नागपुर: प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने रविवार को माना कि 'कॅरियर की डांवाडोल संभावनाओं और अनिश्चित भविष्य' के कारण युवा कानून के पेशे में आने के इच्छुक नहीं रहते हैं. इससे गुणवत्ता में वृद्धि एवं सामाजिक समूह के योगदान के संदर्भ में 'बहुत बड़ा नुकसान' है.
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि विधिक शिक्षा में समय-समय पर आत्मनिरीक्षण की जरूरत है. गोगोई यहां महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के प्रस्तावित स्थायी परिसर के लिये आधारशिला रखने के कार्यक्रम के दौरान छात्रों और विधि समुदाय के लोगों को संबोधित कर रहे थे.
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'कानून की शिक्षा को लेकर मेरे मन से जो सबसे पहला ख्याल आता है वह यह कि युवाओं को प्रशिक्षित किया जाये ताकि वे कानून के पेशे में आने के लिये खुद को सक्षम बनायें. यह आत्मनिरीक्षण का समय है कि हम कैसे इसे कर सकते हैं या कैसे चीजों को अलग तरीके से किया जा सकता है अथवा थोड़े बेहतर तरीके से किया जा सकता है.'