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राजस्थान : 14 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता को मिली गर्भपात की अनुमति

राजस्थान हाई कोर्ट ने दुष्कर्म के चलते गर्भवती हुई 14 साल की पीड़िता को गर्भपात की अनुमति दे दी है. हाई कोर्ट ने पीड़िता की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोटा मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक को गर्भपात के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम गठित करने को कहा है.

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दुष्कर्म पीड़िता
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Published : Oct 6, 2020, 10:50 PM IST

जयपुर : राजस्थान हाई कोर्ट ने दुष्कर्म के चलते गर्भवती हुई 14 साल की पीड़िता को गर्भपात की अनुमति दे दी है. हाई कोर्ट ने पीड़िता की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोटा मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक को गर्भपात के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम गठित करने को कहा है. साथ ही अदालत ने गर्भपात के बाद भ्रूण को डीएनए जांच के लिए सुरक्षित रखने के निर्देश दिए हैं.

सुनवाई के दौरान बारां सीएमएचओ की ओर से कोर्ट में पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें कहा गया कि पीड़िता के 23 सप्ताह का गर्भ है. जिसे देखने के बाद अदालत ने पीड़िता को गर्भपात की अनुमति दे दी है.

पढ़ें- हनुमानगढ़ गैंगरेप मामले में राज्य बाल संरक्षण आयोग ने लिया संज्ञान

याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उसके साथ हुए दुष्कर्म के चलते उसके 23 सप्ताह का गर्भ है. याचिकाकर्ता के अलावा परिवार में 3 बच्चे और भी हैं. ऐसे में यदि उसे गर्भपात की अनुमति नहीं दी गई तो ना केवल उसके मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य, बल्कि उसके पूरे परिवार पर इसका प्रभाव पड़ेगा. ऐसे में उसे गर्भपात की अनुमति दी जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को गर्भपात की अनुमति दे दी है.

जयपुर : राजस्थान हाई कोर्ट ने दुष्कर्म के चलते गर्भवती हुई 14 साल की पीड़िता को गर्भपात की अनुमति दे दी है. हाई कोर्ट ने पीड़िता की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोटा मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक को गर्भपात के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम गठित करने को कहा है. साथ ही अदालत ने गर्भपात के बाद भ्रूण को डीएनए जांच के लिए सुरक्षित रखने के निर्देश दिए हैं.

सुनवाई के दौरान बारां सीएमएचओ की ओर से कोर्ट में पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें कहा गया कि पीड़िता के 23 सप्ताह का गर्भ है. जिसे देखने के बाद अदालत ने पीड़िता को गर्भपात की अनुमति दे दी है.

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याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उसके साथ हुए दुष्कर्म के चलते उसके 23 सप्ताह का गर्भ है. याचिकाकर्ता के अलावा परिवार में 3 बच्चे और भी हैं. ऐसे में यदि उसे गर्भपात की अनुमति नहीं दी गई तो ना केवल उसके मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य, बल्कि उसके पूरे परिवार पर इसका प्रभाव पड़ेगा. ऐसे में उसे गर्भपात की अनुमति दी जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को गर्भपात की अनुमति दे दी है.

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