नई दिल्ली : भारत में वायु की गुणवत्ता लगातार बिगड़ने से हालात चिंता का विषय बन गया है. वायु प्रदूषण में वृद्धि के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए पर्यावरण संबंधी स्थायी समिति ने गुरुवार को एक बैठक आयोजित की है.
स्थायी समिति के अध्यक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ईटीवी भारत से मुलाकात के बारे में पुष्टि की. उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण में वृद्धि, लोगों के स्वास्थ्य को लगातार प्रभावित कर रही है. यह देश के लिए गंभीर चिंता है, गुरुवार को आयोजित बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी. उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण भारत में समय से पहले होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण है. वायु प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य जोखिम कई गुना बढ़ गया है. कोविड-19 ने हम सभी को और कमजोर बना दिया है.
स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2020 की एक रिपोर्ट में भारत ने पिछले साल दुनिया में वार्षिक औसत प्रदूषण सूची में शीर्ष स्थान हासिल किया है. इससे पता चलता है कि भारत में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है.
2019 में भारत ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत आउटडोर पीएम 2.5 के स्तर को 2024 तक कम करने के उद्देश्य से जारी किया था. हालांकि, इस कार्यक्रम में कानूनी जनादेश का अभाव के कारण इसकी आलोचना की गई थी.
रिपोर्ट में कहा गया कि इस कार्यक्रम में शहरों पर ध्यान केंद्रित था, जिस कारण राज्य और स्थानीय स्तर पर वायु प्रदूषण काफी हद तक बढ़ गया.
पढ़ें- पंजाब में जलने लगी पराली, 250 रुपये प्रति क्विंटल मुआवजे की मांग
20 सबसे अधिक आबादी वाले देशों में भारत में पीएम 2.5 के कारण होने वाली मौतों में सबसे अधिक 61 प्रतिशत (संख्या में 3,73,000) की वृद्धि देखी गई है.
भारत ने केवल एक दशक में 73 से 61 प्रतिशत तक की कमी के साथ, घरेलू वायु प्रदूषण के संपर्क में आने वाले लोगों की संख्या में कमी हासिल की है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार भारत में वायु की गुणवत्ता समय के साथ बिगड़ती जा रही है. हालांकि, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने बार-बार दावा किया है कि दिल्ली में जहरीले हवा के मुद्दे को 15 साल से कम समय में हल किया जाएगा.
अप्रैल 2020 में देश ने भारत स्टेज VI (BS-VI) वाहन उत्सर्जन मानकों के वाहनों को बाजार में उतार, जिस कारण से कुछ वर्षों में वायु प्रदूषण में कमी दिखने की संभावना है.