जयपुर: राजस्थान उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के आरोप में दोषी ठहराए गए स्वयंभू संत आसाराम बापू की आजीवन कारावास की सजा को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी.
न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति अभय चतुर्वेदी की खंडपीठ द्वारा समय की कमी के कारण याचिका की सुनवाई को स्थगित कर दिया.
बता दें कि आसाराम को 15 अगस्त, 2013 को जोधपुर के निकट मणाई गांव में एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार करने का दोषी पाया गया था, और पिछले साल अप्रैल में जोधपुर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.
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उन्हें धारा 370 (4) (तस्करी), 342 (गलत कारावास), 354 ए (अपमानजनक शील), 376 (बलात्कार), 506 (आपराधिक धमकी) और 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) सहित विभिन्न आरोपों का दोषी पाया गया.
इसके अलावा आसाराम को दंड संहिता (IPC), और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण के कुछ खंड (POCSO) अधिनियम का दोषी भी माना गया.
अदालत ने मामले के सिलसिले में दो अन्य आरोपियों, शिल्पी और शरद को 20 साल की जेल की सजा सुनाई थी.