रसूख ही है कि दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज होने, जेल जाने और सीबीआई की जांच जारी होने के बाद भी क्षेत्र में विधायक का दबदबा कायम रहा. यही नहीं, इस मुद्दे पर गैर भाजपा दलों के घेरने पर अब कुलदीप के भाजपा से निलंबन की कार्रवाई हुई है, मगर विधायक का उनका दर्जा बरकरार है.

etvbharat
उन्नाव दुष्कर्म कांड मामला
कुलदीप का राजनीतिक जीवनविधायक कुलदीप सेंगर ने साल 2002 में बसपा के टिकट पर उत्तर प्रदेश के उन्नाव सदर से चुनाव लड़कर अपनी राजनीति की शुरुआत की थी. इसके बाद वह समाजवादी पार्टी में गए और फिर 2017 में भाजपा में शामिल होकर बांगरमऊ से विधानसभा चुनाव जीते.आखिर क्यों चर्चा में आए में सेंगर इसी साल कुलदीप सेंगर उस समय चर्चा में आए, जब उन पर और उनके भाइयों पर 11 से 20 जून 2017 के बीच एक नाबालिग लड़की (उस समय उम्र 17 साल थी) ने सामूहिक दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था. मामले ने जब तूल पकड़ा तो आरोपियों पर मामला दर्ज किया गया और इसकी जांच एसआईटी को सौंपी गई.बरकरार था कुलदीप का दबदबा पीड़िता ने थाने में आरोपी विधायक के खिलाफ तहरीर दी थी, लेकिन कार्रवाई की बात तो दूर, पुलिस उसे 10 महीने तक टरकाती रही. इसके बाद पीड़िता ने कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था. इस मामले को लेकर पीड़िता का परिवार कई बार लखनऊ में पुलिस के उच्चाधिकारियों से भी मिला. पीड़िता ने एक बार मुख्यमंत्री से जनता दरबार में भी गुहार लगाई, लेकिन जांच की बात कहकर मामले को टाल दिया गया था.मामला दर्ज हो पाता, उससे पहले 8 अप्रैल, 2018 को पीड़िता के पिता को उन्नाव पुलिस ने आर्म्स एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया. पीड़िता ने प्रदेश के मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह करने की कोशिश की, जिसमें उसे बचा लिया गया. पुलिस कस्टडी में पिटाई से पिता की मौतपीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में हुई पिटाई की वजह से 9 अप्रैल, 2018 को मौत हो गई थी. इससे पहले, एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें विधायक कुलदीप सेंगर के भाई अतुल सेंगर को पीड़िता के पिता की पिटाई करते देखा गया था.राजनीतिक रूप से देखा गया मामले कोइस मामले पर जब राजनीति गरमाई और सीबीआई जांच की मांग उठी तो 12 अप्रैल, 2018 को केंद्र ने उत्तर प्रदेश सरकार की सिफारिश मंजूर करते हुए सीबीआई जांच को मंजूरी दे दी. सीबीआई ने उसी दिन विधायक को हिरासत में ले लिया. इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बयान दिया कि अपराधी कोई भी हो, बख्शा नहीं जाएगा. वहीं डीजीपी ने कहा, विधायक अभी सिर्फ आरोपी हैं.जांच में कुलदीप को बताया गया अभियुक्तनाबालिग से दुष्कर्म के मामले में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को अभियुक्त तो बनाया गया, लेकिन गिरफ्तारी नहीं की गई. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वत:संज्ञान लिया और राज्य सरकार से पूछा कि सरकार विधायक सेंगर की गिरफ्तारी करेगी या नहीं. सीबीआई ने पूछताछ के लिए विधायक को हिरासत में लिया, उसके बाद गिरफ्तारी की और मामले में नई एफआईआर दर्ज की गई.परिवार पर मंडराने लगा खतराइसके बाद 15 अप्रैल 2018 को पीड़ित परिवार ने कहा कि उनकी जान को आरोपी विधायक के समर्थकों से खतरा है. पीड़िता के चाचा ने कहा कि उनका एक भतीजा पिछले चार-पांच दिन से लापता है. इसके बाद 17 अप्रैल, 2018 को विधायक के खिलाफ सीबीआई ने चौथी एफआईआर दर्ज की. साथ ही जज के सामने बंद कमरे में पीड़िता का बयान दर्ज किया गया.18 अप्रैल, 2018 को सीबीआई को पीड़िता के पिता के खिलाफ पुलिस की एफआईआर फर्जी होने के सबूत भी मिले.पीड़िता के चाचा को डाला गया जेल मेंपीड़िता के परिवार को लगातार डराने और धमकाने की बात भी सामने आ रही है. पीड़िता के चाचा को एक पुराने मामले में जेल में डाल दिया गया है और मामले के एक गवाह की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो चुकी है.

पढे़ंः सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई अधिकारी को किया तलब, वकील का भाई बोला- अब होगा न्याय
पीड़िता को जान से मारने की साजिश
28 जुलाई, 2019 को पीड़िता अपने अपनी चाची, मौसी और वकील के साथ रायबरेली जा रही थी. रास्ते में उनकी कार को ट्रक ने टक्कर मार दी. कार के परखच्चे उड़ गए. इस हादसे में पीड़िता की चाची और मौसी की मौत हो गई. पीड़िता और उसके वकील का इलाज लखनऊ के किंग जॉर्ज अस्पताल में चल रहा है और दोनों को लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया है.
हादसे के दौरान गायब थे पीड़िता के सुरक्षाकर्मी
जिस ट्रक ने पीड़िता की कार में टक्कर मारी, उसके नंबर प्लेट पर ग्रीस लगाकर नंबर को छुपाया गया है. लड़की को सुरक्षा के लिए कुल नौ सुरक्षाकर्मी दिए गए, लेकिन घटना के वक्त उसके साथ एक भी सुरक्षाकर्मी नहीं था.

पढ़ेंः उन्नाव रेप कांड: पीड़ित परिवार को योगी सरकार ने 25 लाख रुपये की आर्थिक मदद की
केस वापस लेने के लिए दी जा रही है धमकी
पीड़िता के परिवार का आरोप है कि विधायक के लोग उन्हें केस वापस लेने की लगातार धमकी दे रहे थे और ये दुर्घटना प्रयोजित तरीके से करवाई गई. पीड़िता व उसके परिवार को विधायक के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस लेने के लिए धमकाया जा रहा था. इसके चलते पीड़िता दिल्ली में रह रही थी. बीती 20 जुलाई को सीबीआई को बयान देने गांव आई थी. रविवार को चाचा से मुलाकात के बाद वह दिल्ली लौटने वाली थी.
निष्पक्ष तरीके से जांच हो रही हैः डीजीपी
उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओ.पी. सिंह ने कहा, "जांच से पता चलता है कि यह पूरी तरह से एक ट्रक के कारण दुर्घटना थी. ट्रक ड्राइवर और मालिक को गिरफ्तार कर लिया गया है. उनसे पूछताछ जारी है. हम निष्पक्ष जांच कर रहे हैं। इसके बाद भी यदि पीड़ित परिवार मामले की सीबीआई जांच की मांग करता है, तो हम मामले को भी सीबीआई को सौंप देंगे.
जाने राजनीति विशेषज्ञ ने क्या कहा
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल का कहना है कि यह मामला बड़ा पेचीदा हो चला है. आरोप सिद्ध करने में दिक्कत हो रही है..यह तो इतने शातिर है कि उन्होंने सारे साक्ष्य चलाकी से छुपाए, रखे जिस कारण सीबीआई को इन तक पहुंचने में दिक्कत हो रही है.

पढ़ेंः उन्नाव रेपकांड: पीड़िता की मौसी का हुआ अंतिम संस्कार, मृतका की बेटी ने कहा- भाई को दी जाए नौकरी

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उन्नाव दुष्कर्म कांड : लोग पूछ रहे, क्यों नहीं हुई ठोस कार्रवाई



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लखनऊ, 1 अगस्त (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के माखी में हुए दुष्कर्म कांड की गूंज इस समय प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश में है। दुष्कर्म पीड़िता हादसे के बाद मौत से जूझ रही है। हर कोई गुस्से में है। इसके बावजूद संगीन मामले से जुड़े लोगों पर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं हुई, यह सवाल पीड़ित परिवार के साथ तमाम लोग उठा रहे हैं। राजनीतिक रसूख ही है कि दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज होने, जेल जाने और सीबीआई की जांच जारी होने के बाद भी क्षेत्र में विधायक का दबदबा कायम रहा। यही नहीं, इस मुद्दे पर गैर भाजपा दलों के घेरने पर अब कुलदीप के भाजपा से निलंबन की कार्रवाई हुई है, मगर विधायक का उनका दर्जा बरकरार है।



विधायक कुलदीप सेंगर ने साल 2002 में बसपा के टिकट पर उत्तर प्रदेश के उन्नाव सदर से चुनाव लड़कर अपनी राजनीति की शुरुआत की थी। इसके बाद वह समाजवादी पार्टी में गए और फिर 2017 में भाजपा में शामिल होकर बांगरमऊ से विधानसभा चुनाव जीते। इसी साल कुलदीप सेंगर उस समय चर्चा में आए, जब उन पर और उनके भाइयों पर 11 से 20 जून 2017 के बीच एक नाबालिग लड़की (उस समय उम्र 17 साल थी) ने सामूहिक दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। मामले ने जब तूल पकड़ा तो आरोपियों पर मामला दर्ज किया गया और इसकी जांच एसआईटी को सौंपी गई।



पीड़िता ने थाने में आरोपी विधायक के खिलाफ तहरीर दी थी, लेकिन कार्रवाई की बात तो दूर, पुलिस उसे 10 महीने तक टरकाती रही। इसके बाद पीड़िता ने कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था। इस मामले को लेकर पीड़िता का परिवार कई बार लखनऊ में पुलिस के उच्चाधिकारियों से भी मिला। पीड़िता ने एक बार मुख्यमंत्री से जनता दरबार में भी गुहार लगाई, लेकिन जांच की बात कहकर मामले को टाल दिया गया था।



मामला दर्ज हो पाता, उससे पहले 8 अप्रैल, 2018 को पीड़िता के पिता को उन्नाव पुलिस ने आर्म्स एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद पीड़िता ने प्रदेश के मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह करने की कोशिश की, जिसमें उन्हें बचा लिया गया। लेकिन पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में हुई पिटाई की वजह से 9 अप्रैल, 2018 को मौत हो गई थी। इससे पहले, एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें विधायक कुलदीप सेंगर के भाई अतुल सेंगर को पीड़िता के पिता की पिटाई करते देखा गया था।



इस मामले पर जब राजनीति गरमाई और सीबीआई जांच की मांग उठी तो 12 अप्रैल, 2018 को केंद्र ने उत्तर प्रदेश सरकार की सिफारिश मंजूर करते हुए सीबीआई जांच को मंजूरी दे दी। सीबीआई ने उसी दिन विधायक को हिरासत में ले लिया। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बयान दिया कि अपराधी कोई भी हो, बख्शा नहीं जाएगा। वहीं डीजीपी ने कहा, विधायक अभी सिर्फ आरोपी हैं।



नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को अभियुक्त तो बनाया गया, लेकिन गिरफ्तारी नहीं की गई। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वत:संज्ञान लिया और राज्य सरकार से पूछा कि सरकार विधायक सेंगर की गिरफ्तारी करेगी या नहीं। सीबीआई ने पूछताछ के लिए विधायक को हिरासत में लिया, उसके बाद गिरफ्तारी की और मामले में नई एफआईआर दर्ज की गई।



इसके बाद 15 अप्रैल 2018 को पीड़ित परिवार ने कहा कि उनकी जान को आरोपी विधायक के समर्थकों से खतरा है। पीड़िता के चाचा ने कहा कि उनका एक भतीजा पिछले चार-पांच दिन से लापता है। इसके बाद 17 अप्रैल, 2018 को विधायक के खिलाफ सीबीआई ने चौथी एफआईआर दर्ज की। साथ ही जज के सामने बंद कमरे में पीड़िता का बयान दर्ज किया गया। 18 अप्रैल, 2018 को सीबीआई को पीड़िता के पिता के खिलाफ पुलिस की एफआईआर फर्जी होने के सबूत भी मिले।



पीड़िता के परिवार को लगातार डराने और धमकाने की बात भी सामने आ रही है। पीड़िता के चाचा को एक पुराने मामले में जेल में डाल दिया गया है और मामले के एक गवाह की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो चुकी है।



28 जुलाई, 2019 को पीड़िता अपने अपनी चाची, मौसी और वकील के साथ रायबरेली जा रही थी। रास्ते में उनकी कार को ट्रक ने टक्कर मार दी। कार के परखच्चे उड़ गए। इस हादसे में पीड़िता की चाची और मौसी की मौत हो गई। पीड़िता और उसके वकील का इलाज लखनऊ के किंग जॉर्ज अस्पताल में चल रहा है और दोनों को लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया है।



जिस ट्रक ने पीड़िता की कार में टक्कर मारी, उसके नंबर प्लेट पर ग्रीस लगाकर नंबर को छुपाया गया है। लड़की को सुरक्षा के लिए कुल नौ सुरक्षाकर्मी दिए गए, लेकिन घटना के वक्त उसके साथ एक भी सुरक्षाकर्मी नहीं था। पीड़िता के परिवार का आरोप है कि विधायक के लोग उन्हें केस वापस लेने की लगातार धमकी दे रहे थे और ये दुर्घटना प्रयोजित तरीके से करवाई गई। इस मामले में पीड़िता की चाची भी एक गवाह थीं जिनकी सड़क हादसे में मौत हो गई है।



पीड़िता व उसके परिवार को विधायक के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस लेने के लिए धमकाया जा रहा था। इसके चलते पीड़िता दिल्ली में रह रही थी। बीती 20 जुलाई को सीबीआई को बयान देने गांव आई थी। रविवार को चाचा से मुलाकात के बाद वह दिल्ली लौटने वाली थी।



उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओ.पी. सिंह ने कहा, "जांच से पता चलता है कि यह पूरी तरह से एक ट्रक के कारण दुर्घटना थी। ट्रक ड्राइवर और मालिक को गिरफ्तार कर लिया गया है। उनसे पूछताछ जारी है। हम निष्पक्ष जांच कर रहे हैं। इसके बाद भी यदि पीड़ित परिवार मामले की सीबीआई जांच की मांग करता है, तो हम मामले को भी सीबीआई को सौंप देंगे।"



वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल का कहना है कि यह मामला बड़ा पेचीदा हो चला है। आरोप सिद्ध करने में दिक्कत हो रही है। यह तो इतने शातिर है कि उन्होंने सारे साक्ष्य चलाकी से छुपाए, रखे जिस कारण सीबीआई को इन तक पहुंचने में दिक्कत हो रही है।


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