नई दिल्ली: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह आठ अक्टूबर को भारतीय वायुसेना के स्थापना दिवस पर पेरिस (फ्रांस) जाएंगे. दरअसल राजनाथ सिंह फ्रांस से करार हुए 36 राफेल लडाकू विमानों में से पहले विमान को औपचारिक रूप से वहां ग्रहण करेंगे. सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी.
प्राप्त जानकारी के अनुसार राफेल विमान लेने सिंह के साथ रक्षा सचिव अजय कुमार और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी रहेंगे. इस दौरे पर सात अक्टूबर को तीन दिनों के लिए पेरिस जाएंगे.
राफेल विमान को भारत को सौंपने के लिए आयोजित कार्यक्रम में फ्रांस के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और दसाल्ट एविएशन के अधिकारी भी शामिल रहेंगे.
इस यात्रा के दौरान सिंह का फ्रांस के रक्षामंत्री से मिलकर दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग और मबजूत करने पर विस्तृत चर्चा करने का कार्यक्रम है.
सूत्रों ने बताया कि भारतीय वायुसेना की उच्चस्तरीय टीम पहले ही पेरिस में मौजूद है. राफेल विमान के हस्तांतरण कार्यक्रम के लिए फ्रांसीसी अधिकारियों के साथ समन्वय कर रही है.
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उल्लेखनीय है कि भारत ने फ्रांस के साथ 2016 में 36 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए अंतर सरकारी समझौता किया था. इन विमानों की लागत 58,000 करोड़ रुपये के करीब है. भारतीय वायुसेना पहले ही राफेल विमानों को शामिल करने के लिए आधारभूत ढांचा और पायलट का प्रशिक्षण पूरा कर चुकी है.
सूचना के अनुसार इन विमानों का एक स्क्वाड्रन अंबाला में और दूसरे को पश्चिम बंगाल के हासिमारा में तैनात किया जाएगा.
बता दें, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने फ्रांस का दौरा किया था. इस दौरान दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच पहले से ही रक्षा संबंधों को और बढ़ाने का संकल्प लिया.
गौरतलब हो की विमान कई शक्तिशाली हथियारों और मिसाइलों को ले जाने में सक्षम है.
राफेल जेट में विभिन्न भारतीय विशिष्ट बदलाव किए जाएंगे. इसमें इज़राइली हेलमेट-माउंटेड डिस्प्ले, रडार चेतावनी रिसीवर, कम बैंड जैमर,10 घंटे की उड़ान डेटा रिकॉर्डिंग, इन्फ्रा-रेड सर्च और ट्रैकिंग सिस्टम आदि शामिल हैं.
इसके पूर्व कांग्रेस ने विमान की दरों और कथित भ्रष्टाचार सहित इस सौदे के बारे में कई सवाल उठाए थे. लेकिन सरकार ने आरोपों को खारिज कर दिया था.
आईएएफ (भारतीय वायुसेना) ने हैंगर और रखरखाव जैसी सुविधाओं के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए लगभग 400 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.
उल्लेखनीय है की जुलाई 2017 में एयर चीफ मार्शल बी एस धनोआ ने फ्रांस की यात्रा की थी. उस समय उन्होंने विमान का पहला अनुभव प्राप्त करने के लिए सेंट-डिजियर एयरबेस में राफेल जेट को उड़ाया था. इस सौदे के अनुसार अनुबंध में स्पष्ट है कि 67 महीने में सभी राफेल की डिलीवरी पूरी होनी है.