नई दिल्ली : जापान लगातार कहता रहा है कि भारत के बिना वह क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) में शामिल नहीं होगा. इस मसले पर ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के निदेशक (अनुसंधान) प्रो. हर्ष पंत ने उम्मीद जताई है कि दोनों देश बड़े व्यापार समझौते की तरफ बढ़ेंगे और RCEP में एक साथ काम कर सकते हैं. बता दें कि भारत ने पिछले महीने क्षेत्रीय व्यापार समझौते में शामिल होने से इनकार कर दिया था.
प्रो. हर्ष पंत ने ईटीवी भारत से अपने विचार साझा करते हुए कहा कि जापान बहुत उत्सुक है कि भारत RCEP (Regional Comprehensive Economic Partnership) में शामिल हो क्योंकि यह उम्मीद जतायी जा रही है कि अगर भारत इसमें शामिल नहीं होता तो चीन इस मेगा व्यापार सौदे का प्रमुख खिलाड़ी बन सकता है.
गौरतलब है कि भारत ने नवंबर में यह कहते हुए आरसीईपी का हिस्सा होने से मना कर दिया था कि इससे उसके देश के बेहद गरीब लोगों की आजीविका पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. चीन ने कहा है कि बाकी 15 देशों ने समझौते में आगे बढ़ने का फैसला किया है और जब भारत इसके लिए तैयार हो जाएगा तो उसका आरसीईपी में स्वागत किया जाएगा.
इसके बाद जापान के एक वरिष्ठ वार्ताकार ने कहा था कि अगर भारत आरसीईपी समझौते में शामिल नहीं होता है तो जापान भी इससे परहेज करेगा.
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गौरतलब है कि जापानी पीएम शिंजो आबे 15 दिसंबर को तीन दिवसीय भारत दौरे पर आ रहे हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि इस दौरे में आबे आरसीईपी मुद्दे पर पीएम मोदी से बात कर सकते हैं.
क्या है आरसीईपी समझौता?
आरसीईपी एक व्यापार समझौता है. यह सदस्य देशों को एक-दूसरे के साथ मुक्त व्यापार करने की सहूलियत प्रदान करता है.समझौते के अनुसार सदस्य देशों को आयात और निर्यात पर लगने वाला टैक्स (कर) या तो बिल्कुल नहीं भरना पड़ता है या बहुत ही कम भरना पड़ता है.