बैंगलुरु: बुकानाकेरे सिद्दलिंगप्पा येदियुरप्पा उर्फ BSY कर्नाटक के 23वें मुख्यमंत्री बन गए हैं. उन्होंने चौथी बार सीएम पद की शपथ ली है. हालांकि यह बात और है कि उनका शासनकाल अपने काम से ज्यादा विवादों के कारण सुर्खियों में रहा है. जानें येदियुरप्पा के बारे में कुछ रोचक तथ्य......
शैव मंदिर के नाम पर रखा गया नाम
येदियुरप्पा का जन्म 27 फरवरी 1943 को कर्नाटक राज्य के मांड्या जिले के बुकनाकेरे गांव में हुआ. उनके पिता का नाम सिद्धलिंगप्पा और माता का नाम पुट्टतायम्मा था. येदियुरप्पा हिंदू धर्म के लिंगायत समुदाय के हैं. कर्नाटक के तुमकुर जिले में येदियुर स्थान पर संत सिद्धलिंगेश्वर द्वारा बनाए गए शैव मंदिर के नाम पर उनका नाम रखा गया था. जब येदियुरप्पा चार साल के थे, तब ही इनकी माता की मौत हो गई थी.
पहले एक क्लर्क थे येदियुरप्पा
उन्होंने कला से स्नातक किया है.1965 में वे समाज कल्याण विभाग के प्रथम श्रेणी के क्लर्क चुए गए. लेकिन वे शिकारीपुर चले गए जहां उन्होंने वीरभद्र शास्त्री के चावल कारखाने में क्लर्क की नौकरी कर ली. 1967 में उन्होंने वीरभद्र शास्त्री की पुत्री मैत्रादेवी से शादी कर ली. बाद के दिनों में उन्होंने शिमोगा में हार्डवेयर की दुकान खोली. येदियुरप्पा के दो पुत्र, बीवाई राघवेंद्र और विजयेंद्र एवं दो पुत्रियां हैं, जिनके नाम, अरूणादेवी, पद्मावती और उमादेवी हैं. साल 2004 में एक दुर्घटना में उनकी पत्नी चल बसी.
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एक सफल RSS प्रेजिडेंट थे BSY
येदियुरप्पा अपने कॉलेज के दिनों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का हिस्सा रहे.1970 में उन्होंने सार्वजनिक सेवाएं शुरू कीं, जिसके बाद उन्हें इसी सीट का प्रेजिडेंट नियुक्त किया गया. उनका ये पद मुख्यमंत्री के कार्यालय तक पहुंचने की ओर पहला कदम था. उन्होंने एक सफल RSS प्रेजिडेंट के रूप में काम किया, जिसके बलबूते वह शिकारीपुरा शहर नगरपालिका के चुनाव के लिए खड़े हुए. वह शिकारीपुरा में जनसंघ के अध्यक्ष पद के लिए चुने गए थे. साथ ही उन्हें शिकारीपुरा शहर नगरपालिका के अध्यक्ष के रूप में भी चुना गया.
1988 में BJP कर्नाटक के अध्यक्ष
कई अन्य राजनेताओं की तरह, उन्हें भारत में आपातकाल की अवधि के दौरान गिरफ्तार किया गया था. 1980 में उन्हें शिकारीपुरा में भारतीय जनता पार्टी इकाई का अध्यक्ष बनाया गया. 1985 में वह भारतीय जनता पार्टी की शिमोगा इकाई के अध्यक्ष रहे. 1988 में येदियुरप्पा भारतीय जनता पार्टी कर्नाटक के अध्यक्ष बने. भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष के रूप में अपनी भूमिका के अलावा, BSY को कर्नाटक विधानमंडल के निचले सदन के लिए भी छह बार चुना गया. इसमें उन्होंने शिकारीपुरा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. वह सातवीं, तेरहवीं, आठवीं, नौवीं, दसवीं और बारहवीं विधानसभाओं के माध्यम से कर्नाटक विधानसभा के सदस्य रहे.
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2004 में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में रहे
1994 के राज्य विधानसभा चुनावों के बाद, उन्हें कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता के पद के लिए नामित किया गया. साल 2004 में कांग्रेस-जेडीएस ने मिलकर सरकार बनाई और कांग्रेस के धरम सिंह मुख्यमंत्री चुने गए, इस दौरान भी येदियुरप्पा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में रहे.
कुमारस्वामी का दिया साथ
जेडीएस के कुमारस्वामी ने कांग्रेस की धरम सिंह की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया, जिसके बाद कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिर गई. इसके बाद 2006 में कुमारस्वामी बीजेपी के सहयोग से मुख्यमंत्री चुने गए और येदियुरप्पा उस सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे. लेकिन जब गठबंधन के तहत येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनाने की बारी आई तो जेडीएस ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया.
JDS का मिला साथ
हालांकि नवंबर 2007 में जेडीएस, येदियुरप्पा को समर्थन देने को राजी हो गई और तब दक्षिण भारत में पहली बार बीजेपी गठबंधन की सरकार बनी. येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली लेकिन उनकी सरकार 10 दिन भी नहीं चल सकी. इसके बाद साल 2008 में फिर से चुनाव कराए गए और पहली बार दक्षिण के राज्य में बीजेपी ने अकेले दम पर सरकार बनाई और येदियुरप्पा राज्य के मुख्यमंत्री बने. इस सरकार ने पूरे पांच साल शासन किया, हालांकि येदियुरप्पा को अवैध खनन मामले में लोकायुक्त की जांच का सामना करना पड़ा और उनकी जगह 2011 में डीवी सदानंद गौड़ा को मुख्यमंत्री पद दिया गया. इसी सरकार में जगदीश शेट्टार को भी 10 महीने मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला.
पड़ोसी राज्यों से मैत्रीपूर्ण संबंध
मुख्यमंत्री के रूप में येदियुरप्पा ने पड़ोसी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए. उन्होंने मतभेदों को खत्म करने और राज्यों के बीच बातचीत शुरू करने की मांग की.
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भ्रष्टाचार के मामले
भ्रष्टाचार के आरोपों में कई बार जेल जा चुके येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक गंवानी पड़ी थी. इसके अलावा उनपर कई बार अवैध खनन से लेकर घूसखोरी के आरोप लग चुके हैं. साल 2011 में उनके खिलाफ जमीन पर अवैध कब्जे के आरोप लगे और कर्नाटक लोकायुक्त ने येदियुरप्पा पर FIR के आदेश जारी किए थे. इसी साल अक्टूबर-नवंबर में उन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ी थी. हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्टे लगाकर सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. विस्तृत जांच के बाद बेंगलुरु की विशेष सीबीआई अदालत ने सभी आरोपों से BSY को बरी कर दिया.
2012 में छोड़ा बीजेपी का साथ, बनाई अपनी पार्टी
येदियुरप्पा ने 2012 में बीजेपी पार्टी से इस्तीफा दे दिया और कर्नाटक जनता पार्टी के नाम से एक नई पार्टी बनाई. इसके बाद 2013 में येदियुरप्पा शिमोगा से एक बार फिर विधायक चुने गए. हालांकि इसी साल उन्होंने फिर से बीजेपी में वापसी का ऐलान भी कर दिया. 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले येदियुरप्पा की पार्टी का विलय बीजेपी में हो गया. 2014 के लोकसभा चुनाव में शिमोगा लोकसभा सीट से येदियुरप्पा को 3.5 लाख से ज्यादा वोटों से जीत मिली. बीजेपी ने साल 2016 में येदियुरप्पा को फिर से बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया.
55 घंटे के मुख्यमंत्री
साल 2018 का विधानसभा चुनाव उन्हीं की अगुवाई में लड़ा गया. लेकिन इस विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को बहुमत हासिल नहीं हो सका. सबसे बड़ा दल होने के नाते राज्यपाल ने येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता दिया. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. कोर्ट ने दो दिन में बहुमत साबित करने का आदेश दे दिया. बहुमत न मिलता देख येदियुरप्पा ने एक भावुक भाषण देकर इस्तीफा दे दिया. वह कुल 55 घंटे तक सीएम रहे. इसके बाद राज्य में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार बनी.