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जलियांवाला बाग ट्रस्ट : कांग्रेस अध्यक्ष को हटाने के प्रस्ताव पर विपक्ष ने उठाये सवाल

शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन राज्यसभा में जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक 2019 पास हो गया. इस विधेयक के जरिये जलियांवाला बाग ट्रस्ट के न्यासी मंडल में कांग्रेस अध्यक्ष को पदेन स्थायी सदस्य बनाने का प्रावधान खत्म कर दिया गया. विधेयक पास होने के पहले इस पर चर्चा के दौरान पक्ष व विपक्ष में जमकर बहस हुई. जानें सांसदों की इस विधेयक पर प्रतिक्रिया...

राज्यसभा
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Published : Nov 19, 2019, 9:12 PM IST

Updated : Nov 19, 2019, 11:02 PM IST

नई दिल्ली : शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन राज्यसभा में जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक 2019 पास कर दिया गया. इस विधेयक के जरिये जलियांवाला बाग ट्रस्ट के न्यासी मंडल में कांग्रेस अध्यक्ष को पदेन स्थायी सदस्य बनाने का प्रावधान खत्म हो जाएगा. विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियों ने इसे वापस लेने का अनुरोध किया और शहीदों के परिजनों को ट्रस्ट में शामिल करने का सुझाव दिया.

राज्यसभा में मंगलवार को जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक 2019 पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने जलियांवाला बाग से कांग्रेस के भावनात्मक लगाव को इतिहास का सच करार देते हुए कहा कि 13 अप्रैल 1919 को हुए इस जघन्य हत्याकांड के बाद कांग्रेस की पहल पर जलियांवाला बाग ट्रस्ट का गठन किया गया था.

राज्यसभा में बोलते कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा

बाजवा ने कहा कि इस हत्याकांड के खिलाफ देशभर में उपजे आक्रोश के कारण कांग्रेस की अगुवाई में आजादी का संग्राम शुरू हुआ और जलियांवाला बाग की कड़वी यादों को संजोने के लिए बने ट्रस्ट में कांग्रेस अध्यक्ष को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया गया.

बाजवा ने कहा, 'इस स्थल से हमारा भावनात्मक रिश्ता है, सरकार को बड़ा दिल दिखाते हुए इस ट्रस्ट से कांग्रेस अध्यक्ष को नहीं हटाना चाहिए.' साथ ही उन्होंने कहा कि ट्रस्ट से किसी न्यासी को हटाने का अधिकार सरकार को देने का प्रावधान भी उचित नहीं है.

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने प्रस्तुत किया विधेयक
उल्लेखनीय है कि एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे सदन की बैठक शुरू होने पर पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक 2019 को चर्चा के लिए सदन के पटल पर प्रस्तुत किया.

राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक 2019 पेश करते पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल

उन्होंने लोकसभा द्वारा यह विधेयक पहले ही पारित किये जाने का हवाला देते हुए सदन से इसमें शामिल तीन मामूली संशोधन प्रस्तावों को मंजूरी देने की अपील की.

पटेल ने कहा कि ये संशोधन ट्रस्ट में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष या दूसरे सबसे बड़े दल के नेता को शामिल करने, कांग्रेस अध्यक्ष को स्थायी सदस्य के पद को ट्रस्ट से हटाने और पांच साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले किसी भी न्यासी को निलम्बित करने का सरकार को अधिकार देने से संबंधित हैं.

पढ़ें : कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बन सकेंगे जलियांवाला बाग मेमोरियल के ट्रस्टी, राज्यसभा से विधेयक पारित

बीजद के प्रसन्न आचार्य और तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर राय ने सरकार से कांग्रेस अध्यक्ष को ट्रस्ट से हटाने का संशोधन प्रस्ताव वापस लेने का सुझाव दिया.

अन्य सांसदों ने दिया सुझाव
सपा के रामगोपाल यादव ने भी सरकार से जलियांवाला बाग ट्रस्ट से किसी को हटाने के बजाय इस ऐतिहासिक स्थल को यादगार बनाने, शहीदों के परिजनों को ट्रस्ट में शामिल करने और उन्हें उचित सुविधाएं मुहैया कराने पर ध्यान देने का सुझाव दिया.

विपक्षी दलों के नेताओं ने सरकार से संसद भवन और जलियांवाला बाग में शहीद ऊधम सिंह की प्रतिमा लगाने तथा उन्हें भारत रत्न देने की मांग की.

भाजपा के श्वेत मलिक, जदयू के आरसीपी सिंह और अन्नाद्रमुक के एस मुत्थुकुमारुपन ने संशोधन प्रस्तावों का स्वागत करते हुए कहा कि इतिहास को बदलने की विपक्ष की चिंता व्यर्थ है.

मलिक ने कहा कि जलियांवाला बाग में 70 सालों से व्याप्त बदहाली बताती है कि कांग्रेस की चिंता सिर्फ ट्रस्ट में अपने लोगों को शामिल कराने तक सीमित रही.

राज्यसभा में बोलते भाजपा सांसद श्वेत मलिक का बयान

विधेयक पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए माकपा के केके रागेश ने आशंका जतायी कि सरकार ट्रस्ट पर नियंत्रण स्थापित करना चाहती है. उन्होंने आरोप लगाया कि इस विधेयक के पीछे सरकार के इरादे नेक नहीं हैं.

पढ़ें : कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बन सकेंगे जलियांवाला बाग मेमोरियल के ट्रस्टी, राज्यसभा से विधेयक पारित

द्रमुक के टी. शिवा ने कहा कि जलियांवाला बाग अब पर्यटक केंद्र बन गया है. उन्होंने कहा कि स्मारक स्वतंत्रता की आजादी से जुड़ा एक महत्वपूर्ण स्थान है और जरूरत इस बात की है कि स्मारक की मूल भावना बहाल होनी चाहिए. उन्होंने अफसोस जताया कि स्मारक का उचित तरीके से रखरखाव नहीं किया जा रहा है.

शिवा ने कहा कि जलियांवाला बाग में शहीद हुए लोगों के परिवारों का ख्याल रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि ट्रस्ट से कांग्रेस अध्यक्ष को हटाना उचित नहीं है.

मनोनीत स्वप्न दासगुप्ता ने कहा कि जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक है और यह पूरे देश का है.

शिरोमणि अकाली दल के बलविंदर सिंह भुंडर ने कहा कि भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु तथा ऊधम सिंह जैसे शहीदों को याद कर उन्हें 'भारत रत्न' दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि उन शहीदों के परिवारों की मदद करते हुए उन्हें सम्मानित करना चाहिए.

पढ़ें : आज होगी राज्यसभा के 250वें सत्र की शुरुआत

निर्दलीय रीताव्रता बनर्जी ने रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा जलियांवाला बाग की घटना का विरोध किए जाने का जिक्र किया और मांग की कि जलियांवाला बाग स्मारक में टैगोर की भी प्रतिमा लगायी जानी चाहिए.

वाईएसआर कांग्रेस के विजय साई रेड्डी ने कहा कि किसी पार्टी का अध्यक्ष होना उस ट्रस्ट का सदस्य होने का आधार नहीं होना चाहिए.

भाजपा के सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि आजादी के लिए जितने प्रयास हुए, हमें उन सब को समान रूप से देखना चाहिए. उन्होंने विधेयक के प्रावधानों का जिक्र करते हुए कहा कि हर पद पर आसीन व्यक्ति को पद से हटाने की प्रक्रिया और व्यवस्था होती है. उसी प्रकार इस ट्रस्ट के सदस्यों को भी हटाने की व्यवस्था की बात की गयी है. उन्होंने कहा कि यह उचित और युक्तिसंगत है.

राज्यसभा में बोलते भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी

कांग्रेस सदस्य एल हनुमंथैया ने भाजपानीत केंद्र सरकार पर निशाना साधा और सवाल किया कि वह ट्रस्ट से कांग्रेस अध्यक्ष को क्यों हटाना चाहती है. उन्होंने विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग की.

पढ़ें : उच्च संसद की विभाग संबंधी समितियों की बैठकों में सदस्यों की गैरहाजिरी चिंतनीय : नायडू

आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा कि शहीद ऊधम सिंह के पौत्र किसान थे और कर्ज के कारण उन्होंने पिछले साल आत्महत्या कर ली थी. सिंह ने कहा कि सरकार को शहीदों के परिवारों की ओर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि एक दिन पहले प्रदर्शन के दौरान जेएनयू के एक नेत्रहीन छात्र की पिटाई की गई.

चर्चा में बीपीएफ के विश्वजीत दैमारी, एमडीएमके के वाइको, राजद के मनोज के झा, बसपा के राजा राम और भाकपा के विनय विश्वम और भाजपा के सत्यनारायण जटिया ने भी भाग लिया.

नई दिल्ली : शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन राज्यसभा में जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक 2019 पास कर दिया गया. इस विधेयक के जरिये जलियांवाला बाग ट्रस्ट के न्यासी मंडल में कांग्रेस अध्यक्ष को पदेन स्थायी सदस्य बनाने का प्रावधान खत्म हो जाएगा. विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियों ने इसे वापस लेने का अनुरोध किया और शहीदों के परिजनों को ट्रस्ट में शामिल करने का सुझाव दिया.

राज्यसभा में मंगलवार को जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक 2019 पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने जलियांवाला बाग से कांग्रेस के भावनात्मक लगाव को इतिहास का सच करार देते हुए कहा कि 13 अप्रैल 1919 को हुए इस जघन्य हत्याकांड के बाद कांग्रेस की पहल पर जलियांवाला बाग ट्रस्ट का गठन किया गया था.

राज्यसभा में बोलते कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा

बाजवा ने कहा कि इस हत्याकांड के खिलाफ देशभर में उपजे आक्रोश के कारण कांग्रेस की अगुवाई में आजादी का संग्राम शुरू हुआ और जलियांवाला बाग की कड़वी यादों को संजोने के लिए बने ट्रस्ट में कांग्रेस अध्यक्ष को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया गया.

बाजवा ने कहा, 'इस स्थल से हमारा भावनात्मक रिश्ता है, सरकार को बड़ा दिल दिखाते हुए इस ट्रस्ट से कांग्रेस अध्यक्ष को नहीं हटाना चाहिए.' साथ ही उन्होंने कहा कि ट्रस्ट से किसी न्यासी को हटाने का अधिकार सरकार को देने का प्रावधान भी उचित नहीं है.

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने प्रस्तुत किया विधेयक
उल्लेखनीय है कि एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे सदन की बैठक शुरू होने पर पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक 2019 को चर्चा के लिए सदन के पटल पर प्रस्तुत किया.

राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक 2019 पेश करते पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल

उन्होंने लोकसभा द्वारा यह विधेयक पहले ही पारित किये जाने का हवाला देते हुए सदन से इसमें शामिल तीन मामूली संशोधन प्रस्तावों को मंजूरी देने की अपील की.

पटेल ने कहा कि ये संशोधन ट्रस्ट में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष या दूसरे सबसे बड़े दल के नेता को शामिल करने, कांग्रेस अध्यक्ष को स्थायी सदस्य के पद को ट्रस्ट से हटाने और पांच साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले किसी भी न्यासी को निलम्बित करने का सरकार को अधिकार देने से संबंधित हैं.

पढ़ें : कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बन सकेंगे जलियांवाला बाग मेमोरियल के ट्रस्टी, राज्यसभा से विधेयक पारित

बीजद के प्रसन्न आचार्य और तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर राय ने सरकार से कांग्रेस अध्यक्ष को ट्रस्ट से हटाने का संशोधन प्रस्ताव वापस लेने का सुझाव दिया.

अन्य सांसदों ने दिया सुझाव
सपा के रामगोपाल यादव ने भी सरकार से जलियांवाला बाग ट्रस्ट से किसी को हटाने के बजाय इस ऐतिहासिक स्थल को यादगार बनाने, शहीदों के परिजनों को ट्रस्ट में शामिल करने और उन्हें उचित सुविधाएं मुहैया कराने पर ध्यान देने का सुझाव दिया.

विपक्षी दलों के नेताओं ने सरकार से संसद भवन और जलियांवाला बाग में शहीद ऊधम सिंह की प्रतिमा लगाने तथा उन्हें भारत रत्न देने की मांग की.

भाजपा के श्वेत मलिक, जदयू के आरसीपी सिंह और अन्नाद्रमुक के एस मुत्थुकुमारुपन ने संशोधन प्रस्तावों का स्वागत करते हुए कहा कि इतिहास को बदलने की विपक्ष की चिंता व्यर्थ है.

मलिक ने कहा कि जलियांवाला बाग में 70 सालों से व्याप्त बदहाली बताती है कि कांग्रेस की चिंता सिर्फ ट्रस्ट में अपने लोगों को शामिल कराने तक सीमित रही.

राज्यसभा में बोलते भाजपा सांसद श्वेत मलिक का बयान

विधेयक पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए माकपा के केके रागेश ने आशंका जतायी कि सरकार ट्रस्ट पर नियंत्रण स्थापित करना चाहती है. उन्होंने आरोप लगाया कि इस विधेयक के पीछे सरकार के इरादे नेक नहीं हैं.

पढ़ें : कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बन सकेंगे जलियांवाला बाग मेमोरियल के ट्रस्टी, राज्यसभा से विधेयक पारित

द्रमुक के टी. शिवा ने कहा कि जलियांवाला बाग अब पर्यटक केंद्र बन गया है. उन्होंने कहा कि स्मारक स्वतंत्रता की आजादी से जुड़ा एक महत्वपूर्ण स्थान है और जरूरत इस बात की है कि स्मारक की मूल भावना बहाल होनी चाहिए. उन्होंने अफसोस जताया कि स्मारक का उचित तरीके से रखरखाव नहीं किया जा रहा है.

शिवा ने कहा कि जलियांवाला बाग में शहीद हुए लोगों के परिवारों का ख्याल रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि ट्रस्ट से कांग्रेस अध्यक्ष को हटाना उचित नहीं है.

मनोनीत स्वप्न दासगुप्ता ने कहा कि जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक है और यह पूरे देश का है.

शिरोमणि अकाली दल के बलविंदर सिंह भुंडर ने कहा कि भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु तथा ऊधम सिंह जैसे शहीदों को याद कर उन्हें 'भारत रत्न' दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि उन शहीदों के परिवारों की मदद करते हुए उन्हें सम्मानित करना चाहिए.

पढ़ें : आज होगी राज्यसभा के 250वें सत्र की शुरुआत

निर्दलीय रीताव्रता बनर्जी ने रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा जलियांवाला बाग की घटना का विरोध किए जाने का जिक्र किया और मांग की कि जलियांवाला बाग स्मारक में टैगोर की भी प्रतिमा लगायी जानी चाहिए.

वाईएसआर कांग्रेस के विजय साई रेड्डी ने कहा कि किसी पार्टी का अध्यक्ष होना उस ट्रस्ट का सदस्य होने का आधार नहीं होना चाहिए.

भाजपा के सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि आजादी के लिए जितने प्रयास हुए, हमें उन सब को समान रूप से देखना चाहिए. उन्होंने विधेयक के प्रावधानों का जिक्र करते हुए कहा कि हर पद पर आसीन व्यक्ति को पद से हटाने की प्रक्रिया और व्यवस्था होती है. उसी प्रकार इस ट्रस्ट के सदस्यों को भी हटाने की व्यवस्था की बात की गयी है. उन्होंने कहा कि यह उचित और युक्तिसंगत है.

राज्यसभा में बोलते भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी

कांग्रेस सदस्य एल हनुमंथैया ने भाजपानीत केंद्र सरकार पर निशाना साधा और सवाल किया कि वह ट्रस्ट से कांग्रेस अध्यक्ष को क्यों हटाना चाहती है. उन्होंने विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग की.

पढ़ें : उच्च संसद की विभाग संबंधी समितियों की बैठकों में सदस्यों की गैरहाजिरी चिंतनीय : नायडू

आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा कि शहीद ऊधम सिंह के पौत्र किसान थे और कर्ज के कारण उन्होंने पिछले साल आत्महत्या कर ली थी. सिंह ने कहा कि सरकार को शहीदों के परिवारों की ओर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि एक दिन पहले प्रदर्शन के दौरान जेएनयू के एक नेत्रहीन छात्र की पिटाई की गई.

चर्चा में बीपीएफ के विश्वजीत दैमारी, एमडीएमके के वाइको, राजद के मनोज के झा, बसपा के राजा राम और भाकपा के विनय विश्वम और भाजपा के सत्यनारायण जटिया ने भी भाग लिया.

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विपक्ष ने की जलियांवाला बाग ट्रस्ट से कांग्रेस अध्यक्ष को हटाने का प्रस्ताव वापस लेने की मांग

नयी दिल्ली, 19 नवंबर (भाषा) कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने केन्द्र से जलियांवाला बाग ट्रस्ट के न्यासी मंडल में कांग्रेस अध्यक्ष को पदेन स्थायी सदस्य बनाने का प्रावधान खत्म करने के कानूनी प्रस्ताव को वापस लेने का अनुरोध किया और शहीदों के परिजनों को ट्रस्ट में शामिल करने का सुझाव दिया.



राज्यसभा में मंगलवार को जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक 2019 पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने जलियांवाला बाग से कांग्रेस के भावनात्मक लगाव को इतिहास का सच बताते हुये कहा कि 13 अप्रैल 1919 को हुये इस जघन्य हत्याकांड के बाद कांग्रेस की पहल पर जलियांवाला बाग ट्रस्ट का गठन किया गया था.



उन्होंने कहा कि इस हत्याकांड के खिलाफ देश भर में उपजे आक्रोश के कारण कांग्रेस की अगुवाई में आजादी का संग्राम शुरु हुआ और जलियांवाला बाग की कड़वी यादों को संजोने के लिये बने ट्रस्ट में कांग्रेस अध्यक्ष को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया गया.



बाजवा ने कहा, ‘‘इस स्थल से हमारा भावनात्मक रिश्ता है, सरकार को बड़ा दिल दिखाते हुये इस ट्रस्ट से कांग्रेस अध्यक्ष को नहीं हटाना चाहिये. साथ ही उन्होंने कहा कि ट्रस्ट से किसी न्यासी को हटाने का अधिकार सरकार को देने का प्रावधान भी उचित नहीं है.



उल्लेखनीय है कि एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे सदन की बैठक शुरु होने पर पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक 2019 को चर्चा के लिये सदन के पटल पर प्रस्तुत किया.



उन्होंने लोकसभा द्वारा यह विधेयक पहले ही पारित किये जाने का हवाला देते हुये सदन से इसमें शामिल तीन मामूली संशोधन प्रस्तावों को मंजूरी देने की अपील की.



पटेल ने कहा कि ये संशोधन ट्रस्ट में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष या दूसरे सबसे बड़े दल के नेता को शामिल करने, कांग्रेस अध्यक्ष को स्थायी सदस्य के पद को ट्रस्ट से हटाने और पांच साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले किसी भी न्यासी को निलंबित करने का सरकार को अधिकार देने से संबंधित हैं.



बीजद के प्रसन्न आचार्य और तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर राय ने सरकार से कांग्रेस अध्यक्ष को ट्रस्ट से हटाने का संशोधन प्रस्ताव वापस लेने का सुझाव दिया.



सपा के रामगोपाल यादव ने भी सरकार से जलियांवाला बाग ट्रस्ट से किसी को हटाने के बजाय इस ऐतिहासिक स्थल को यादगार बनाने, शहीदों के परिजनों को ट्रस्ट में शामिल करने और उन्हें उचित सुविधायें मुहैया कराने पर ध्यान देने का सुझाव दिया.



विपक्षी दलों के नेताओं ने सरकार से संसद भवन और जलियांवाला बाग में शहीद ऊधम सिंह की प्रतिमा लगाने तथा उन्हें भारत रत्न देने की मांग की.



भाजपा के श्वेत मलिक, जदयू के आरसीपी सिंह और अन्नाद्रमुक के एस मुत्थुकुमारुपन ने संशोधन प्रस्तावों का स्वागत करते हुये कहा कि इतिहास को बदलने की विपक्ष की चिंता व्यर्थ है.



मलिक ने कहा कि जलियांवाला बाग में 70 सालों से व्याप्त बदहाली बताती है कि कांग्रेस की चिंता सिर्फ ट्रस्ट में अपने लोगों को शामिल कराने तक सीमित रही.

विधेयक पर हुयी चर्चा में भाग लेते हुए माकपा के केके रागेश ने आशंका जतायी कि सरकार ट्रस्ट पर नियंत्रण स्थापित करना चाहती है. उन्होंने आरोप लगाया कि इस विधेयक के पीछे सरकार के इरादे नेक नहीं हैं.



द्रमुक के टी शिवा ने कहा कि जलियांवाला बाग अब पर्यटक केंद्र बन गया है. उन्होंने कहा कि स्मारक स्वतंत्रता की आजादी से जुड़ा एक महत्वपूर्ण स्थान है और जरूरत इस बात की है कि स्मारक की मूल भावना बहाल होनी चाहिए. उन्होंने अफसोस जताया कि स्मारक का उचित तरीके से रखरखाव नहीं किया जा रहा है.



शिवा ने कहा कि जलियांवाला बाग में शहीद हुए लोगों के परिवारों का ख्याल रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि ट्रस्ट से कांग्रेस अध्यक्ष को हटाना उचित नहीं है.



मनोनीत स्वप्न दासगुप्ता ने कहा कि जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक है और यह पूरे देश का है.



शिरोमणि अकाली दल के बलविंदर सिंह भुंडर ने कहा कि भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू तथा ऊधम सिंह जैसे शहीदों को याद कर उन्हें भारत रत्न दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि उन शहीदों के परिवारों की मदद करते हुए उन्हें सम्मानित करना चाहिए.



निर्दलीय रीताव्रता बनर्जी ने रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा जलियांवाला बाग की घटना का विरोध किए जाने का जिक्र किया और मांग की कि जलियांवाला बाग स्मारक में टैगोर की भी प्रतिमा लगायी जानी चाहिए.



वाईएसआर कांग्रेस के विजय साई रेड्डी ने कहा कि किसी पार्टी का अध्यक्ष होना उस ट्रस्ट का सदस्य होने का आधार नहीं होना चाहिए.



भाजपा के सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि आजादी के लिए जितने प्रयास हुए, हमें उन सब को समान रूप से देखना चाहिए. उन्होंने विधेयक के प्रावधानों का जिक्र करते हुए कहा कि हर पद पर आसीन व्यक्ति को पद से हटाने की प्रक्रिया और व्यवस्था होती है. उसी प्रकार इस ट्रस्ट के सदस्यों को भी हटाने की व्यवस्था की बात की गयी है. उन्होंने कहा कि यह उचित और युक्तिसंगत है.



कांग्रेस सदस्य एल हनुमंथैया ने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर निशाना साधा और सवाल किया कि वह ट्रस्ट से कांग्रेस अध्यक्ष को क्यों हटाना चाहती है. उन्होंने विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग की.



आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा कि शहीद ऊधम सिंह के पौत्र किसान थे और कर्ज के कारण उन्होंने पिछले साल आत्महत्या कर ली थी. सिंह ने कहा कि सरकार को शहीदों के परिवारों की ओर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि एक दिन पहले प्रदर्शन के दौरान जेएनयू के एक नेत्रहीन छात्र की पिटाई की गयी.



चर्चा में बीपीएफ के विश्वजीत दैमारी, एमडीएमके के वाइको, राजद के मनोज के झा, बसपा के राजा राम और भाकपा के विनय विश्वम और भाजपा के सत्यनारायण जटिया ने भी भाग लिया.


Conclusion:
Last Updated : Nov 19, 2019, 11:02 PM IST
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