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शाहीनबाग मसले पर आए आदेश की समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका - सुप्रीम कोर्ट में याचिका

शाहीनबाग मसले पर सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश जिसमें कहा गया है कि सार्वजनिक स्थान पर अनंत अवधि के लिए विरोध प्रदर्शन नहीं किया जा सकता है, पर समीक्षा के लिए याचिका दाखिल की गई है.

सुप्रीम कोर्ट में याचिका
सुप्रीम कोर्ट में याचिका
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Published : Nov 16, 2020, 6:10 PM IST

नई दिल्ली : शाहीनबाग मसले पर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. जिसमें अदालत ने कहा था कि सार्वजनिक स्थान पर अनंत अवधि के लिए विरोध प्रदर्शन नहीं किया जा सकता है. लोग शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 का विरोध कर रहे थे, कथित तौर पर हंगामा किया था.

धरने में शामिल 12 लोगों की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि यह आदेश शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को दी गई संवैधानिक सुरक्षा को छीन लेता है, जो प्रशासन को अतिक्रमण या अवरोधों से मुक्त रखने के लिए कार्रवाई करने के लिए चाहिए.

विधानों, नीतियों और अन्य सरकारी कृत्यों और चूक के प्रति अपना असंतोष दिखाने का लोकतंत्र में नागरिकों के लिए एकमात्र तरीका शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन है. इस पर किसी भी तरह का अंकुश लगाना उचित नहीं है.

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह आदेश अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है, जिसमें शांतिपूर्ण तरीके से सरकार की नीतियों की आलोचना करने का अधिकार दिया गया है.

कई आंदोलन का किया जिक्र
चिपको आंदोलन, साइलेंट वैली विरोध, असम आंदोलन, जंगल बचाओ आंदोलन, गोकक आंदोलन आदि जैसे विभिन्न विरोधों का हवाला देते हुए, याचिकाकर्ताओं का कहना है कि हमारे देश के कानूनों को आकार देने के लिए आंदोलनकारियों ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

पढ़ें- शाहीनबाग से सबक : किस हद तक हो असहमति के अधिकार का प्रयोग

नई दिल्ली : शाहीनबाग मसले पर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. जिसमें अदालत ने कहा था कि सार्वजनिक स्थान पर अनंत अवधि के लिए विरोध प्रदर्शन नहीं किया जा सकता है. लोग शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 का विरोध कर रहे थे, कथित तौर पर हंगामा किया था.

धरने में शामिल 12 लोगों की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि यह आदेश शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को दी गई संवैधानिक सुरक्षा को छीन लेता है, जो प्रशासन को अतिक्रमण या अवरोधों से मुक्त रखने के लिए कार्रवाई करने के लिए चाहिए.

विधानों, नीतियों और अन्य सरकारी कृत्यों और चूक के प्रति अपना असंतोष दिखाने का लोकतंत्र में नागरिकों के लिए एकमात्र तरीका शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन है. इस पर किसी भी तरह का अंकुश लगाना उचित नहीं है.

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह आदेश अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है, जिसमें शांतिपूर्ण तरीके से सरकार की नीतियों की आलोचना करने का अधिकार दिया गया है.

कई आंदोलन का किया जिक्र
चिपको आंदोलन, साइलेंट वैली विरोध, असम आंदोलन, जंगल बचाओ आंदोलन, गोकक आंदोलन आदि जैसे विभिन्न विरोधों का हवाला देते हुए, याचिकाकर्ताओं का कहना है कि हमारे देश के कानूनों को आकार देने के लिए आंदोलनकारियों ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

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