पटना : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि 33 साल बाद शिक्षा के बहुमुखी विकास के लिए नई शिक्षा नीति बनाई गई है. उन्होंने कहा कि यह शिक्षा नीति नूतन और पुरातन शिक्षा का समागम है. बिहार के शिक्षकों और बुद्धिजीवियों से वर्चुअल रूप से संवाद करते हुए भाजपा नेता ने कहा कि 33 वर्ष से कोई शिक्षा नीति नहीं लाई गई थी. शिक्षा के क्षेत्र में हमारा नजरिया पिछली शताब्दियों में ही अटका रहा है, जबकि नई शिक्षा नीति से 21वीं शताब्दी के नए और व्यापक बदलाव की उम्मीद की जा सकती है.
उन्होंने कहा कि मुझे बिहार के शिक्षकों से संवाद करते बहुत खुशी हो रही है. मैं भी इसी समुदाय से आता हूं. बिहार को ज्ञान की धरती का दर्जा प्राप्त है. बिहार की धरती तो विश्व के सबसे बड़े शिक्षक महात्मा बुद्ध की धरती है.
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उन्होंने शिक्षकों को समाज का शिल्पी बताते हुए कहा कि शिक्षकों से समाज का अच्छा शिल्पकार कोई नहीं हो सकता, जिस तरह कुम्हार मिट्टी से उपयोगी बर्तन बना देता है उसी तरह आने वाली पीढ़ी को गढ़ने का काम शिक्षकों का है.
उन्होंने कहा कि जिस बिहार में चाणक्य ने अर्थशास्त्र लिखा हो और नालंदा विश्वविद्यालय हो, उसकी बुनियाद क्या रही होगी, उसकी कल्पना की जा सकती है. सिंह ने कहा कि बिहार के युवा आज भी देश से लेकर विदेशों में परचम लहरा रहे हैं. उन्होंने बिहार के लोगों की तारीफ करते हुए कहा कि बिहार में गरीब से गरीब व्यक्ति भी अपने बच्चों को सुसंस्कृत शिक्षा की व्यवस्था करते हैं.
नई शिक्षा नीति पर चर्चा करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि शिक्षा एक व्यापक दृष्टिकोण है. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति नए भारत की नई आकांक्षाओं और जरूरतों के हिसाब से तैयार की गई है. उन्होंने कहा कि बच्चों के भविष्य बनाने की जिम्मेदारी हम सभी शिक्षकों पर है.