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नेट और न ही नेटवर्क...कैसे हो देश के सबसे पिछड़े जिले नूंह में ऑनलाइन पढ़ाई

सरकार ऑनलाइन क्लास के जरिए बच्चों की पढ़ाई जारी रखने का दावा तो कर रही है, लेकिन दूर दराज और पिछड़े इलाकों में तकनीकी व्यवस्था भी फेल नजर आ रही है. कमोबेश यही हालत देश के सबसे पिछड़े जिलों में शुमार हरियाणा के नूंह की भी है.

ऑनलाइन पढ़ाई
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Published : Jul 21, 2020, 9:24 AM IST

चंडीगढ़ : कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया की धारा बदल दी है. इसके कहर से कोई भी अछूता नहीं है. कई महीनों से स्कूल भी बंद पड़े हैं. हरियाणा में भी छात्रों की पढ़ाई ठप है. सरकार ऑनलाइन क्लास के जरिए बच्चों की पढ़ाई जारी रखने का दावा तो कर रही है, लेकिन दूर दराज और पिछड़े इलाकों में तकनीकी व्यवस्था भी फेल नजर आ रही है. कमोबेश यही हालत देश के सबसे पिछड़े जिलों में शुमार हरियाणा के नूंह की भी है.

कोरोना के चलते पिछले कई महीनों से सरकारी और निजी स्कूलों में सन्नाटा पसरा है. नूंह जिला पहले से ही शिक्षा के मामले में बहुत पिछड़ा हुआ है और अब कोरोना ने शिक्षा व्यवस्था की कमर तोड़ दी है. छात्रों की पढ़ाई का नुकसान न हो, इसके लिए ऑनलाइन शिक्षा की व्यवस्था की गई है.

ऑनलाइन पढ़ाई

हालांकि छात्रों के परिजनों का कहना है कोरोना के कारण उनके बच्चों की पढ़ाई का काफी नुकसान हुआ. एक अभिभावक फजरुद्दीन का कहना है कि कोरोना के कारण बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है और सरकार द्वारा चलाया जा रहा ऑनलाइन पढ़ाई अभियान ग्रामीण इलाकों में जीरो है क्योंकि बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए कोई सुविधा नहीं दे गई है.

ऑनलाइन पढ़ाई
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वहीं, एक अन्य अभिभावक दया भड़ाना का कहना है कि बच्चे काफी परेशान कर रहे हैं, इसलिए स्कूल खुलना चाहिए.

ऑनलाइन शिक्षा को अमलीजामा पहनाने में प्रशासन पूरी तरह लगा हुआ है. इसके लिए शिक्षा विभाग ने एजुसेट, केबल नेटवर्क, इंटरनेट, वाट्सएप ग्रुप जैसे माध्यम बनाए हैं. दूसरी तरफ शिक्षा विभाग का दावा है कि नूंह जिले में 61 फीसदी छात्र ऑनलाइन पढ़ाई कर पा रहे हैं.

वहीं, जिला शिक्षा अधिकारी अनूप सिंह जाखड़ का कहना है कि नूह जिले में करीब 64 से 65 फीसदी छात्र ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं. जाखड़ का कहना है कुछ बच्चे टीवी से पढ़ाई कर रहे हैं तो कुछ मोबाइल से.

पढ़ें : डिजिटल शिक्षा को जन-जन तक पहुंचाएगा गूगल, फैसले का स्वागत

इलाके में रहने वाले एक छात्र करण ने बताया कि यहां छात्रों को पढ़ने में काफी दिक्कतों का सामना करना पढ़ रहा है. सभी बच्चों के पास मोबाइल नहीं हैं और जिनके पास हैं, वे भी नेटवर्क की समस्या से जूझते हैं.

बता दें कि जिले में लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा कमजोर है. इसलिए यहां पर टीवी और एंड्रायड फोन भी कम संख्या में हैं. यहां पर कुछ ऐसे भी परिवार हैं, जिनके पास फोन ही नहीं है. फोन है तो इंटरनेट महंगा होने के कारण रिचार्ज करवाना मुश्किल है. कई बार तो बिजली नहीं आने की वजह से मोबाइल फोन की बैटरी चार्ज करनी तक मुश्किल हो जाती है.

चंडीगढ़ : कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया की धारा बदल दी है. इसके कहर से कोई भी अछूता नहीं है. कई महीनों से स्कूल भी बंद पड़े हैं. हरियाणा में भी छात्रों की पढ़ाई ठप है. सरकार ऑनलाइन क्लास के जरिए बच्चों की पढ़ाई जारी रखने का दावा तो कर रही है, लेकिन दूर दराज और पिछड़े इलाकों में तकनीकी व्यवस्था भी फेल नजर आ रही है. कमोबेश यही हालत देश के सबसे पिछड़े जिलों में शुमार हरियाणा के नूंह की भी है.

कोरोना के चलते पिछले कई महीनों से सरकारी और निजी स्कूलों में सन्नाटा पसरा है. नूंह जिला पहले से ही शिक्षा के मामले में बहुत पिछड़ा हुआ है और अब कोरोना ने शिक्षा व्यवस्था की कमर तोड़ दी है. छात्रों की पढ़ाई का नुकसान न हो, इसके लिए ऑनलाइन शिक्षा की व्यवस्था की गई है.

ऑनलाइन पढ़ाई

हालांकि छात्रों के परिजनों का कहना है कोरोना के कारण उनके बच्चों की पढ़ाई का काफी नुकसान हुआ. एक अभिभावक फजरुद्दीन का कहना है कि कोरोना के कारण बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है और सरकार द्वारा चलाया जा रहा ऑनलाइन पढ़ाई अभियान ग्रामीण इलाकों में जीरो है क्योंकि बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए कोई सुविधा नहीं दे गई है.

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वहीं, एक अन्य अभिभावक दया भड़ाना का कहना है कि बच्चे काफी परेशान कर रहे हैं, इसलिए स्कूल खुलना चाहिए.

ऑनलाइन शिक्षा को अमलीजामा पहनाने में प्रशासन पूरी तरह लगा हुआ है. इसके लिए शिक्षा विभाग ने एजुसेट, केबल नेटवर्क, इंटरनेट, वाट्सएप ग्रुप जैसे माध्यम बनाए हैं. दूसरी तरफ शिक्षा विभाग का दावा है कि नूंह जिले में 61 फीसदी छात्र ऑनलाइन पढ़ाई कर पा रहे हैं.

वहीं, जिला शिक्षा अधिकारी अनूप सिंह जाखड़ का कहना है कि नूह जिले में करीब 64 से 65 फीसदी छात्र ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं. जाखड़ का कहना है कुछ बच्चे टीवी से पढ़ाई कर रहे हैं तो कुछ मोबाइल से.

पढ़ें : डिजिटल शिक्षा को जन-जन तक पहुंचाएगा गूगल, फैसले का स्वागत

इलाके में रहने वाले एक छात्र करण ने बताया कि यहां छात्रों को पढ़ने में काफी दिक्कतों का सामना करना पढ़ रहा है. सभी बच्चों के पास मोबाइल नहीं हैं और जिनके पास हैं, वे भी नेटवर्क की समस्या से जूझते हैं.

बता दें कि जिले में लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा कमजोर है. इसलिए यहां पर टीवी और एंड्रायड फोन भी कम संख्या में हैं. यहां पर कुछ ऐसे भी परिवार हैं, जिनके पास फोन ही नहीं है. फोन है तो इंटरनेट महंगा होने के कारण रिचार्ज करवाना मुश्किल है. कई बार तो बिजली नहीं आने की वजह से मोबाइल फोन की बैटरी चार्ज करनी तक मुश्किल हो जाती है.

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