चंडीगढ़ : 14 फरवरी को पंजाब में आठ नगर निगम और 109 नगर कौंसिल/नगर पंचायतों के चुनाव होने हैं.
भाजपा के लिए चुनाव काफी कठिनाई वाले दिखाई दे रहे हैं. मिली जानकारी अनुसार, कुल 2215 में से 1212 वार्ड में भाजपा ने कैंडिडेट नहीं उतारे हैं और कई वार्ड ऐसे हैं, जहां पर टिकट मिलने के बावजूद भी कैंडिडेट पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ने से इनकार कर रहे हैं या फिर आजाद तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं.
बीजेपी के लिए यह चुनाव इसलिए भी काफी मुश्किल भरे हैं क्योंकि कृषि कानून वापस लेने की मांग को लेकर जिस तरीके से किसान पिछले कई महीनों से दिल्ली के बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि राह आसान तो नहीं होगी.
तीन नये कृषि कानूनों को लेकर पंजाब में भी बीजेपी के कई उम्मीदवारों और बड़े लीडर्स का हर जगह विरोध हो रहा है.
पंजाब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अश्विनी शर्मा ने कहा, पार्टी की तरफ से कॉरपोरेशन के 400 वार्ड में से 352 जगह पर कमल के निशान पर उम्मीदवार उतारे गए हैं. वहीं भाजपा करीब 800 वार्ड में पार्टी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ रही है.
उन्होंने बताया कि नगर पंचायत के तकरीबन 215 वार्ड पर उनके उम्मीदवार आजाद होकर चुनाव लड़ रहे हैं, क्योंकि नगर पंचायत के चुनाव पार्टी ने अपने सिंबल पर ना लड़ने का फैसला लिया था.
तकरीबन 112 जगह पर बीजेपी के उम्मीदवारों के नामांकन रद्द कर दिए गए (जहां बीजेपी के लीडर्स को चुनाव लड़ने का मौका ही नहीं दिया गया) इसे लेकर उन्होंने पंजाब के राज्यपाल से मुलाकात करने की बात भी कही. किसान आंदोलन के चलते अकाली दल और भाजपा इस बार अलग-अलग होकर चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी जहां पहले तकरीबन 20 प्रतिशत सीटें ही पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ती थी, वहीं इस बार 65 प्रतिशत चुनाव पार्टी सिंबल पर लड़ रही है.
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राज्य चुनाव आयोग के मुताबिक, कांग्रेस के 2037, शिरोमणि अकाली दल के 1569, बीजेपी के 1003, आम आदमी पार्टी के 1606, बीएसपी के 160, सीपीआई के दो, शिरोमणि अकाली दल अमृतसर के दो, एनसीपी के चार, सर्व सांझी पार्टी का एक और तकरीबन 2832 आजाद उम्मीदवार चुनाव मैदान में है.