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'पेंसिल वाला जिला' बनेगा कश्मीर के पुलवामा की नई पहचान

पुलवामा में बड़े पैमाने पर पेंसिल की लकड़ी (पेंसिल स्लेट) का उत्पादन होता है. यहां के उद्योगपति प्रशासन से पहल की उम्मीद कर रहे हैं, जिससे पुलवामा को पेंसिल जिला घोषित करने का मार्ग प्रशस्त हो सके.

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Published : Sep 27, 2020, 9:01 PM IST

Updated : Sep 27, 2020, 11:11 PM IST

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पेंसिल जिला पुलवामा

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर सरकार पेंसिल स्लेट का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने के लिए दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले को पेंसिल जिला घोषित कर सकती है. पुलवामा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का एकमात्र जिला है, जहां पिछले कई वर्षों के दौरान लकड़ी के स्लेट के उत्पादन के लिए कई इकाइयां (कारखाने) स्थापित की गई हैं.

90 के दशक से पहले, भारत अपने पेंसिल उद्योग के लिए जर्मनी और चीन जैसे देशों से लकड़ी आयात करता था. अब, पेंसिल उद्योग के लिए जरूरी लकड़ी का 70 प्रतिशत केवल पुलवामा जिले से उत्पादित किया जा रहा है.

पेंसिल बनाने के लिए मुख्य रूप से चिनार की लकड़ी का उपयोग किया जाता है और दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में चिनार के पेड़ बहुतायत में उगाए जाते हैं.

पुलवामा के पेंसिल उद्योग पर ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

कोरोना महामारी के कारण पेंसिल स्लेट बनाने वाले उद्योग को भारी झटका लगा है. फिर भी सरकार पुलवामा को देश के पेंसिल जिले के रूप में घोषित करने की तैयारी कर रही है.

पेंसिल उद्योग से जुड़े उद्योगपतियों का कहना है कि कोरोना लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद होने से उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा, क्योंकि स्कूल बंद होने से पेंसिल की मांग कम हो गई है.

उद्योगपतियों का कहना है कि उद्योग के प्रभावित होने से श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं. उनकी शिकायत है कि प्रशासन ने संकट के समय में उनकी मदद के लिए कुछ नहीं किया.

पेंसिल उद्योग से जुड़े लोगों ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि बड़ी संख्या में लोग पेंसिल स्लेट बनाने के उद्योग से जुड़े हुए हैं, जिनकी आजीविका पूरी तरह से इस उद्योग पर निर्भर है.

पेंसिल उद्योग से जुड़े वली मोहम्मद डार ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा हम पेंसिल के लिए लकड़ी के स्लेट बनाते हैं और फिर इन स्लेट को जम्मू स्थित पेंसिल उद्योगों को भेजते हैं. हम यहां पेंसिल नहीं बनाते हैं, क्योंकि कच्चे माल के परिवहन शुल्क के कारण घाटी में पेंसिल का निर्माण महंगा होगा.

यह भी पढ़ें- 22 साल का हुआ गूगल, यहां जानें गूगल से जुड़ी कुछ बातें

पेंसिल स्लेट उद्योग संचालित करने वाले कारोबारियों का मानना ​​है कि पुलवामा को पेंसिल जिले के रूप में घोषित करने से न केवल आमदनी बढ़ेगी, बल्कि यहां रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.

पेंसिल उद्योग से जुड़े कारोबारियों को उम्मीद है कि कोरोना लॉकडाउन से प्रभावित पेंसिल स्लेट बनाने वाली इकाइयों की मदद के लिए सरकार कोई पहल करेगी. साथ ही उद्योगपति प्रशासन से कुछ स्थाई पहल की उम्मीद कर रहे हैं, जिससे पुलवामा को पेंसिल जिला घोषित करने का मार्ग प्रशस्त हो सके.

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर सरकार पेंसिल स्लेट का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने के लिए दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले को पेंसिल जिला घोषित कर सकती है. पुलवामा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का एकमात्र जिला है, जहां पिछले कई वर्षों के दौरान लकड़ी के स्लेट के उत्पादन के लिए कई इकाइयां (कारखाने) स्थापित की गई हैं.

90 के दशक से पहले, भारत अपने पेंसिल उद्योग के लिए जर्मनी और चीन जैसे देशों से लकड़ी आयात करता था. अब, पेंसिल उद्योग के लिए जरूरी लकड़ी का 70 प्रतिशत केवल पुलवामा जिले से उत्पादित किया जा रहा है.

पेंसिल बनाने के लिए मुख्य रूप से चिनार की लकड़ी का उपयोग किया जाता है और दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में चिनार के पेड़ बहुतायत में उगाए जाते हैं.

पुलवामा के पेंसिल उद्योग पर ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

कोरोना महामारी के कारण पेंसिल स्लेट बनाने वाले उद्योग को भारी झटका लगा है. फिर भी सरकार पुलवामा को देश के पेंसिल जिले के रूप में घोषित करने की तैयारी कर रही है.

पेंसिल उद्योग से जुड़े उद्योगपतियों का कहना है कि कोरोना लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद होने से उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा, क्योंकि स्कूल बंद होने से पेंसिल की मांग कम हो गई है.

उद्योगपतियों का कहना है कि उद्योग के प्रभावित होने से श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं. उनकी शिकायत है कि प्रशासन ने संकट के समय में उनकी मदद के लिए कुछ नहीं किया.

पेंसिल उद्योग से जुड़े लोगों ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि बड़ी संख्या में लोग पेंसिल स्लेट बनाने के उद्योग से जुड़े हुए हैं, जिनकी आजीविका पूरी तरह से इस उद्योग पर निर्भर है.

पेंसिल उद्योग से जुड़े वली मोहम्मद डार ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा हम पेंसिल के लिए लकड़ी के स्लेट बनाते हैं और फिर इन स्लेट को जम्मू स्थित पेंसिल उद्योगों को भेजते हैं. हम यहां पेंसिल नहीं बनाते हैं, क्योंकि कच्चे माल के परिवहन शुल्क के कारण घाटी में पेंसिल का निर्माण महंगा होगा.

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पेंसिल स्लेट उद्योग संचालित करने वाले कारोबारियों का मानना ​​है कि पुलवामा को पेंसिल जिले के रूप में घोषित करने से न केवल आमदनी बढ़ेगी, बल्कि यहां रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.

पेंसिल उद्योग से जुड़े कारोबारियों को उम्मीद है कि कोरोना लॉकडाउन से प्रभावित पेंसिल स्लेट बनाने वाली इकाइयों की मदद के लिए सरकार कोई पहल करेगी. साथ ही उद्योगपति प्रशासन से कुछ स्थाई पहल की उम्मीद कर रहे हैं, जिससे पुलवामा को पेंसिल जिला घोषित करने का मार्ग प्रशस्त हो सके.

Last Updated : Sep 27, 2020, 11:11 PM IST
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