नई दिल्ली : संवैधानिक और राष्ट्रीय महत्व के मामलों की अदालती कार्यवाही का सीधा प्रसारण करने के बारे में शीर्ष अदालत के 2018 के फैसले पर अमल के लिए अर्जी दायर की गई थी. उच्चतम न्यायालय ने इस मामले पर दो सप्ताह बाद सुनवाई की बात कही है.
प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने इस मामले का उल्लेख करते हुए इसे सुनवाई के लिए शीघ्र सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया.
जयसिंह ने कहा कि उन्होंने न्यायालय के 26 सितंबर, 2018 के फैसले में दिये गये आदेशों पर अमल के लिए निर्देश देने का अनुरोध करते हुए आवेदन दायर किया है.
जयसिंह ने पीठ से कहा, 'फैसले में इसे आगे ले जाने के तरीके भी बताए गए हैं. उन्होंने कहा कि इस पर अमल का तरीका भी 2018 के फैसले में ही बताया गया है.
पीठ ने कहा कि इस आवेदन पर दो सप्ताह बाद सुनवाई की जाएगी.
शीर्ष अदालत ने सितंबर, 2018 में अपने फैसले में संवैधानिक और राष्ट्रीय महत्व के मामलों में न्यायालय की कार्यवाही के सीधे प्रसारण की अनुमति दी थी. न्यायालय ने कहा था कि यह खुलापन 'सूर्य की रौशनी' जैसा होगा जो 'सर्वश्रेष्ठ कीटाणुनाशक' है.
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शीर्ष अदालत ने कहा था कि पायलट प्रोजेक्ट के रूप में ऐसे संवैधानिक या राष्ट्रीय महत्व के मुकदमों का सीधा प्रसारण किया जाना चाहिए, जिन पर संविधान पीठ के समक्ष बहस हो रही हो.
न्यायालय ने यह भी कहा था कि संवेदनशील मामलों के साथ ही वैवाहिक विवादों और यौन हिंसा के मामलों की कार्यवाही का सीधा प्रसारण नहीं करना चाहिए.
न्यायालय ने कहा था कि कार्यवाही के सीधे प्रसारण के लिए निर्धारित प्रारूप में संबंधित न्यायालय से लिखित में अग्रिम अनुमति के लिए आवेदन करना होगा. न्यायालय स्वत: या किसी भी पक्षकार के आवेदन पर किसी भी समय सीधे प्रसारण की अनुमति वापस ले सकता है.