नई दिल्लीः अखिल भारतीय किसान सभा ने मोदी सरकार के खिलाफ देश व्यापी आंदोलन छेड़ने का ऐलान किया है. ये आंदोलन तीन चरणों में होगा. इसमें मुख्य रूप से किसानों, आदिवासियों और मजदूरों से संबंधित मुद्दों को उठाया जाएगा.
इस संबंध में किसान महासभा के महासचिव हनान मोल्ला ने ईटीवी भारत से बातचीत की है. उन्होंने बातचीत में जानकारी दी कि इस देशव्यापी आंदोलन में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति भी मुख्य भूमिका निभाएगी.
गौरतलब है कि अभी हाल में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किये बजट को किसान सभा ने अस्वीकार करते हुए कहा है कि यह किसान विरोधी बजट है.
हनान मोल्ला ने कहा कि जहां तक दस हजार नए एफपीओ शुरू करने की बात है उनसे सिर्फ बड़े किसानों को ही फायदा मिलेगा. सरकार ने अपने बजट में भूमिहीन किसानों और कृषि क्षेत्र से जुड़े मजदूरों के लिये भी कुछ नहीं किया है.
आंदोलन में उठाया जाने वाला दूसरा मुद्दा आदिवासियों के अधिकारों से जुड़ा हुआ है. वहीं तीसरे मुद्दे की बात की जाए तो यह लेबर लॉ से संबंधित है.
दरअसल, CPIM की किसान इकाई लंबे समय से न्यूनतम मजदूरी 18000 रुपये की मांग पर अड़ी हुई है. अब इनका आरोप है कि पुराने कानून खत्म तो कर दिये गये हैं, लेकिन नये कानून में मजदूरों के हितों को ध्यान में नहीं रखा गया है.
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किसान नेता ने तीन चरणों में होने वाले देशव्यापी आंदोलन की रूपरेखा बताई और कहा कि, सबसे पहले 22 जुलाई को आदिवासियों के मुद्दे पर देश भर में विरोध प्रदर्शन रखा गया है. भूमि अधिकार आंदोलन के नाम से इस प्रदर्शन को गांव, ब्लॉक और जिला स्तर पर अंजाम दिया जाएगा.
बता दें, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति से देश भर के दो सौ से ज्यादा किसान संगठन जुड़े हुए हैं.
पांच सिंतबर को वर्तमान लेबर लॉ में मोदी सरकार द्वारा किये जा रहे बदलावों के विरोध में देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का भी ऐलान किया गया है. इस विरोध प्रदर्शन में देश भर के ट्रेड यूनियन भी शामिल हो सकते हैं.
हनान मोल्ला ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने आते ही जन विरोधी नीतियां लानी शुरू कर दी हैं.