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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अगले महीने पहला राफेल लेने फ्रांस जाएंगे

भारत ने फ्रांस के साथ 2016 में 36 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए अंतर सरकारी समझौता किया था. इस सौदे के तहत अब पहला राफेल विमान मिलने वाला है, जिसे लेने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह आठ अक्टूबर को पेरिस जाएंगे. पढ़ें विस्तार से...

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह
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Published : Sep 11, 2019, 8:26 AM IST

Updated : Sep 30, 2019, 4:57 AM IST

नई दिल्ली: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह आठ अक्टूबर को भारतीय वायुसेना के स्थापना दिवस पर पेरिस (फ्रांस) जाएंगे. दरअसल राजनाथ सिंह फ्रांस से करार हुए 36 राफेल लडाकू विमानों में से पहले विमान को औपचारिक रूप से वहां ग्रहण करेंगे. सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी.

प्राप्त जानकारी के अनुसार राफेल विमान लेने सिंह के साथ रक्षा सचिव अजय कुमार और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी रहेंगे. इस दौरे पर सात अक्टूबर को तीन दिनों के लिए पेरिस जाएंगे.

राफेल विमान को भारत को सौंपने के लिए आयोजित कार्यक्रम में फ्रांस के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और दसाल्ट एविएशन के अधिकारी भी शामिल रहेंगे.

इस यात्रा के दौरान सिंह का फ्रांस के रक्षामंत्री से मिलकर दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग और मबजूत करने पर विस्तृत चर्चा करने का कार्यक्रम है.

सूत्रों ने बताया कि भारतीय वायुसेना की उच्चस्तरीय टीम पहले ही पेरिस में मौजूद है. राफेल विमान के हस्तांतरण कार्यक्रम के लिए फ्रांसीसी अधिकारियों के साथ समन्वय कर रही है.

पढ़ें- अगले महीने भारत को मिलेगा पहला राफेल फाइटर जेट, बढ़ेगी सैन्य ताकत

उल्लेखनीय है कि भारत ने फ्रांस के साथ 2016 में 36 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए अंतर सरकारी समझौता किया था. इन विमानों की लागत 58,000 करोड़ रुपये के करीब है. भारतीय वायुसेना पहले ही राफेल विमानों को शामिल करने के लिए आधारभूत ढांचा और पायलट का प्रशिक्षण पूरा कर चुकी है.

सूचना के अनुसार इन विमानों का एक स्क्वाड्रन अंबाला में और दूसरे को पश्चिम बंगाल के हासिमारा में तैनात किया जाएगा.

बता दें, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने फ्रांस का दौरा किया था. इस दौरान दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच पहले से ही रक्षा संबंधों को और बढ़ाने का संकल्प लिया.

गौरतलब हो की विमान कई शक्तिशाली हथियारों और मिसाइलों को ले जाने में सक्षम है.

राफेल जेट में विभिन्न भारतीय विशिष्ट बदलाव किए जाएंगे. इसमें इज़राइली हेलमेट-माउंटेड डिस्प्ले, रडार चेतावनी रिसीवर, कम बैंड जैमर,10 घंटे की उड़ान डेटा रिकॉर्डिंग, इन्फ्रा-रेड सर्च और ट्रैकिंग सिस्टम आदि शामिल हैं.

इसके पूर्व कांग्रेस ने विमान की दरों और कथित भ्रष्टाचार सहित इस सौदे के बारे में कई सवाल उठाए थे. लेकिन सरकार ने आरोपों को खारिज कर दिया था.

आईएएफ (भारतीय वायुसेना) ने हैंगर और रखरखाव जैसी सुविधाओं के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए लगभग 400 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.

उल्लेखनीय है की जुलाई 2017 में एयर चीफ मार्शल बी एस धनोआ ने फ्रांस की यात्रा की थी. उस समय उन्होंने विमान का पहला अनुभव प्राप्त करने के लिए सेंट-डिजियर एयरबेस में राफेल जेट को उड़ाया था. इस सौदे के अनुसार अनुबंध में स्पष्ट है कि 67 महीने में सभी राफेल की डिलीवरी पूरी होनी है.

नई दिल्ली: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह आठ अक्टूबर को भारतीय वायुसेना के स्थापना दिवस पर पेरिस (फ्रांस) जाएंगे. दरअसल राजनाथ सिंह फ्रांस से करार हुए 36 राफेल लडाकू विमानों में से पहले विमान को औपचारिक रूप से वहां ग्रहण करेंगे. सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी.

प्राप्त जानकारी के अनुसार राफेल विमान लेने सिंह के साथ रक्षा सचिव अजय कुमार और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी रहेंगे. इस दौरे पर सात अक्टूबर को तीन दिनों के लिए पेरिस जाएंगे.

राफेल विमान को भारत को सौंपने के लिए आयोजित कार्यक्रम में फ्रांस के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और दसाल्ट एविएशन के अधिकारी भी शामिल रहेंगे.

इस यात्रा के दौरान सिंह का फ्रांस के रक्षामंत्री से मिलकर दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग और मबजूत करने पर विस्तृत चर्चा करने का कार्यक्रम है.

सूत्रों ने बताया कि भारतीय वायुसेना की उच्चस्तरीय टीम पहले ही पेरिस में मौजूद है. राफेल विमान के हस्तांतरण कार्यक्रम के लिए फ्रांसीसी अधिकारियों के साथ समन्वय कर रही है.

पढ़ें- अगले महीने भारत को मिलेगा पहला राफेल फाइटर जेट, बढ़ेगी सैन्य ताकत

उल्लेखनीय है कि भारत ने फ्रांस के साथ 2016 में 36 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए अंतर सरकारी समझौता किया था. इन विमानों की लागत 58,000 करोड़ रुपये के करीब है. भारतीय वायुसेना पहले ही राफेल विमानों को शामिल करने के लिए आधारभूत ढांचा और पायलट का प्रशिक्षण पूरा कर चुकी है.

सूचना के अनुसार इन विमानों का एक स्क्वाड्रन अंबाला में और दूसरे को पश्चिम बंगाल के हासिमारा में तैनात किया जाएगा.

बता दें, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने फ्रांस का दौरा किया था. इस दौरान दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच पहले से ही रक्षा संबंधों को और बढ़ाने का संकल्प लिया.

गौरतलब हो की विमान कई शक्तिशाली हथियारों और मिसाइलों को ले जाने में सक्षम है.

राफेल जेट में विभिन्न भारतीय विशिष्ट बदलाव किए जाएंगे. इसमें इज़राइली हेलमेट-माउंटेड डिस्प्ले, रडार चेतावनी रिसीवर, कम बैंड जैमर,10 घंटे की उड़ान डेटा रिकॉर्डिंग, इन्फ्रा-रेड सर्च और ट्रैकिंग सिस्टम आदि शामिल हैं.

इसके पूर्व कांग्रेस ने विमान की दरों और कथित भ्रष्टाचार सहित इस सौदे के बारे में कई सवाल उठाए थे. लेकिन सरकार ने आरोपों को खारिज कर दिया था.

आईएएफ (भारतीय वायुसेना) ने हैंगर और रखरखाव जैसी सुविधाओं के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए लगभग 400 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.

उल्लेखनीय है की जुलाई 2017 में एयर चीफ मार्शल बी एस धनोआ ने फ्रांस की यात्रा की थी. उस समय उन्होंने विमान का पहला अनुभव प्राप्त करने के लिए सेंट-डिजियर एयरबेस में राफेल जेट को उड़ाया था. इस सौदे के अनुसार अनुबंध में स्पष्ट है कि 67 महीने में सभी राफेल की डिलीवरी पूरी होनी है.

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DEF-RAFALE-HANDOVER
Defence Minister to visit France next month to take delivery of first Rafale
         New Delhi, Sep 10 (PTI) Defence Minister Rajnath Singh is set to receive the first of 36 Rafale fighter jets in Paris on October 8 -- the foundation day of the Indian Air Force, government sources said on Tuesday.
         They said Singh, accompanied by Defence Secretary Ajay Kumar and several other senior bureaucrats, will travel to Paris on October 7 on a three-day visit, primarily to receive the Rafale jet.
         Top military brass of France as well as senior officials of Dassault Aviation, the makers of Rafale, will also be present at the handing over ceremony.
         During the visit, Singh is scheduled to hold extensive talks with top defence brass of the French government on ways to deepen defence and security cooperation between the two countries.
         Prime Minister Narendra Modi visited France last month during which both sides resolved to further enhance the already close defence ties between the two countries.
         Sources said a high-level team of the Indian Air Force is already in Paris to coordinate with the French officials on the handing over ceremony.
         India had signed an inter-governmental agreement with France in September 2016 for procurement of 36 Rafale fighter jets at a cost of around Rs 58,000 crore.
         The aircraft is capable of carrying a range of potent weapons and missiles.
         The IAF has already completed preparations, including readying required infrastructure and training of pilots, to welcome the fighter aircraft.
         The sources said the first squadron of the aircraft will be deployed at Ambala air force station, considered one of the most strategically located bases of the IAF. The Indo-Pak border is around 220 km from there.
         The second squadron of Rafale will be stationed at Hasimara base in West Bengal.
         A number of IAF teams have already visited France to help Dassault Aviation, the manufacturer of Rafale, incorporate India-specific enhancements on-board the fighter aircraft.
         The Rafale jets will come with various India-specific modifications, including Israeli helmet-mounted displays, radar warning receivers, low band jammers, 10-hour flight data recording, infra-red search and tracking systems among others.
         The Congress raised several questions about the deal, including on rates of the aircraft, and alleged corruption but the government has rejected the charges.
         The IAF spent around Rs 400 crore to develop required infrastructure like shelters, hangers and maintenance facilities at the two bases.
         In July 2017, Air Chief Marshal B S Dhanoa, during his visit to France, flew a Rafale jet at the Saint-Dizier airbase to gain first-hand experience of the aircraft.
         According to the deal, the delivery of the jets was to be completed in 67 months from the date the contract was inked. PTI MPB
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Last Updated : Sep 30, 2019, 4:57 AM IST
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